स्मोक करते, धुएं के छल्ले बनाते थोड़ा डेशिंग तो लगता है, पर यह आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। वहीं मौसमी का ताजा जूस भले ही आपको बोरिंग लगे पर यह आपकी सेहत को कई परेशानियों से बचाता है। अगर आप बढ़ रहे बैड कोलेस्ट्रॉेल से परेशान हैं, तो आपको तय करना है कि आप मौसमी चुनेंगी या स्मोहकिंग।
बैड कोलेस्ट्रॉल यानी लो डेंसिटी लाइपोप्रोटीन (एलडीएल) की अधिकता दिल की सेहत के लिए खतरनाक है। जबकि नियमित रूप से मौसमी का सेवन कर एलडीएल के स्तर में भारी कमी लाई जा सकती है। ‘जर्नल ऑफ एग्रिकल्चरल फूड केमिस्ट्री’ में छपा एक अमेरिकी अध्ययन तो कुछ यही बयां करता है।
ब्रिटिश हार्ट एसोसिएशन के एक अध्ययन में सिगरेट की लत को भी कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने के लिए जिम्मेदार पाया गया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक धूम्रपान से धमनियों में ‘टार’ इकट्ठा हो सकता है। इससे कोलेस्ट्रॉल के कणों को धमनियों की दीवारों से चिपकने में मदद मिलती है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक मौसमी में लिमिनॉयड और लाइकोपीन जैसे यौगिक प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। ये यौगिक कैल्शियम सहित अन्य पोषक तत्वों को धमनियों में जमने से रोकते हैं। इससे धमनियों की दीवारें संकरी या कड़ी नहीं होतीं। न ही रक्त प्रवाह के दौरान उन पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
मौसमी को ‘पेक्टिन’ नाम के घुलनशील फाइबर का भी बेहतरीन स्रोत माना जाता है। विभिन्न अध्ययनों में यह फाइबर छोटी आंत में मौजूद पित्त अम्लों से जुड़कर फैट का स्तर घटाने में मददगार मिला है। रक्तचाप नियंत्रित रखने में भी इसकी अहम भूमिका पाई गई है। सेब, आड़ू जैसे खट्टे फल भी ‘पेक्टिन’ का अच्छा स्रोत माने जाते हैं।
डॉ. डॉन हार्पर के नेतृत्व में हुए इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने उच्च कोलेस्ट्रॉल की समस्या से जूझ रहे 57 हृदयरोगियों पर मौसमी का असर आंका। सभी प्रतिभागी कम से कम एक साल पहले बाइपास सर्जरी से गुजरे थे। लगातार एक महीने तक रोजाना एक मौसमी खाने पर उनके शरीर में एलडीएल का स्तर 20 फीसदी तक घट गया।
हालांकि, शोधकर्ताओं ने चेताया है कि मौसमी में मौजूद यौगिक दिल की बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली स्टैटिन सहित कई अन्य दवाओं का असर बढ़ाते हैं। ऐसे में हृदयरोगियों को मौसमी खाने से पहले चिकित्सकों से राय-मशविरा जरूर कर लेना चाहिए।
(PTI से प्राप्त इनपुट के साथ)