लॉकडाउन में हम पूरी तरह टेक्नोलोजी पर निर्भर हो गए हैं। जूम मीटिंग से लेकर मेडिटेशन तक ज्यादातर समय हमारे कानों में ईयर फोन या हेडफ़ोन लगे रहते हैं। पर क्या आप जानती हैं कि यह आपको बहरेपन की समस्या दे सकते हैं।
लॉकडाउन में जब आपने ऑफिस जाना छोड़ा, जिम बंद हुए और बाजार जाना भी मुहाल हो गया, तब कौन काम आया? जी हां तब तकनीक ने हम सबको कनैक्ट रखा। जूम मीटिंग से लेकर ऑनलाइन शॉपिंग तक हम मोबाइल और लैपटॉप पर ही कर रहे हैं। बात जब मानसिक शांति की आती है, तब भी हम यूट्यूब के मेडिटेशनल वीडियो सुन रहे हैं। इस सबका असर पड़ रहा है हमारे कानों पर। ईयर प्लग दिन और हां, रात के भी ज्यादातर समय हमारे कानों में लगे रहते हैं।
लेकिन कहीं इन इयरफोन का आपके कान पर कोई दुष्प्रभाव तो नहीं हैं?
सबसे पहले तो हम बता दें कि आपके कान का जितना हिस्सा आपको बाहर नजर आता है इसे पिन्ना कहते हैं। और असल में यह कान का सबसे कम महत्वपूर्ण हिस्सा है। इससे अंदर कान का पर्दा यानी ईयर ड्रम होता है। उसके अंदर के हिस्से को इनर ईयर कहते हैं। इसमें तमाम नसें और अंग होते हैं, जो दिमाग तक जाते हैं।
जब हम बोलते हैं, हवा में शब्द का कम्पन उत्पन्न होता है। इस कम्पन वाली हवा को पिन्ना एकत्रित करके कान के पर्दे तक भेजता है। हवा के कम्पन से कान का पर्दा हिलता है, जो उससे जुड़ी कॉकलिया को हिलाता है। कॉकलिया इस कम्पन को दिमाग तक पहुंचाती है। जिसे दिमाग समझ कर शब्द का रूप देता है।
हमारे कान की बनावट ऐसी है कि अधिक से अधिक कम्पन अंदर जा सके।
जब आप इयरफोन या हेडफोन का इस्तेमाल करते हैं तो पिन्ना का काम ही खत्म हो जाता है। कम्पन सीधे-सीधे कान के पर्दे तक जाती है और यही कारण है कि आवाज ज्यादा साफ और तेज सुनाई देती है।
इस सवाल का सीधा जवाब होगा, बिल्कुल नहीं। ईयर फोन और हेडफोन पर लगातार एक घण्टे से अधिक संगीत सुनना कानों के लिए खतरनाक होता है।
ईयर फोन कितना नुकसान करेगा यह इस पर निर्भर करता है कि आप लगातार कितनी देर संगीत सुनते हैं और कितना तेज संगीत सुनते हैं। ज्यादा देर तक और ज्यादा तेज संगीत पर्दे पर ज्यादा दबाव डालता है। इससे कान के पर्दे को नुकसान पहुंचता है।
जर्नल साइंसमेड के अध्ययन के अनुसार ईयरफोन पर यदि आप 120 डेसिबल पर गाना सुनते हैं तो एक घण्टे लगातार सुनने से आपके कानों को नुकसान पहुंचेगा।
वैज्ञानिकों का मानना है कि ईयरफोन इस्तेमाल करने पर फोन की वॉल्यूम कभी भी 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं करनी चाहिए।
ईयरफोन लगाने से कान में खुजली, कान में दर्द और अजीब आवाज आना, कम सुनाई देना जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
गंभीर केस में बहरापन और कान का पर्दा फटने जैसी समस्या हो सकती है।
ईयरफोन के मुकाबले हेडफोन ज्यादा सुरक्षित है। इसका कारण यह है कि हेडफोन कान के ऊपर लगता है जबकि इयरफोन कान के अंदर लगता है। इयरफोन में कम्पन की कान के पर्दे से दूरी कम होती है, इसलिए हेडफोन अधिक सुरक्षित हैं।
1. ध्यान रखें कि एक घंटे से अधिक हेडफोन या ईयरफोन ना लगाएं।
2. वॉल्यूम कम ही रखें। फोन में सुरक्षित वॉल्यूम रेंज नजर आती है, तो ध्यान रखें कि आवाज सुरक्षित रेंज में रहे।