कपूर भारतीय घरों में पूजा के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली एक जरूरी सामग्री है। सफेद रंग की छोटी टिक्कियों में उपलब्ध कपूर एक अद्भुत सुगंध लिए रहते हैं। यह बहुत जल्दी आग पकड़ता है। इसलिए हवन और आरती के दौरान इसका इस्तेमाल किया जाता है। इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल कुछ पोस्ट में कपूर को घर के वातावरण को शुद्ध (does camphor purify air) बनाने वाला बताया जा रहा है। क्या वाकई कपूर जलाने से घर का वातावरण शुद्ध हो जाता है? यह मिथ (Myths about kapoor aka camphor) है या फैक्ट? आइए एक विशेषज्ञ से जानते हैं।
पबमेड सेंट्रल मे 2022 प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक कैम्फर का पेड़ (Cinnamomum camphora) एक सजावटी पौधा है जिसे लंबे समय से लकड़ी या कपूर प्राप्त करने के लिए उगाया जा रहा है। इसके अलावा,पत्तियों से पाया जाने वाले इसका तेल भी इस्तेमाल किया जा सकता है। यह इत्र का एक महत्वपूर्ण सोर्स है। कपूर, जो पेड़ों से प्राप्त होता है, का लंबे समय से अन्य चिकित्सा प्रणालियों में सूजन,इन्फेक्शन, मांसपेशियों के दर्द और त्वचा में जलन के उपचार के लिए उपयोग किया जाता है।
इसकी सुगंध भक्ति और आध्यात्मिकता के भावों को जगाने में मदद करती है। हिंदू मान्यता के अनुसार कपूर को जलाने के कई लाभ हैं। पारंपरिक रूप से नकारात्मकता को दूर करने, वातावरण को शुद्ध करने और घर में एक शांतिपूर्ण माहौल बनाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। लोगों का विश्वास है कि पूजा करते हुए कपूर जलाने से घर मे सुख समृद्धी और सफलता प्रतीक है। साथ ही इस से वास्तु दोष दूर करने के लिए भी लाभदायक समझा जाता है।
पबमेड सेंट्रल मे 2023 अपनी रिसर्च पर पुनः अध्ययन करते हुए बताता है कि कपूर का टॉपिकल उपयोग ऐतिहासिक रूप से पूर्वी एशिया में दर्द, सर्दी के लक्षण और खुजली को कम करने के लिए किया जाता रहा है। हालांकि, इनका पश्चिमी चिकित्सा में पर्याप्त अध्ययन नहीं हुआ है, जिससे इन्हें कम पहचाना जाता है। दर्द, खुजली और सर्दी के लक्षण सामान्य समस्याएं हैं, और गैर-ओपियॉइड उपचार विकल्पों की बढ़ती आवश्यकता को देखते हुए, इसकी भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। इसकी प्रभावशीलता पर और अध्ययन करना जरूरी है ताकि इसके फायदों को सही तरीके से समझा जा सके।
कपूर में एंटी-इन्फ्लेमेटरी विशेषताएं होती हैं, जो सूजन को कम करने या रोकने में मदद करती हैं। इसका उपयोग तब होता है जब शरीर में किसी चोट या इन्फेक्शन केे कारण सूजन होती है।
कपूर खांसी और जुकाम के लिए फायदेमंद होता है क्योंकि इसकी महक से नौस्ट्रिल्स खुलते हैं, जिससे सांस लेने में राहत मिलती है।
कपूर का उपयोग मांसपेशियों के दर्द और ऐंठन को कम करने के लिए किया जाता है क्योंकि इसक तेल लगाने से ब्लड फ्लो बढ़ता है और मसल्स को राहत मिलती है।
कपूर का तेल त्वचा की जलन और खुजली को कम करने में मदद करता है क्योंकि इसमें एंटीसेप्टिक गुण होते हैं। जब इसे त्वचा पर लगाया जाता है, तो यह जलन और खुजली को कम करता है।
कपूर की खुशबू मानसिक तनाव और एग्जाइटी को कम करने में मदद कर सकती है। नींद को सुधारने में भी लाभदायक होती है, जिससे बेहतर आराम मिलता है।
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कस्टमाइज़ करेंडॉ. नितिन राठी कपूर के किसी भी तरह के लाभ से इन्कार करते हुए कहते हैं कि हमारे पास अभी तक ऐसा कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है, जो कपूर जलाने से एयर पॉल्यूशन दूर होने का समर्थन करता हो।
डॉ राठी धर्मशिला नारायणा हॉस्पिटल, दिल्ली के पल्मोनॉलॉजी डिपार्टमेंट में सीनियर कंसल्टेंट हैं। वे कहते हैं कि “कपूर जलाने से मनमोहक खुशबू उत्पन्न तो होती है, परंतु हवा शुद्ध होती हो ऐसा नहीं है। बल्कि श्वसन संबंधी समस्याओं वाले और अस्थमा रोगियों के लिए इसके धूएं के आसपास होना खतरनाक हो सकता है।”
इसी में डाॅ नितिन आगे जोड़ते है कि “कपूर का ऊपरी तौर पर इस्तेमाल हानिकारक नहीं है। पर साइंटिफिक नजरिये से देखा जाए, तो कपूर जलाने से जो धुआं होता है, उसमें पार्टिकुलेट मैटर यानी ऐसे सूक्ष्म कण होते हैं, जो हवा को अधिक प्रदूषित भी कर सकते हैं। इन कणों के लगातार संपर्क में आने से अस्थमा और अन्य सांस संबंधी समस्याओं को बढ़ा सकता है। विशेष रूप से जिन लोगों को पहले से यह बीमारियां हैं, जैसे कि अस्थमा या सी.ओ.पी.डी, उनके लिए ये धुआं अधिक हानिकारक हो सकता है। इसलिए, कपूर जलाने से हवा को शुद्ध करने का जो दावा किया जाता है, वह हवा की गुणवत्ता में सुधार की बजाय इसके विपरीत भी प्रभाव डाल सकता है।
इसीलिए इसके फायदे और नुकसान का ध्यान रखें। भले ही कपूर को लेकर कुछ मान्यताएं चली आ रही हैं कि इससे प्रदूषण नहीं होता और वायु शुद्ध रहती है, इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है। इसलिए, अगर आपको कपूर जलाने की जरूरत है, तो इसे कम समय के लिए और उचित वेंटिलेशन वाले स्थानों पर ही जलाएं और सांस से संबंधित समस्याओं वाले लोगों को इससे दूर रखें।
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