पानी में कोई कैलोरी नहीं होती (Zero calorie) और इसे डीटॉक्सीफाइंग पेय (Detox drink) माना जाता है। रासायनिक रूप से यह H2O कहलाता है और स्वास्थ्य की दृष्टि से यह कई तरह से फायदेमंद होता है। प्राकृतिक पेय के रूप में पानी को अलग-अलग स्रोतों जैसे कि खेतों, नदियों, उद्योगों, झीलों, महासागरों, कुंओं, भूजल, शहरी और कृषि क्षेत्रों में फालतू बचे जल आदि के रूप में प्राप्त और एकत्र किया जाता है। लेकिन एकत्र किया गया पानी पीने के लिए उपयुक्त नहीं होता। इसलिए पानी को शुद्ध करने के लिए आजकल आरओ तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। आइए जानते हैं इसके बारे में (Facts about RO water) कुछ जरूरी तथ्य।
अमूमन पानी में कई तरह की अशुद्धियां और प्रदूषक तत्व जैसे कि कंकड़, कीचड, धूल-मिट्टी, उर्वरक, कीटनाशक और कुछ अन्य खतरनाक रासायनिक तत्व भी होते हैं। जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होते हैं।
यहां तक कि एक गिलास पानी भी अगर अशुद्ध है, तो आपकी सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।
हम स्वच्छ और शुद्ध (Pure) पानी का सेवन सिर्फ इसलिए नहीं करते कि उसका स्वाद अच्छा होता है, बल्कि स्वास्थ्य संबंधी कारण से भी ऐसा किया जाता है। पानी को पेयजल के रूप में सुरक्षित बनाने के लिए फिल्टरेशन और प्योरीफिकेशन जरूरी है।
पानी यूनीवर्सटल सॉल्वेंट (सार्वभौमिक विलायक) होता है। यानि उसमें कई तरह की अशुद्धियां घुली-मिली होती हैं। पानी में खनिज, सेडीमेंट्स और यहां तक कि प्रदूषक भी घुले हो सकते हैं और इनसे ही उसका स्वाद, रंग और गंध तय होती है।
इसमें घुले हुए ठोस पदार्थों (टीडीएस – टोटल डिज़ॉल्व्ड सॉलिड्स) का विवरण इस प्रकार हैं-
कई तरह के ऑर्गेनिक ठोस पदार्थ जैसे बाल, मिट्टी, कंकड़, उर्वरक, कीटनाशक, दवाएं और कई बार इन-ऑर्गेनिक लवण जैसे कैल्शियम, मैगनीशियम, सोडियम, पोटाशियम, क्लोराइड्स, लैड, आर्सनिक, मर्करी आदि।
पानी में घुले इन ठोस पदार्थों की जांच के लिए टीडीएस मीटर का इस्तेमाल किया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, पानी में टीडीएस का स्तर निम्नानुसार होना चाहिए-
टीडीएस का स्तर (मिलीग्राम प्रति लीटर रेटिंग
300 से कम उत्कृष्ट
300- 600 अच्छा
600-900 ठीक-ठाक
900-1200 खराब
Above 1200 अस्वीकार्य
टीडीएस मीटर से यह पता नहीं चल पाता कि कौन-सा लवण, प्रदूषक या सेडीमेंट्स आपके पेयजल में घुले हैं। लेकिन यह आपको पेयजल में घुले हुए आयन्स की मात्रा उनकी सांद्रता (concentration) के हिसाब से बताता है।
एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि भारी धातुएं जैसे कि लैड और आर्सनिक की सांद्रता इतनी कम होती है कि ये टीडीएस मीटर में पकड़ में भी नहीं आती, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि ऐसा पानी आपके लिए सुरक्षित है। यानि, अपने पेयजल की क्वालिटी की जांच के लिए टीडीएस मीटर को केवल संकेतक के तौर पर लेना चाहिए, न कि उसी पर पूरा विश्वास करना चाहिए।
आरओ (RO) यानि रिवर्स ऑस्मॉसिस पानी के शुद्धिकरण की एक तकनीक है, जिसका इस्तेमाल वॉटर प्योरीफायर्स में किया जाता है। आरओ में पानी को दबाव सिंथेटिक मैम्ब्रेन के जरिए गुजारा जाता है। जिसमें अत्यंत सूक्ष्म छिद्र होते हैं, जो केवल 0.0001 माइक्रॉन से कम आकार के मॉलीक्यूल्स को ही गुजरने देते हैं।
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इस सेमी परमिएबल मैम्ब्रेन फिल्टर में लगे माइक्रोस्कोपिक छिद्रों की वजह से ही रिवर्स ऑस्मॉसिस (आरओ) तकनीक से पानी में मौजूद प्रदूषकों, सैडीमेंट्स और बड़े ऑर्गेनिक पदार्थों को हटाया जाना मुमकिन होता है, लेकिन साथ ही, यह पानी में मौजूद कुछ उपयोगी लवणों (मिनिरल्स्) को भी रोक देती है।
पर अब कई रिवर्स ऑस्मॉसिस सिस्टम्स ऐसे भी हैं, जिनमें पानी को दोबारा मिनिरल बैड्स से गुजारा जाता है। इस तरह वे उपयोगी लवण पानी में लौटते हैं।
लोग अक्सर डीहाइड्रेट होने का संबंध प्यासा महसूस होने से जोड़ते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि प्यास का संबंध डीहाइड्रेशन से नहीं होता। सर्दियों में, या ठंडे प्रदेशों में, और कई बार एसी कमरों में बैठे रहने पर भी आपको प्यास का अहसास नहीं होता, लेकिन आपने देखा होगा कि ऐसे में आपका पेशाब गाढ़े पीले रंग का आता है।
गाढ़े रंग का पेशाब इस बात का संकेत है कि आप डीहाइड्रेटेड हैं। सामान्य पेशाब का एकदम साफ या हल्के पीले रंग का होता है।
बेशक, स्वच्छ, प्राकृतिक पेय लेने से आप डिहाइड्रेशन से अपना बचाव कर पाते हैं, लेकिन यही खुद को हाइड्रेट रखने का एकमात्र तरीका नहीं है। आप नारियल पानी, लैमनेड (नींबू पानी), छाछ, ताजे फलों का जूस, ताजे फल जैसे कि तरबूज, अनानास, खरबूजा, खीरे आदि का सेवन कर भी खुद को हाइड्रेट कर सकते हैं।
हमारे शरीर को कितनी मात्रा में पानी की आवश्यकता है, यह उम्र, शारीरिक गतिविधि, मौसम, पेशाब की मात्रा और मेडिकल कंडिशन जैसे हार्ट या किडनी रोगों आदि पर भी निर्भर करता है। इनके कारण आपको पानी तथा अन्य तरल पदार्थों का सीमित मात्रा में सेवन करने की सलाह दी जा सकती है। इसके उलट, डायरिया में काफी मात्रा में पानी पीने की सलाह दी जाती है।
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