शिशु जब छह महीने से छोटा होता है, तो अपने बारे में कुछ भी कह नहीं पाता। मां को ही उसकी जरूरतों को समझना होता है। बढ़ती गर्मी में जब सभी को ढेर सारा पानी पीने की सलाह दी जा रही है, तब क्या नन्हें शिशु को भी पानी पिलाना (Can babies drink water in summer) चाहिए? ज्यादातर नई मांएं ये सवाल पूछ रही हैं। बच्चे के सूखे होंठ और उन पर आ रही पपड़ी (dehydration in baby) उनकी चिंता और बढ़ा रही है। आइए एक लोकप्रिय और अनुभवी पीडियाट्रिशियन से जानते हैं शिशुओं में डिहाइड्रेशन के संकेत (Signs of dehydration in baby) और उससे बचाव (How to deal with dehydration in baby) के उपाय। साथ ही यह भी कि क्या छह महीने से छोटे बच्चों (Water for babies) को पानी पिलाना चाहिए या नहीं?
दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश सहित पूरे उत्तर भारत में पारा चढ़ने लगा है। गुरूवार को अधिकतम तापमान 38 से 41 डिग्री तक पहुंचने की संभावना है। बढ़ती गर्मी का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव शरीर में डिहाइड्रेशन का जोखिम है। गर्मी में शरीर में पानी की कमी होने लगती है, जिसका असर सिर्फ होंठों और त्वचा पर ही नहीं, बल्कि पेट, इम्युनिटी और ब्रेन हेल्थ पर भी पड़ता है। छोटे बच्चे, बुजुर्ग और वे लोग जो आउटडोर जाॅब में हैं, इसके सबसे ज्यादा जोखिम में होते हैं। इसलिए डॉक्टर इस मौसम में ज्यादा से ज्यादा पानी पीने और तरल पदार्थों के सेवन की सलाह देते हैं।
नन्हें शिशुओं, जिनकी उम्र एक, दो, तीन महीने अर्थात छह महीने से कम है, उनके लिए भी यह गर्मी खासी परेशान करने वाली हो सकती है। नन्हें शिशुओं को भी इस मौसम में निर्जलीकरण (dehydration in baby) से बचाने की जरूरत होती है। पर क्या उन्हें पानी पिलाया जा सकता है?
डिहाइड्रेशन के कारण शिशुओं (dehydration in baby) के होंठ सूखने लगती हैं और उन पर पपड़ी जमने लगती है। ऐसे में घर की बुजुर्ग बच्चों को पानी पिलाने की सलाह देती हैं। जबकि डॉक्टर छह महीने से कम उम्र के शिशुओं को पानी न पिलाने की बात करते हैं।
सिर्फ होंठों का सूखना ही बच्चों में पानी की कमी नहीं दर्शाता, बल्कि इसके और भी कई संकेत हो सकते हैं। जैसे –
पीडियाट्रीशियन और बच्चों से संबंधित लोकप्रिय कंटेंट बनाने वाले डॉ इमरान इसके लिए सख्ती से मना करते हैं। वे कहते हैं, “6 माह की उम्र तक बच्चों को पानी, छाछ या कोई भी तरल पदार्थ ऊपर से नहीं दिया जाना चाहिए। इसके लिए मां का दूध ही पर्याप्त है।”
सोशल मीडिया पर जारी अपनी पोस्ट में डॉ इमरान कहते हैं, “बढ़ती गर्मी में बच्चों के होंठ सूख सकते हैं और उनमें पानी की कमी (dehydration in baby) हो सकती है। मगर ऊपर से पानी, छाछ या अन्य कोई भी तरल पदार्थ देना शिशुओं को बीमार कर सकता है। शिशुओं का पेट काफी संवेदनशील होता है और इन सभी पदार्थों से उसे गंभीर इंफेक्शन हो सकता है।”
डॉ इमरान सुझाव देते हैं, “शिशु को डिहाइड्रेशन से बचाने का एकमात्र तरीका है उसे मां का दूध पिलाया जाए। अगर शिशु मां का दूध नहीं पी रहा और फॉर्मूला मिल्क ले रहा है, तो उसमें भी पर्याप्त मात्रा में पानी होता है। और यह दोनों ही शिशु की पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त हैं।
यदि शिशु में पानी की कमी के संकेत नजर आ रहे हैं, तो यह जरूरी है कि मां ज्यादा से ज्यादा स्वस्थ तरल पदार्थों का सेवन करे। और शिशु को बार-बार स्तनपान करवाए।”
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