अब वह समय गया जब बच्चे अपना ज्यादातर समय बाहर बिताते थे। आज स्थिति कुछ अलग दिखती है – वे स्मार्टफोन या किसी दूसरे गैजेट की स्क्रीन से चिपके रहते हैं। कोविड -19 महामारी के दौरान इस प्रवृत्ति में और भी इजाफा हुआ है। ऑनलाइन पढ़ाई हो या मनोरंजन वे सभी चीजों के लिए किसी न किसी गैजेट पर निर्भर हैं। इससे उनकी आंखों पर अनावश्यक दबाव पड़ता है। तो, क्या कोई टिप है जो मदद कर सकती है?
अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल, करोल बाग, दिल्ली के नेत्र रोग विशेषज्ञ, डॉ अश्विनी सेठ हेल्थशॉट्स को इसके बारे में बताते हुए कहा, “धूप सेंकने से बच्चों की दृष्टि में सुधार हो सकता है। वे बच्चे जो बाहर हैं और दिन के उजाले के संपर्क में हैं, उनमें निकट दृष्टिदोष विकसित होने का जोखिम कम हो सकता है।
क्या आप जानते हैं कि उज्ज्वल बाहरी प्रकाश बच्चों की विकासशील आंखों को लेंस और रेटिना के बीच सही दूरी बनाए रखने और दृष्टि को फोकस में रखने में मदद करता है। बेहतर दृष्टि के लिए 15 मिनट तक सूर्य को निहारें। धूप सेंकने की कोशिश करें।
सेठ आगे सुझाते हैं “क्या आप जानते हैं कि कुछ खाद्य पदार्थ खाने से बच्चे की दृष्टि में सुधार करने में मदद मिलेगी। हां यह सही हैं! विटामिन ए, सी, और ई, ओमेगा -3 फैटी एसिड और जिंक से भरपूर खाद्य पदार्थों को बच्चों की डाइट में शामिल करने का प्रयास करें।
हरी पत्तेदार सब्जियां विटामिन ए से भरपूर होती हैं। इनमें अन्य विटामिन और खनिज जैसे कैल्शियम, विटामिन सी और बी 12 भी होते हैं जो आंखों के लिए अच्छे हैं।”
आपके बच्चे को पालक, ब्रोकली और केल जरूर खाना चाहिए। अन्य रंगीन सब्जियों जैसे गाजर और शकरकंद में बीटा-कैरोटीन होता है और यह रेटिना को स्वस्थ रखता है। पिस्ता, काजू, बादाम, अखरोट और मूंगफली विटामिन ई से भरपूर होते हैं और बच्चों में मायोपिया के खतरे को कम करते हैं।
साबुत अनाज में नियासिन जैसे दृष्टि के अनुकूल पोषक तत्व होते हैं। अंडे में ल्यूटिन होता है, एक एंटीऑक्सीडेंट जो मैकुलर डिजनरेशन से लड़ता है।
संतुलित आहार के साथ-साथ रोजाना व्यायाम करना भी जरूरी है। ऐसा करने से बच्चे को पूरे शरीर में रक्त और ऑक्सीजन के प्रवाह को बनाए रखने में मदद मिल सकती है और आंखों के स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।
सेठ बताती हैं “यदि आपका बच्चा अभी तक व्यायाम नहीं कर रहा है, तो उसे तुरंत ऐसा करने के लिए कहें! दृष्टि को अक्षुण्ण रखने के लिए व्यायाम अवश्य ही लाभकारी होगा। नियमित कसरत के अलावा, आंखों के व्यायाम भी कर सकते हैं और दृष्टि को बढ़ा सकते हैं। आंखों के व्यायाम के बारे में किसी विशेषज्ञ से बात करें जो आपके बच्चों के लिए उपयुक्त हों।
“क्या आपका बच्चा स्मार्टफोन जैसे इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स का आदी है? आपको सतर्क रहना होगा और बच्चे के स्क्रीन टाइम को सीमित करना होगा। लगातार वीडियो गेम खेलना, वीडियो देखना और दोस्तों को टेक्स्ट मैसेज करना आपके बच्चे को नीली रोशनी के संपर्क में लाता है। जिससे आंखों पर डिजिटल दबाव पड़ सकता है।
इसलिए, सुनिश्चित करें कि बच्चा अनुशंसित समय से अधिक समय तक खुद को इन गैजेट्स के संपर्क में नहीं रखता है।
बच्चों के लिए एक समय सीमा निर्धारित करें और सुनिश्चित करें कि वे निर्देशों का ध्यानपूर्वक पालन करें। यदि बच्चा इलेक्ट्रॉनिक गैजेट का उपयोग कर रहा है, तो इस बात का ध्यान रखें कि वह बार-बार ब्रेक लेता/लेती है।
क्या आप अपने बच्चों की नियमित आंखों की जांच को छोड़ देते हैं? इसे हल्के में न लें! अपने बच्चों की आंखों की जांच के लिए हर छह महीने के बाद अपने बच्चों को किसी विशेषज्ञ के पास ले जाना समय की मांग है।
यदि आपका बच्चा सिरदर्द, और विकृत दृष्टि की शिकायत करता है, तो उसे मायोपिया (नज़दीकीपन), या हाइपरोपिया (दूरदृष्टि), या एंबीलिया जो आंखों की सुस्ती है, के लक्षण हो सकते हैं। किसी नेत्र रोग विशेषज्ञ से इसका ठीक से मूल्यांकन करवाएं। इन सभी रेड फ्लैग की उपेक्षा न करें, क्योंकि ये भविष्य में आंखों की गंभीर समस्या पैदा कर सकते हैं।
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