जब भी हम एलर्जी शब्द सुनते हैं, हमारे दिमाग मे एन्टी हिस्टामिन के अतिरिक्त शायद ही कुछ आता हो। ऐसा इसलिए क्योंकि हम में से अधिकांश लोग एलर्जी को लेकर गंभीर नहीं होते और तुरंत इलाज की जरूरत नहीं समझते।
लेकिन क्या आप जानती हैं कि एलर्जी आपके जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर सकती हैं। चाहे आप किसी भी उम्र के हों, एलर्जी आपको जीवन को खुलकर जीने से रोकती हैं। बच्चों के विकास से लेकर आपके सामाजिक जीवन तक, एलर्जी के बहुत से दुष्प्रभाव हो सकते हैं। यही नहीं, इसके अलावा भी एलर्जी बहुत गम्भीर परिणाम दे सकती है।
देहरादून के बुंथियाल नर्सिंग होम के ENT स्पेशलिस्ट (नाक, कान, गला विशेषज्ञ) डॉ विजय बुंथियाल बताते हैं,”एलर्जी का अगर सही और समय रहते इलाज न किया जाए तो इससे गंभीर वायरल और बैक्टीरियल इन्फेक्शन हो सकते है। कई बार बच्चों और बड़ो में तुरन्त हॉस्पिटल जाने की नौबत भी आ जाती है।”
जब आप दिन भर छींकते हैं या नाक बहती रहती है, तो आपका थकना लाजमी है। लेकिन एलर्जी का प्रभाव इससे अधिक गंभीर हो सकता है।
एलर्जी के लक्षणों के कारण आपको सोने में समस्या हो सकती है। डॉ बुंथियाल कहते हैं,”नाक बंद होना आपको बहुत असहज बना सकता है। इससे सांस भी फूलती है। एंग्जायटी और नींद की कमी भी एलर्जी के कारण होना आम है।”
बहुत समय तक एलर्जी रहे तो अनिद्रा की स्थिति पैदा हो सकती है जो आपकी प्रोडक्टिविटी पर असर डालती है। बच्चों की याददाश्त पर भी इसका असर पड़ता है। और काले घेरे, बेजान त्वचा इत्यादि समस्याओं को भी नकारा नहीं जा सकता।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि एलर्जी के लक्षणों से आपका मूड भी खराब होता है। चिड़चिड़ापन, हर समय असहज महसूस करना और हाथों में टिश्यू का गट्ठर रखना- ऐसे में मूड अच्छा होना नामुमकिन ही है।
एलर्जी डिप्रेशन का भी कारण बन सकती हैं।
कई शोधों में पाया गया है कि जब आपको एलर्जी होती है तो शरीर एक इन्फ्लामेट्री साइटोकाइन बनाता है। जर्नल न्यूरोसाइंस में प्रकाशित 2014 कि रिसर्च में पाया गया है कि एलर्जी से डिप्रेशन का जोखिम बढ़ जाता है।
डॉ बुंथियाल का कहना है कि समस्या यहीं खत्म नहीं होती। वे बताते हैं, “अगर सांस सम्बंधी एलर्जी सही से डायग्नोस नहीं होतीं, तो लोग अलग-अलग डॉक्टर के पास जाते हैं। सही इलाज न मिलने पर मरीज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगता है। ऐसे में भी मूड खराब हो सकता है।”
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कस्टमाइज़ करेंसोचिए, आप ऑफिस मीटिंग में बैठी हैं और आप बात पर ध्यान देने के बजाय नाक पोंछने में व्यस्त हैं।
“एलर्जी के लक्षण जैसे बहती नाक, छींक, आंखों में पानी आना इत्यादि आपको काम पर फोकस करने से रोक सकते हैं।
और ये तो आप जानते हैं ही कि एलर्जी मूड और नींद को भी प्रभावित करती है।
जहां वयस्कों में एलर्जी के कारण प्रोडक्टिविटी में कमी आ जाती है, वहीं बच्चों में भी एलर्जी के कारण विकास बाधित होता है। यकीन नहीं है तो एक्सपर्ट से जानिए।
“एलर्जी जिसमें नाक, टॉन्सिल्स और अडेनोइड शामिल होते हैं उसमें मुंह से सांस लेना और खर्राटे लेने की समस्या हो जाती है। इससे डेंटल और फेशियल समस्याएं भी आ जाती हैं। इससे कान में भी समस्या हो सकती है।
सात साल से कम उम्र के बच्चों में दांत निकलने की भी समस्या हो सकती है।
बच्चों को एलर्जी होने पर कंजक्टिवाइटिस और साइनस की समस्या होना आम है। ये समस्या यानी स्कूल में अधिक छुट्टी और क्लास मिस करना। ये तो स्पष्ट है कि एलर्जी बच्चे के शारीरिक विकास के साथ साथ मानसिक विकास पर भी असर डालती है।
जर्नल ऑफ मेडिकल अपडेट्स में प्रकाशित स्टडी के अनुसार जिन लोगों को एलर्जिक रायनाइटिस होता है उनका समाजिक जीवन प्रभावित होता है। आप दोस्तों के साथ कम समय बिताते हैं और अपनी एलर्जी के लक्षणों पर ज्यादा।
एलर्जी के सही डायग्नोसिस और इलाज से आप और आपका परिवार सामान्य जीवन जी सकता है। डॉ बुंथियाल का कहना है, “पहला कदम है ये समझना कि आपकी एलर्जी मौसमी है या हर समय रहती है। अगर ये मौसमी है, तो सही प्रीकॉशन लेकर इससे बचा जा सकता है। अगर एलर्जी साल भर रहती है तो उसके लिए एन्टी हिस्टामिन का प्रयोग करना होगा।”
बच्चों की एलर्जी को नियंत्रित किया जा सकता है। ठंडी और प्रदूषण वाली जगह से बचें। उन्हें धूल में न निकलने दें। आइस क्रीम खा रहे हैं तो मुंह में ही उसे पिघला लें। इस तरह की सावधानी बरतें तो एलर्जी को कंट्रोल किया जा सकता है।
याद रखें, सही इलाज और सावधानी आपके बच्चों के जीवन पर बहुत दुष्प्रभाव पड़ने से बचा सकती हैं।
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