कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं जिनके लक्षणों को हम और आप अकसर समझने में भूल करते हैं। कई बार दस्त,थकान और पेट दर्द जैसी समस्याओं को आम समझकर नजरअंदाज करने लगते हैं। लेकिन ये कई बार गंभीर बीमारियों के भी संकेत हो सकते हैं। ऐसी ही एक बीमारी है इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (Inflammatory bowel disease)। जिसमें जरा सी भी लापरवाही आपको भारी पड़ सकती है। जानिए इस बारे में सब कुछ।
इंफ्लेमेटर बाउल डिजीज (आईबीडी) आंतों के विकारों के एक समूह को दर्शाता है जो हमारे पाचन तंत्र की लंबी सूजन का कारण बन जाते हैं। इसमें क्रोहन डिजीज और अल्सरेटिव कोलाइटिस शामिल है। इन दोनों रोगों के आम लक्षणों में दस्त, दर्द, काफी तेजी से वजन घटना और थकान शामिल है।
क्रोहन डिजीज मुंह और गुर्दे के बीच किसी भी पाचन तंत्र के हिस्से को प्रभावित कर सकता है। हालांकि आमतौर पर यह आंत और कोलन के अंतिम भाग में विकसित होता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज एंड डाइजेस्टिव एंड किडनी डिजीज के अनुसार, इंफ्लेमेटर बाउल डिजीज में क्रोहन डिजीज एक आम समस्या है, जो ज्यादातर अमेरिकंस को होती है। भारत में भी यह बीमारी कम नहीं है। यह बताते हैं कि ज्यादातर यह रोग 20 से 29 साल की आयु के लोगों को होती है।
अल्सरेटिव कोलाइटिस भी एक स्थिति है जिसमें बड़ी आंत और कोलन (colon) में सूजन होने लगती है।अल्सरेटिव कोलाइटिस को इसकी स्थिति और गंभीरता के आधार पर अलग-अलग वर्गों में बांट दिया गया है। जिसमें :
इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज के सटीक कारणों के बारे में जानकारी नहीं सामने आई है। खाना कि ऐसे कई कारक हैं उसके पीछे के कारण बन सकते हैं। जैसे :
कई प्रकार की बीमारियों से लड़ने के लिए हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली काफी जरूरी होती है। यह हमारे शरीर को कई लोग जिनको से बचाती हैं जो संक्रमण का कारण बन सकते हैं।पाचन तंत्र में सूजन हो जाती है क्योंकि शरीर आक्रमणकारियों के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया बनाने की कोशिश करता है। कमजोर इम्यूनिटी इसके पीछे का कारण हो सकती है।
पाचन तंत्र में सूजन के विकास के लिए धूम्रपान मुख्य जोखिम कारकों में से एक है। धूम्रपान क्रोहन रोग से जुड़े दर्द और अन्य लक्षणों को भी बढ़ाता है। इससे जटिलताओं का खतरा भी बढ़ जाता है।
एनसीबीआई केडा के अनुसार साल 2015 में की गई एक स्टडी में पाया गया कि इस बीमारी के पीछे का कारण पारिवारिक हिस्ट्री और जेनेटिक्स भी हो सकता है।
हर चिकित्सा में इस समस्या का इलाज मौजूद है। यदि शुरू में ही इसका इलाज न कराया जाए, तो यह काफी परेशानी का कारण बन सकता है और बड़े चिकित्सा उपाय की नौबत भी आ सकती है। इसके कई घरेलू और आयुर्वेदिक उपाय भी मौजूद है जो मददगार साबित हो सकते हैं।
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