रक्त (Blood) जीवन का सार है और हेल्थ केयर सेवाओं के लिए यह सबसे अधिक महत्वपूर्ण अवयव है। हर साल 14 जून को स्वैच्छिक रक्तदान दिवस (World Blood Donor Day) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन रक्तदान को प्रोत्साहन दिया जाता है और लोगों से अपील की जाती है कि वे रक्तदान कर जीवनदान दें। इन आयोजनों के माध्यम से सुरक्षित रक्त और रक्त उत्पादों के बारे में जागरूकता पैदा की जाती है और रक्तदान करने वालों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है। इसके बावजूद रक्दान के बारे में लोगों में कुछ मिथ्स प्रचलित हैं। आइए इस रक्तदान दिवस (Myths about blood donation) उन्हीं मिथ्स की सच्चाई जानें।
विश्व रक्तदान दिवस कार्ल लैंडस्टीनर की जयंती (karl landsteiner birthday) पर मनाया जाता है, जिनका जन्म 14 जून, 1868 को हुआ। लैंडस्टीनर आस्ट्रियन बायोलॉजिस्ट, फिजिशियन और इम्योनोलॉजिस्ट थे। उन्हें एबीओ ब्लड ग्रुप सिस्टम की खोज के लिए 1930 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस 2022 के विश्व रक्तदान दिवस के लिए नारा है, ”रक्तदान करना एकजुटता प्रकट करने का प्रतीक है। आइये इस प्रयास में शामिल होकर जीवन बचाएं।” (World Blood Donor Day 2022: Donating blood is an act of solidarity. Join the effort and save lives)
इस नारे के साथ जीवन बचाने और समुदायों के बीच एकजुटता को बढ़ावा देने में स्वैच्छिक रक्तदान करने वालों की भूमिका की ओर ध्यान आकर्षित किया जा रहा है। पिछले वर्षों में रक्तदान के बढ़ते चलन के बावजूद भारत जैसे विकासशील देशों में रक्त सेवाओं को रक्त की कमी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में इस मौके पर देखें कि रक्तदान से जुड़ी भ्रांतियां (myths about blood donation) क्या हैं और हकीकत क्या है।
सत्य : जब सुई शरीर में जाती है, तो हल्की चुभन होती है लेकिन यह बहुत हल्की और बहुत कम समय तक रहती है। रक्तदान के समय या कुछ देर बाद आप थोड़ी हरारत या सिर में हल्कापन सा महसूस कर सकते हैं।
सत्य : पंजीकरण या उसकी जांच में अलग-अलग समय लगता है, लेकिन रक्तदान में कुल मिलाकर 8 से 10 मिनट ही लगते हैं। पंजीकरण के समय निजी सूचनाएं देनी होती हैं, जिन्हें गोपनीय रखा जाता है। इसके बाद रक्तदान विशेषज्ञ आपकी सूचनाओं के बारे में जांच करते हैं। पेय या जलपान के बाद कुछ समय में उबर कर आप जा सकते हैं। इस सब में हद से हद 40 मिनट लगते हैं।
सत्य : ब्लड स्टेराइल तकनीक से समुचित एंटीसेप्टिक्स और डिसइंफेक्टेंट्स के साथ लिया जाता है। सभी सुईं स्टेराइलज की जाती हैं और एक बार ही इस्तेमाल की जाती हैं। ऐसे में रक्तजनिक इंफेक्शन की कोई आशंका नहीं रहती।
सत्य : शोध से यह साबित हो चुका है कि कोविड-19 रक्तदान या रक्त देते समय नहीं होता।
सत्य : किसी रक्तदान से पहले उंगली में सुईं चुभाकर हेमोग्लोबिन की जांच की जाती है और यह सुनिश्चित किया जाता है कि रक्तदान सुरक्षित है या नहीं। यदि हेमोग्लोबिन (Hemoglobin) कम पाया जाता है, तो उस दिन रक्त नहीं लिया जाता। ऐसे व्यक्ति को आयरन सप्लीमेंट्स और हरी सब्जियां लेने की सलाह दी जाती है।
सत्य : यदि रक्तदाता नियंत्रित ब्लड शूगर के साथ मुहं से हाइपोग्लाइसेमिक दवाएं लेता है तो वह रक्तदान कर सकता है। लेकिन इंसुलिन लेने वाले से रक्तदान नहीं कराया जाता।
सत्य : यदि रक्तदाता नियंत्रित रक्तचाप के साथ नियमित रूप से ब्लड प्रेशर की दवा ले रहा है और उसकी दवा में 1 माह से कोई परिवतर्न नहीं हुआ है तो रक्तदान कर सकता है।
अपनी रुचि के विषय चुनें और फ़ीड कस्टमाइज़ करें
कस्टमाइज़ करेंसत्य : रक्त धीरे धीरे खुद ब खुद बन जाता है। शरीर में रक्तदान के बाद जो प्लाज्मा चला जाता है वह 24 घंटे में फिर बन जाता है। लाल रक्त कण 4 से 6 सप्ताह में उसी स्तर पर आ जाते हैं। ऐसे में पुरुष हर 3 माह में और महिलाएं हर 4 चार माह बाद रक्तदान कर सकती हैं।
सत्य : कोविड का कोई भी टीका लगाया हो, उसके 14 दिन बाद रक्तदान किया जा सकता है।
सत्य : यह सबसे बड़ा झूठ और भ्रांति है। आप आगे बढ़कर रक्तदान करें क्योंकि यह एकजुटता दिखाने का श्रेष्ठ तरीका है। आइये, जीवन रक्षा करने के प्रयासों में शामिल हों।
यह भी पढ़ें – बिना किसी खास लक्षण के आपके पालतू कुत्ते या बिल्ली में भी फैल सकता है कोरोनावायरस: शोध