आजकल की अनियमित जीवनशैली के चलते सेहत संबंधी समस्याएं भी तेजी से पैर पसार रही हैं। ब्लड प्रेशर से लेकर डायबिटीज तक जैसी गंभीर समस्याएं भी अब आम हो गई हैं। डायबिटीज (diabetes) अब ऐसी समस्या बन चुकी है जो कम उम्र के व्यक्तियों को भी तेजी से घेर रही है। ये ऐसी बीमारी है जो किसी को एक बार हो जाए तो धीरे-धीरे शरीर को कमजोर करने लगती है, जिससे शरीर को अन्य बीमारियां तेजी से घेरती हैं। शरीर में शुगर लेवल बढ़ने (sugar level increase) पर इसे कंट्रोल कर पाना भी मुश्किल हो जाता है। डायबिटीज ब्लड शुगर को तो बढ़ाता ही है, साथ ही साथ हड्डियों और जॉइंट्स को भी कमजोर करने लगता है, जिससे ऑस्टियोपोरोसिस (osteoporosis) यानी हड्डियों के पतले होने, घिसने और अर्थराइटिस की समस्या का खतरा बढ़ सकता है। इससे हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और फ्रैक्चर और जॉइंट पेन जैसी समस्याएं हो सकती हैं। चलिए जानते हैं कि डायबिटीज हड्डियों और जॉइंट्स को कैसे प्रभावित करती है।
श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, दिल्ली के प्रिंसिपल कंसलटेंट एंडोक्राइनोलॉजी एंड ओबेसिटी मेडिसिन, डॉ. साकेत कांत बताते हैं कि, मधुमेह न केवल ब्लड शुगर को बढ़ाता है, बल्कि यह हड्डियों और जोड़ों को भी कमजोर कर सकता है। जब शरीर में शुगर का स्तर लंबे समय तक बढ़ा रहता है, तो यह हड्डियों में कैल्शियम की मात्रा को कम कर सकता है, जिससे वे कमजोर और भंगुर हो जाती हैं। इससे ऑस्टियोपोरोसिस (हड्डियों के पतले और कमजोर होने) का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, डायबिटीज के कारण जोड़ों में सूजन आ सकती है, जिससे दर्द और जकड़न महसूस होती है।
कई मामलों में, हाई ब्लड शुगर शरीर के टिशूज़ और कार्टिलेज को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे गठिया जैसी समस्याएँ हो सकती हैं। डायबिटीज से प्रभावित नसों और रक्त वाहिकाओं के कारण हड्डियों और जोड़ों में सही मात्रा में पोषण नहीं पहुँच पाता, जिससे हीलिंग प्रक्रिया धीमी हो जाती है और छोटी चोटें भी जल्दी ठीक नहीं होतीं। लंबे समय तक अनियंत्रित शुगर रहने से बोन मिनरल डेंसिटी कम हो जाती है, जिससे फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है, खासकर रीढ़, कूल्हों और घुटनों में।
डायबिटीज से ग्रस्त लोगों को अपनी हड्डियों और जोड़ों की देखभाल के लिए नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए, कैल्शियम और विटामिन डी युक्त आहार लेना चाहिए, और शुगर लेवल को कंट्रोल में रखना चाहिए। अगर हड्डियों या जोड़ों में लगातार दर्द या जकड़न हो रही हो, तो इसे नजरअंदाज न करें और तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। सही खान-पान, नियमित व्यायाम और ब्लड शुगर को नियंत्रित रखकर हड्डियों को मजबूत रखा जा सकता है और जोड़ों की समस्याओं से बचा जा सकता है।
मधुमेह यानी डायबिटीज अब एक आम समस्या बन चुकी है, जिसकी सबसे बड़ी वजह है अनियमित लाइफस्टाइल और खान-पान। डायबिटीज हड्डियों और जॉइंट्स (Bones and Joints) की सेहत को भी काफी प्रभावित करती है। चलिए जानते हैं कि मधुमेह हड्डियों और जॉइंट्स में किस तरह की समस्याएं उत्पन्न कर सकती है।
डायबिटीज हड्डियों के बनने और टूटने के बीच के संतुलन को बिगाड़ देती है, जिससे धीरे-धीरे हड्डियों का घनत्व कम होने लगता (Bone density gradually decreases) है। इससे हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और आगे चलकर फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है।
ब्लड शुगर यानी हाइपरग्लाइसेमिया से लंबे समय तक परेशान होने के कारण जोड़ों में सूजन की समस्या पैदा (causing inflammation in the joints) हो जाती है, जिससे जोड़ों में दर्द, अकड़न की शिकायत होने लगती है। इसलिए, व्यक्ति को अपने सामान्य दैनिक कार्य करने में भी कठिनाई होने लगती है।
डायबिटीज के चलते जिस तरह सामान्य बीमीरियों से उबरने में भी समय लग जाता है, उसी तरह चोटों के भरने में भी देरी होती है। डायबिटीज के चलते शरीर में ब्लड फ्लो प्रॉपर नहीं रहता, जिसके चलते फ्रैक्चर (Blood flow is not proper, which leads to fracture)और जोड़ों की चोटों के ठीक होने में देरी होती है।
डायबिटीज के मरीजों में ऑस्टियोआर्थराइटिस (osteoarthritis) का खतरा ज्यादा होता है। खासतौर पर घुटनों में। इससे वजन बढ़ता है, सूजन होती है और जॉइंट्स को नुकसान पहुंचता है, जिससे जोड़ों में टूट-फूट की समस्या हो सकती है।
ब्लड में ग्लूकोज के बढ़ने से लिगामेंट कमजोर होने लगता है, जिससे डायबिटिक व्यक्ति में ऐसी लिगामेंट इंजर (Ligament Injuries) की आशंका ज्यादा हो जाती है, जिसके लिए तत्काल उपचार की जरूरत होती है।
डायबिटीज के चलते एडहेसिव कैप्सूलाइटिस (Adhesive Capsulitis) या फ्रोजन शोल्डर की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जिसके कारण कंधे के जोड़ में असहनीय दर्द और अकड़न की समस्या पैदा हो जाती है।
डायबिटीज के पेशेंट्स को अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है, क्योंकि ये स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याओं का खतरा भी बढ़ा देती है। तो चलिए जानते हैं कि डायबिटीज के मरीजों को अपनी हड्डियों और जॉइंट्स (Bones and Joints) का कैसे ख्याल रखना चाहिए।
अपनी हड्डियों और जॉइंट्स की सेहत का ख्याल रखने के लिए डायबिटीज के मरीजों को अपने खानपान का विशेष तौर पर ध्यान रखना चाहिए। ऐसे किसी भी खाद्य से दूर रहना चाहिए जो ग्लूकोज की मात्रा को तेजी से बढ़ाता है। डायबिटीज के मरीजों को कैल्शियम और विटामिन (Calcium and Vitamins) से भरपूर खाद्य का सेवन करना चाहिए।
डायबिटीज के मरीजों को अपनी डाइट में डेयरी प्रोडक्ट्स, मेवे, हरी पत्तेदार सब्जियां और अगर आप नॉन-वेजीटेरियन (Non-Vegetarian) हैं तो मछली का सेवन जरूर करना चाहिए। इससे बोन हेल्थ इंप्रूव होती है और हड्डियों और जॉइंट्स के दर्द में राहत मिलती है।
डायबिटीज के मरीजों को भूलकर भी चीनी और कार्बोहाइड्रेट से युक्त खाद्यों का सेवन नहीं करना चाहिए। क्रेविंग होने पर इसके अल्टरनेट तलाशें, लेकिन चीनी और कार्बोहाइड्रेट (Sugar and Carbohydrates) से दूर ही रहें।
डायबिटीज के मरीजों में वजन तेजी से बढ़ने लगता है, जिससे हड्डियों और जॉइंट्स भी प्रभावित होते हैं। इसलिए डायबिटीज के मरीजों को अपने रूटीन में पैदल चलना, फिजिकल एक्टिविटी और योग (Physical activity and yoga) को शामिल करना चाहिए। इससे वजन बढ़ने का खतरा दूर होता है और बोन हेल्थ इंप्रूव होती है।
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