कोविड-19 के समय में नाक से जुड़ी कई अन्य समस्याओं को जाने-अनजाने नजरंदाज किया जाता रहा है। जबकि कुछ ऐसी समस्याएं भी हैं, जिनका उपचार संभव होने के बावजूद लोग लंबे समय तक इसके बारे में नहीं जान पाते। ऐसी ही एक समस्या है डिफ्लेकटिड नेजल सेप्टम (Deflected nasal septum) या डेविएटेड सेप्टम (Deviated septum)। यह स्थिति कभी-कभी इतनी गंभीर हो जाती है कि नाक से ब्लीडिंग भी होने लगती है।
यह नाक के पर्दे या झिल्ली से जुड़ी समस्या है। यह नाक मार्ग के बीचों बीच पतली दीवार (नाक के पट) है, जो दोनों नाक के बीच स्थित होता है। डेविएटेड सेप्टम (Deviated septum) में यह सरक कर एक तरफ विस्थापित हो जाता है। जिससे एक और का नाक का छिद्र छोटा या बंद हो सकता है।
यह नाक को एक तरफ से ब्लॉक कर सकता है और एयरफ्लो को कम कर सकता है। जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है। कभी-कभी इसके कारण नाक से ब्लीडिंग भी होने लगती है।
एक या दोनों नथुने की रुकावट – रुकावट वाले नथुने से सांस लेने में मुश्किल हो सकती है। ख़ास तौर पर तब जब सर्दी या किसी तरह की एलर्जी हो।
नाकबंद – इससे नाक का भीतरी हिस्सा सूखने लगता है, जिससे नाक बंद होने का खतरा बढ़ जाता है।
दर्द – इसके कारण चेहरे के एक हिस्से में दर्द भी हो सकता है। जिसकी वजह नाक की भीतरी सतहों पर बनने वाला दबाव है।
खर्राटे – इंट्रानेजल ऊतकों में डेविएटिड सेप्टम के कारण सूजन या नींद में खर्राटे लेने की समस्या हो सकती है।
एक करवट सोने की मजबूरी – कुछ लोग रात में ठीक से सांस आती रहे, इसके लिए एक करवट सोने लगते हैं। मजबूरन इससे एक कंधे, गर्दन और पीठ में दर्द, करवट बदलने में मुश्किल और मांसपेशियों में अकड़न का सामना करना पड़ता है।
इससे नींद में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
यह समस्या तब होती है जब आपकी नाक के छिद्रों को विभाजित करने वाली बीच की झिल्ली की एक तरफ सरक जाती है। इसके कारण अलग-अलग हो सकते हैं।
जन्मजात – कुछ मामलों में, भ्रूण के विकास के दौरान यह हिस्सा विचलित होता है और इसका पता जन्म के समय लगता है।
नाक में चोट- यह चोट डिलीवरी के समय या बाद में खेल के दौरान लगी चोट भी हो सकती है।
सामान्यत: उम्र बढ़ने की प्रक्रिया नाक की संरचना को प्रभावित कर सकती है। जिससे कई बार यह स्थिति और भी चिंताजनक हो सकती है।
राइनसिनसाइटिस (Rhinitis) – नाक गुहाओं या साइनस गुहाओं की सूजन भी डेविएटिड सेप्टम का कारण हो सकती है। जिसके परिणामस्वरूप नाक में बाधा उत्पन्न हो जाती है।
जी हां इसका उपचार संभव है। इसके उपचार के दौरान दो लक्ष्य होते हैं – 1 लक्षणों का प्रबंधन, 2 नाक के पर्दे को यथा स्थिति में लाना। सबसे पहले जरूरी है लक्षणों का प्रबंधन। इस स्थिति से निपटने के लिए सबसे ज्यादा और सबसे पहले जरूरी है लक्षणों का प्रबंधन। इसके लिए –
डिकनजस्टेंट दवाएं – जो नाक के ऊतकों में सूजन को कम करती हैं। ये नाक के दोनों किनारों पर वायुमार्ग को खुला रखने में मदद होती है। एक गोली के रूप में या नेजल स्प्रे के रूप में ये उपलब्ध हैं। पर नेजल स्प्रे का प्रयोग करते समय खास सावधानी बरतनी चाहिए।
इसका लगातार और निरंतर उपयोग निर्भरता पैदा कर सकता है, जिससे लक्षण बदतर हो सकते हैं। ओरल डिकेंजेंस्टेट का उत्तेजक प्रभाव होता है। इससे आप नर्वस हो सकते हैं और साथ ही आपके रक्तचाप और हृदय गति में वृद्धि हो सकती है।
एंटीहिस्टामाइंस दवाएं – एलर्जी के लक्षणों को रोकने में मदद करती हैं, जो बंद या बहती नाक दोनों पर कारगर हैं। वे कभी-कभी सर्दी के साथ होने वाली गैर-एलर्जी स्थितियों में भी मदद कर सकती हैं। कुछ एंटीहिस्टामाइंस तंद्रा यानी उनींदेपन का कारण बन सकती हैं। जिससे ड्राइविंग व अन्य रूटीन में बाधा डाल सकती हैं।
सर्जिकल रिपेयर- सेप्टोप्लास्टी नामक विधि द्वारा परदे को बीचों बीच स्थापित किया जा सकता है।सर्जरी की सलाह बहुत बाद में दी जाती है, जब इसके लक्षणों का प्रबंधन मुश्किल लगता है। इसके लिए विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श आवश्यक है।
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