क्या दही खाने से यूरिक एसिड बढ़ने लगता है? एक एक्सपर्ट से जानते हैं दही और यूरिक एसिड का कनैक्शन
कई शारीरिक समस्याओं के चलते खून में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ने लगता है। इससे हाथों पैरों में सूजन और ऐंठन की समस्या बढ़ जाती है। इसमें कोई दोराय नहीं कि खानपान की अनहेल्दी आदतें और प्रोटीन की उच्च मात्रा शरीर में यूरिक एसिड के बढ़ने का मुख्य कारण साबित होती है। दरअसल, किडनी में मौजूद टॉक्सिक पदार्थो को डिटॉक्स न करने से इस समस्या का सामना करना पड़ता हैं। दही में भी प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है, तो क्या इससे भी यूरिक एसिड बढ़ने लगात है। आइए जानते हैं एक्सपर्ट से कि क्या दही खाने से बढ़ सकता है यूरिक एसिड (Curd in uric acid)।
दही से क्यों बढ़ने लगता है यूरिक एसिड (Why does curd increase uric acid?)
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार शरीर प्यूरीन युक्त खाद्य पदार्थों के पाचन के कारण शरीर में इस समस्या का जोखिम बढ़ जाता है। इसे किडनी और यूरिन के माध्यम से ब्लड से फ़िल्टर किया जाता है। 6.8 मिलीग्राम डेसीलीटर से ज्यादा मात्रा हाइपरयूरिसीमिया कहलाती है। इससे गाउट का खतरा बढ़ता है और ब्लड व यूरिन एसिडिक होने लगता है।
इस बारे में डायटीशियन डॉ अदिति शर्मा बताती है कि वे खाद्य पदार्थ, जिनमें प्यूरीन की मात्रा पाई जाती है। अक्सर उनका सेवन करने से यूरिक एसिड बढ़ जाता है। हांलाकि दही में प्यूरीन न के बराबर होता है। ऐसे में वे लोग जो शाकाहारी हैं, उन्हें दही के कारण इस समस्या का जोखिम कम होता है। वे लोग जो मांसाहारी है और आहार में नॉन वेज, ऑर्गन मीट, रेड मीट, मछली खाते हैं, उन्हें दही खाने से बचना चाहिए।
इससे शरीर में यूरिक एसिड बढ़ सकता है। इस समस्या से ग्रस्त लोगों को दही के अलावा टमाटर, ज्यादा मात्रा में साबुत अनाज और मशरूम खाने से भी बचना चाहिए। इन चीजों के साथ दही का इनटेक बढ़ाने से ये स्वास्थ्य समस्या गंभीर रूप ले सकती है।
जानें क्या कहता है आयुर्वेद
आयुर्वेद के अनुसार दही ब्लड को दूषित करती है और वात रस को प्रभावित करता है, जिसके चलते जोड़ों में दर्द व सूजन रहती है। दरअसल, आयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ अंकुर तंवर बताते हैं कि यूरिक एसिड की मात्रा को शरीर में कम करने के लिए डेयरी प्रोडक्टस से दूरी बनाने की सलाह दी जाती है। इसका असर पाचन पर भी दिखने लगता है। प्यूरीन रिच फूड्स के अवशोषण के दौरान शरीर में नेचुरल कंपाउड पाया जाता है, जो यूरिक एसिड का कारण बनता है।
किडनी ब्लड में मौजूद इस तत्व को फिल्टर करने का काम करती है। लेकिन जब इसकी मात्रा बढ़ जाती है, तो गुर्दे के काम में बाधा उत्पन्न होने लगती है। इस स्थिति को हाइपरयूरिसीमिया कहकर पुकारा जाता है।
पर दही के कुछ फायदे भी हैं (Curd benefits for health)
1. ब्लड प्रेशर को करे नियंत्रित
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार दही से हाई ब्लड प्रेशर का जोखिम कम हो जाता है। पोटेशियम और कैल्शियम से भरपूर होने के चलते ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखा जा सकता है। इसके सेवन से शरीर को विटामिन, मिनरल और राइबोफलेविन की प्राप्ति होती है। इसके अलावा हृदय रोगों की समस्या हल हो जाती है।
2. इम्यून सिस्टम को करे बूस्ट
विटामिन डी के अलावा दही में जिंक, सिलेनियम और मैग्नीशियम की मात्रा पाई जाती है। इससे मौसमी संक्रमण को दूर करके रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जा सकता है। साथ ही शरीर में बढ़ने वाली इंफ्लामेशन को भी कम किया जा सकता है।
3. गट हेल्थ का रखें ख्याल
इसके सेवन से गट में गुड बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ने लगती है। इससे पाचन मेंं सुधार होता है और शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों का रिलीज़ करने में मदद मिलती है। इसके अलावा वे लोग जो एसिडिटी, ब्लोटिंग और अपच का शिकार है, ये उनके लिए भी कारगर है।
4. वेटलॉस में कारगर
आहार में प्रोटीन की मात्रा को शामिल करने से एपिटाइट को नियंत्रित किया जा सकता है। इससे शरीर में एनर्जी का स्तर बना रहता है और कैलोरीज़ को जमा होने से भी रोका जा सकता है। वे लोग जो नियमित रूप से इसका सेवन करते है, उन्हें एक्स्ट्रा चर्बी को बर्न करने में मदद मिलती है।
अगर यूरिक एसिड की समस्या है तो कैसे करें दही का सेवन (How to consume curd in high uric acid)
एक्सपर्ट के अनुसार बार बार बढ़ने वाली यूरिक एसिड की समस्या से बचने के लिए डेसरी प्रोडक्टस से परहेज करें। साथ लो फैट मिल्क से तैयार दही का सेवन करें। इससे शरीर में प्रोटीन के स्तर को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा खट्टे दही का सेवन करने से शरीर में प्रोबायोटिक्स का स्तर बढ़ता है, जिससे गट हेल्थ को मज़बूती मिलती है। नॉन वेजिटेरियन होने पर दही का सेवन न करें क्यों कि इससे प्यूरीन का स्तर बढ़ने लगता है।
यूरिक एसिड कम करने के लिए चीजों का रखें ध्यान (Tips to control uric acid)
1. अल्कलाइन वॉटर पीएं
नियमित रूप से अल्कलाइन पानी पीने से शरीर में मौजूद यूरिक एसिड को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार अल्कलाइन वॉटर बॉडी में फ्लूइड पीएच को रेगुलेट करता है। इससे गाउट से राहत मिलती है।
सेब का सिरका लें
2. सेब का सिरका
सेब के सिरके में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लामेटरी गुण पाए जाते हैं। इसमें मौजूद मैलिक एसिड यूरिक एसिड के स्तर को नियंत्रित बनाए रखता है। इसे पीने के लिए एक गिलास गुनगुने पानी में 1 चम्मच सिरका घोलकर पीएं। इससे स्वास्थ्य को फायदा मिलता है।
3. बादाम और अखरोट का सेवन करें
जहां बादाम में मैग्नीशियम पाया जाता है, तो वहीं अखरोट को खाने से शरीर को एंटी इंफ्लामेटरी प्रॉपर्टीज़ की प्राप्ति होती है। इसमें एंटीऑक्सीडेंटस पाए जाते है, जिससे शरीर फ्री रेडिकल्स के प्रभाव से मुक्त रहता हैं। इन लो प्यूरीन फूड्स से शरीर स्वस्थ रहता है।
4. गाजर और चुकंदर का जूस पीएं
गाजर में चुकंदर को मिलाकर जूस पीएं। इससे शरीर को फाइबर की प्राप्ति होती है। साथ ही यूरिक एसिड को बढ़ाने वाले एंजाइम्स की मात्रा को कम किया जा सकता है। साथ ही सेल रीजनरेशन में भी मदद मिल जाती है।