चावल एक पौष्टिक सुपरफूड है, लोगों को यह काफी पसंद होता है। चावल को पकाकर खाने के साथ ही इसका इस्तेमाल कई अन्य व्यंजनों को बनाने में भी किया जाता है। पर कई स्वास्थ्य स्थितियों में चावल से परहेज रखने की सलाह दी जाती है। क्या असल में इस सुपरफूड से परहेज रखना सेहत के लिए फायदेमंद हो सकता है। आमतौर पर डायबिटीज, वेट लॉस, आदि की स्थिति में लोग चावल से परहेज (Too much Rice side effects) करते हैं।
आज हम बात करेंगे ऐसी ही कुछ स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में जिनमें चावल से परहेज रखना जरूरी हो जाता है। हालांकि, आप इसकी मात्रा और कूकिंग मेथड का ध्यान रखें, तो मॉडरेशन में इसे लेने से नुकसान नहीं होता। वहीं यदि आप बताई गई स्वास्थ्य स्थितियों के बाबजूद चावल खाना चाहती हैं, तो एक बार डॉक्टर या डायटिशन से सलाह जरूर लें।
मैरिंगो एशिया हॉस्पिटल गुरुग्राम एच ओ डी – डिपार्टमेंट इंटरनल मेडिसिन डॉ. एम के सिंह ने कुछ ऐसी स्वास्थ्य स्थितियां बताई हैं, जिनमें चावल से परहेज रखना जरूरी हो जाता है। तो चलिए जानते हैं, इन स्वास्थ्य स्थितियों में चावल क्यू नहीं खाना चाहिए।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार चावल में भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट होता है। इसका सेवन शरीर को पर्याप्त ऊर्जा प्रदान कर आपको पूरे दिन एक्टिव रहने में मदद कर सकता है। वहीं यह ग्लूटन फ्री होता है, साथ ही चावल में आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम और बी विटामिन जैसे कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो इन्हें सेहत के लिए खास बनाते हैं। इतना ही नहीं चावल में फाइबर की एक अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो पाचन में मदद करती हैं। चावल खाना अच्छा है, पर इसकी मात्रा का ध्यान रखना उतना ही महत्वपूर्ण है। वहीं हर चीज हर किसी के लिए हेल्दी नहीं होती, ठीक उसकी प्रकार चावल का सेवन सभी को सूट नहीं करता।
चावल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत अधिक होता है, जिसकी वजह से अचानक से ब्लड शुगर स्पाइक हो सकता है। इसलिए डायबिटीज या प्रीडायबिटीक मरीजों को इसका कम से कम सेवन करना चाहिए। साथ ही उन्हें इसे कूक करने का हेल्दी तरीका अपनाना चाहिए।
इसके अतिरिक्त, इंसुलिन रजिस्टेंस या मेटाबोलिक सिंड्रोम से ग्रसित व्यक्ति को चावल से परहेज करने की सलाह दी जाती है। यदि चावल खाना चाहते हैं, तो इसके स्टार्च को रिमूव करें, जिसके लिए प्रेशर कूकर की जगह पानी में चावल उबालें और इसके एक्स्ट्रा पानी को निकाल दें। ऐसा करने से लोगों को अपनी स्थिति को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में मदद मिलेगी।
यह भी पढ़ें: Sukhasana Ke Fayde : सुखासन में बैठना आपके मूड और पाचन दोनों के लिए है फायदेमंद, जानिए कैसे
डॉक्टर के अनुसार ऐसे चावल जिनमें ग्लूटेन के साथ क्रॉस-संदूषण की संभावना होती है, सीलिएक रोग या गैर-सीलिएक ग्लूटेन संवेदनशीलता वाले लोगों को इस तरह के चावल के सेवन से बचना चाहिए। इसके सेवन से ऐसे लोगों की स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
यदि आपको चावल बेहद पसंद है और आप इसे अपनी डाइट में शामिल करना चाहती हैं, तो इसमें आयुर्वेद आपकी मदद करेगा। चावल पकाने के तरीके का विशेष ध्यान रखें। आयुर्वेदिक तरीके से चावल पकाएं और इसे मॉडरेशन में खाएं। आयुर्वेद खाना पकाने से पहले उन्हें भूनकर या पानी की मात्रा को बढ़ाकर उनकी पाचनशक्ति बढ़ाने की सलाह देता है।
सबसे पहले चावल को ड्राई रोस्ट कर लें, इस प्रक्रिया से स्टार्च कम हो जाता है, चावल चिपचिपा नहीं रहता और फ्लफी हो जाता है। भुने हुए चावल लें, 1 भाग चावल में लगभग 4 भाग में पर्याप्त पानी डालें। अब इसमें 1 चम्मच देशी घी और स्वादानुसार नमक डालकर पाने में उबाल आने दें, चावल को अच्छी तरह पकाएं। फिर पानी को छान कर चावल और पानी दोनों को अलग कर लें। चावल के पानी को फेंके नहीं। इस पानी का उपयोग अन्य आयुर्वेदिक उद्देश्यों के लिए कर सकती हैं।
नोट: वेट मैनेजमेंट जैसे स्वास्थ्य लाभों के लिए कम कार्बोहाइड्रेट की खपत बनाए रखने के लिए कीटोजेनिक या लो कार्ब आहार का पालन करने वाले लोग अक्सर चावल से परहेज करते हैं। अनुकूलित सलाह के लिए, किसी स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से बात करने की सलाह दी जाती है।
यह भी पढ़ें: हार्ट को हेल्दी रखना है तो अपने रेगुलर सलाद में शामिल करें ये 5 हेल्दी सामग्रियां