कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) की मात्रा को कम करने के लिए हम कई प्रकार के तेलों का इस्तेमाल करते हैं। मगर अलग अलग तरह के तेल के इस्तेमाल से बनने वाला खाना कोलेस्ट्रॉल लेवल (Cholesterol level) को कम करने की बजाय कई बार बढ़ाने लगता है। कारण लगातार तेल की मात्रा, एक ही तेल का इस्तेमाल या बार बार एक ही बर्तन में रखे तेल को प्रयोग करना। ऐसे में अपनी मील से फैट का भगाने के लिए तेल की क्वालिटी और क्वांटिटी पर ध्यान देना बेहद ज़रूरी है। आइए जानते हैं कि कैसे कुकिंग ऑयल खराब कोलेस्ट्रॉल (Bad Cholesterol) का कारण बन सकते हैं। साथ ही जानते हैं लो कोलेस्ट्रॉल तेल के बारे में सब कुछ (low cholesterol cooking oil) ।
इस बारे में हेल्थ शॉटस को जानकारी दे रही हैं, कार्डियक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट और इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, कार्डियक पेसिंग और इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी विभाग इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल नई दिल्ली की सीनियर कंसल्टेंट, डॉ. वनिता अरोड़ा।
इस बारे में बताते हुए डॉ विनीता कहती हैं कि कोई भी आयल हो उसे एक सीमित मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिए। अगर आप ज्यादा मात्रा में कोई भी तेल इस्तेमाल करेंगे, तो उसे शरीर को नुकसान अवश्य पहुंचेगा। सप्ताह भर में तेल को ऑल्टरनेट दिनों के हिसाब से प्रयाग में लाएं। एक दिन सरसों का तेल, तो अगले दिन ऑलिव ऑयल (olive oil) और फिर कोई और तेल।
डॉ विनीता के हिसाब से एक तरह का तेल लगातार इस्तेमाल करने से आपकी आर्टरीज़ में ब्लॉकेज (blockage in arteries) का खतरा बना रहता है। कॉलेस्ट्रॉल हमारी हार्ट की आर्टरीज़ को डैमेज करने का काम करता है। इससे ब्लड सैलेज में एग्रीग्रेशन से ब्लॉकेज होती है, जो हार्ट अटैक कारण बन सकता है। कॉलेस्ट्रॉल के बढ़ने से वो सारी नाड़ियों जैसे हाथों, पैरों और टांगों में डिपोजिट होने लगता है।
नूट्रिशनिस्ट मुग्धा प्रधान, सीईओ एंड फाउंडर, आइ थ्राइव का कहना है कि ऑयल कोलेस्ट्रॉल के स्तर और अन्य लिपिड मार्करों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। खाना पकाने के लिए सेचुरेटिड फैटस सबसे बेहतर हैं, जो घी, मक्खन और नारियल तेल में पाए जाते हैं। दरअसल, ये हीट स्टेबल होते है। साथ ही ये आसानी से ऑक्सीडाइज़ नहीं होते और न ही हीटिंग के दौरान हाइली टाक्सी टरांस फैटी एसिड को रिलीज़ करते है। संतृप्त वसा एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाते हैं जिसे ष्खराब कोलेस्ट्रॉल के रूप में पहचाना जाता है।
कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए तेल यानि फैट्स के सेवन में भारी कटौती करना ज़रूरी है। दरअसल, डाइटरी फैट कोलेस्ट्रॉल से जुड़े होते हैं। इससे शरीर में हृदय रोग और स्ट्रोक का जोखिम बना रहता है। विशेषज्ञों की मानें, तो खाने में कोताही बरतने से शरीर का नुकसान होना संभव है।
द माम्स गाईड मील मेकओवर्स के सह संपादक बिसेक्स का कहना है कि फैट और तेल ओमेगा .3 फैटी एसिड के तौर पर शरीर के लिए फायदेमंद है। जो आपके दिल के लिए अच्छे हैं। दरअसल, फैट शरीर में और उसके आसपास विटामिन ए, डी, ई और के को स्थानांतरित करता है, जो खाने में संतुष्टि पैदा कर भूख मिटाने का भी काम करता है।
नूट्रिशनिस्ट मुग्धा प्रधान का कहना है कि सेचुरेटिड फैट ब्लॉक्ड रक्त वाहिकाओं के जोखिम को बढ़ाता है। ये खासतौर से मक्खन, पनीर, आइसक्रीम और पूरे दूध सहित फुल फैट वाले डेयरी खाद्य पदार्थों में पाया जाता है। नारियल का तेल, ताड़, ताड़ कर्नेल तेल, और कोकोआ मक्खन भी बड़ी मात्रा में सैचुरेटिड फैट की आपूर्ति करते हैं। मगर वो कोलेस्ट्रॉल से मुक्त होते हैं।
डॉ विनीता कहती हैं कि खाने में मसटर्ड ऑयल बहुत फायदेमंद होता है। औषधीय गुणों से भरपूर सरसों का तेल त्वचा पर फंगल इंफे्क्शन, सूजन, सर्दी खांसी को कम करके पाचन शक्ति को बढ़ाने का काम करता है। सरसों का तेल शरीर में जाकर एक दा के रूप में काम करता है। इसके सेवन से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।
रिसर्च गेट की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लगभग 67 फीसदी आबादी उत्तर, उत्तर.पूर्व और पूर्वी क्षेत्रों में तीन खाद्य तेलों सरसों का तेल, ताड़ का तेल और सोयाबीन तेल का खासतौर से इस्तेमाल करती है। इनमें से सबसे ज्यादा आबादी सरसों के तेल को प्रमुखता देती है। सरसों के तेल की शुद्धता ही इसके स्वाद में इज़ाफा करती है। खाद्य तेल के उत्पादन में यह विश्व स्तर पर 12 प्रतिशत और देश में 80 प्रतिशत योगदान देता है। राजस्थान में सरसों की सबसे ज्यादा पैदावार होती है। जहां से भारतवर्ष में 50 प्रतिशत से ज्यादा तेल की सप्लाई होती है।
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