लाइफस्टाइल के कारण लगातार बढ़ने वाली बीमारियों में से डायबिटीज एक गंभीर बीमारी है। ब्लड शुगर लेवल बढ़ने पर कई और तरह की बीमारियां भी होने लगती हैं। डायबिटीज होने पर सबसे अधिक खतरा हार्ट डिजीज का बढ़ जाता है। विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर किसी व्यक्ति को मधुमेह है, तो उसे दिल का दौरा (diabetic heart attack) या हार्ट स्ट्रोक (Heart Stroke) का जोखिम बढ़ जाता है। ये दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। आइये सबसे पहले विशेषज्ञ से जानते हैं कि डायबिटीज कैसे हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ा देता है।
प्राइमस सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, डॉ.विकास चोपड़ा बताते हैं, “असंतुलित खान-पान और व्यस्त जीवनशैली, ज्यादा वजन के कारण डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल का खतरा बढ़ जाता है। ये सभी रोग एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं, जो बाद में हार्ट अटैक का कारण बन सकते हैं।
यदि आप अपने दिल की रक्षा करना चाहती हैं, तो सबसे पहले ब्लड शुगर को नियन्त्रण में रखना होगा। डायबिटीज के मरीज दिल और रक्त वाहिकाओं को स्वस्थ रख कर दिल का दौरा या स्ट्रोक होने की संभावना को काफी हद तक कम कर सकते हैं।
पिछले 3 महीनों में यदि आपका ब्लड शुगर कम-ज्यादा होता रहा है, तो यह आपके लिए खतरे की घंटी है। ब्लड शुगर नियन्त्रित नहीं रहने पर हार्ट, ब्लड वेसल्स, किडनी, पैर और आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है। ब्लड शुगर कम-ज्यादा होने पर आपका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। इसके कारण हार्ट को बहुत अधिक मेहनत करनी पड़ती है। हाई ब्लड प्रेशर ही दिल का दौरा या स्ट्रोक का कारण बन जाता है।
ब्लड शुगर के कारण हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल हो सकता है। कोलेस्ट्रॉल ब्लड में पाए जाने वाले फैट का एक रूप है, जो दिल का दौरा या स्ट्रोक का कारण बन सकता है।
रीजेंसी हेल्थ हॉस्पिटल, कानपुर में कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजी डॉ. अभिनीत गुप्ता बताते हैं, धूम्रपान भी हार्ट अटैक के लिए एक बड़ा कारण हो सकता है। धूम्रपान और मधुमेह दोनों ही ब्लड वेसल्स को संकीर्ण (Blockage) करते हैं। इसलिए आपके हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है।
मधुमेह होने पर तनावग्रस्त, उदास, अकेला या क्रोधित महसूस करना आम बात है। लंबे समय तक तनाव में रहने पर यह ब्लड शुगर लेवल और ब्लड प्रेशर, दोनों को बढ़ा सकता है। इसके कारण हार्ट में समस्या होना लाजिमी है। इसलिए हर हाल में तनाव को कम करें। गहरी सांस लेने, बागवानी करने, सैर करने, योग करने, किसी प्रियजन के साथ बात करने, अपनी रुचि का काम करने या पसंदीदा संगीत को सुनने से भी तनाव को कम किया जा सकता है।
1 दवाएं उपचार योजना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। यदि आपको ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हार्ट हेल्थ संबंधी समस्या है, तो कभी-भी डॉक्टर की बताई दवा स्किप नहीं करें। 3-4 महीने बाद अपने एन्डोक्रिनोलोजिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट से जरूर मिलें।
2 ब्लड ग्लूकोज़ लेवल, हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित रखें। इससे ब्लड क्लॉट, दिल का दौरा या स्ट्रोक का जोखिम कम हो सकता है।
3 एनजाइना या सीने में दर्द होने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें। यह अक्सर हृदय रोग का लक्षण होता है। एनजाइना भी दिल का दौरा पड़ने का शुरुआती लक्षण हो सकता है।
4 डॉक्टर से पूछें कि क्या आपको रोजाना एस्पिरिन लेनी चाहिए या नहीं। क्योंकि एस्पिरिन हर किसी के लिए सुरक्षित नहीं होता है।
5 मधुमेह वाले कुछ लोगों में स्टैटिन दिल का दौरा या स्ट्रोक होने के जोखिम को कम कर सकते हैं। इसके अलावा, मधुमेह की कुछ दवाओं को दिल का दौरा पड़ने के बहुत अधिक जोखिम वाले रोगियों में दिल के दौरे और मृत्यु के जोखिम को कम करने के लिए दिखाया गया है। इसके बारे में भी डॉक्टर से परामर्श लें।
6 कोई भी नई दवा शुरू करने से पहले डॉक्टर से दवा के फायदे और साइड इफेक्ट के बारे में भी जानने की कोशिश करें।