मोटापा और टाइप 2 मधुमेह (डायबिटीज) ऐसे रोग हैं जो किसी भी प्रभावित व्यक्ति की औसत आयु को काफी कम कर सकते हैं, जीवन की गुणवत्ता को कम कर सकते हैं और स्वास्थ्य देखभाल में होने वाले खर्च को भी बढ़ा देते हैं। एक तरह की महामारी के तौर पर मोटापे और मधुमेह की घटनाओं में वृद्धि जारी है।
शब्द ‘डायबसिटी’ (Diabesity) मोटापे से संबंधित मधुमेह का वर्णन करने के लिए रचा गया है। 2019 में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के अनुसार, भारत में, 135 मिलियन से अधिक व्यक्ति मोटापे से प्रभावित थे, जिसमें 40 प्रतिशत से अधिक मोटापे के चलते मधुमेह से प्रभावित हुए या प्री-डायबिटीज से प्रभावित थे।
ऊंचाई और वजन को मापें और वार्षिक विजिट्स या अधिक बार बीएमआई की गणना करें। क्लीनिकल एडवाइज के आधार पर, जैसे कि कोमोरबिड हार्ट फेल या बिना किसी स्पष्ट कारण के तेजी से काफी अधिक वजन बढ़ने या कम होना, कई तरह से असर डालता है। ऐसे में वजन पर काफी अधिक सख्त निगरानी की जरूरत है और उसका बार-बार आकलन करने की भी जरूरत है।
टाइप 2 मधुमेह वाले रोगियों के लिए 5 प्रतिशत से अधिक वजन घटाने की सिफारिश की जाती है, जो कि अधिक वजन रखते हैं या मोटापे से प्रभावित हैं और वे वजन घटाने के लिए तैयार हैं। इस तरह के प्रयास काफी अधिक यानि (6 महीने में 16 सत्र) तक होने चाहिए और 500-750 किलो कैलोरी प्रतिदिन बर्न कर मोटापा कम करना चाहिए। इसके साथ ही अपने लाइफस्टाइल में भी व्यापक बदलाव करना चाहिए और उस पर बराबर नजर भी रखनी चाहिए।
चूंकि सभी एनर्जी-डेफिसिट वाले भोजन के सेवन से वजन कम होता है, इसलिए वजन घटाने को बढ़ावा देते हुए रोगी की प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेट की जरूरतों को पूरा करने के लिए खाने की योजना को व्यक्ति विशेष को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग बनाया जाना चाहिए।
तेजी से 5 प्रतिशत से अधिक वजन कम करने के लिए, अल्पकालिक (3-महीने) के लिए जो बदलाव किए जा सकते हैं, उनमें बहुत कम-कैलोरी वाला आहार (<800 कैलोरी प्रतिदिन) का उपयोग करना चाहिए और कुछ चुनिंदा रोगियों के लिए भोजन को भी बदला जाना चाहिए, हालांकि इस पूरी प्रक्रिया को काफी करीब से मेडिकल निगरानी के साथ प्रशिक्षित चिकित्सकों द्वारा निर्धारित किया जाना चाहिए।
उन रोगियों के लिए जो अल्पकालिक वजन घटाने के लक्ष्यों को प्राप्त करते हैं, लंबे समय तक (> 1 वर्ष) वजन रखरखाव कार्यक्रम शरीर के वजन की निगरानी (साप्ताहिक या अधिक बार) और अन्य स्व-निगरानी रणनीतियों को प्रोत्साहित करना चाहिए, जिनमें शारीरिक गतिविधियों को काफी अधिक बढ़ाना शामिल हैं जैसे कि प्रति सप्ताह 200-300 मिनट तक व्यायाम आदि करना।
टाइप 2 मधुमेह और अधिक वजन या मोटापे के रोगियों के लिए ग्लूकोज कम करने वाली दवाओं का चयन करते समय, वजन पर इसके प्रभाव पर विचार करें। वजन घटाने की दवाएं टाइप 2 मधुमेह और बीएमआई >27 किलोग्राम / एम 2 के साथ चयनित रोगियों के लिए जीवन शैली में बदलाव के लिए सहायक के रूप में प्रभावी हैं।
मौजूद समय में यूएसएफडीए द्वारा प्रमाणित ऑर्लीटैट, फेंटरमाइन/ टॉपिरामेट कॉम्बीनेशन, नाल्ट्रेक्सोन / बुप्रोपियन कॉम्बीनेशन और लिराग्लूटाइड जैसे विकल्प उपलब्ध हैं। हालांकि इनमें से कोई भी दवा भारत में वजन घटाने वाली दवा के रूप में अनुमति प्राप्त नहीं है।
टाइप 2 मधुमेह वाले रोगियों में, अध्ययनों से पता चला है कि जीएलपी-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट, वर्तमान में मुख्य रूप से एंटी-डायबिटिक एजेंट के रूप में उपयोग किया जाता है, और इससे भोजन का सेवन और भूख को भी कम करता है, जिससे अंतिम परिणाम के तौर पर वजन कम करने में मदद मिलती है। वहीं, लिराग्लूटाइड दवा भी इसी वर्ग के अंतर्गत आती है। एंटी-डायबिटिक, एसजीएलटी 2 इनहिबिटर्स, का एक और वर्ग, गुर्दे में ग्लूकोज उत्सर्जन (कैलोरी हानि) के माध्यम से सीधे शरीर के वजन घटाने का कारण बनता है।
एसजीएलटी 2 इनहिबिटर थेरेपी के साथ वजन घटाने को टाइप 2 मधुमेह में कई अध्ययनों में लगातार परिणाम देते हुए देखा गया है। इसलिए, एंटी-डायबिटीज के ये 2 नए वर्ग टाइप 2 मधुमेह में अधिक वजन और मोटापे के प्रबंधन में नई आशा प्रदान करते हैं।
भारतीयों के लिए, बैरियाट्रिक सर्जरी बीएमआई> 37.5 के साथ किसी भी मोटापे से संबंधित अन्य संबंधित रोगों या बीएमआई> 32.5 की उपस्थिति के बिना टाइप 2 मधुमेह की उपस्थिति के साथ जोड़ी जाती है। रोगी को वजन घटाने के पारंपरिक तरीकों को ट्राय करना चाहिए और कई बार वे असफल रहते हैं।
ऐसे में बैरिएट्रिक सर्जरी करवाने के लिए केवल 18-65 वर्ष की आयु के बीच ही विचार किया जाना चाहिए। मधुमेह और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जरी के प्रबंधन के बारे में जानकार और अनुभव वाले मल्टी-डिसप्लनरी टीमों के साथ उच्च-मात्रा वाले केंद्रों में बेरिएट्रिक सर्जरी की जानी चाहिए।
लंबे समय तक एक बेहतर और स्वास्थ्यवर्धक जीवनशैली और सर्जरी के बाद रोगियों को माइक्रोन्यूट्रेंट और पोषण संबंधी स्थिति की नियमित निगरानी प्रदान की जानी चाहिए।