टेक्नोलॉजी काफी आगे बढ़ चुकी है। इसी के साथ कैंसर रिकवरी के आंकड़ें भी बढ़ रहे हैं। परंतु आज भी नियमित जीवनशैली की कुछ गलतियां कैंसर के जोखिम को बढ़ा रहीं हैं। सरकारी आंकड़ों पर भरोसा करें तो हर साल लगभग 8 लाख कैंसर डायग्नोस किए जाते हैं। इनमें से लगभग 3.75 लाख से लेकर 4 लाख की संख्या महिलाओं की होती है। वहीं 5 तरह के कैंसर (most common cancer in female in india) हैं, जो आमतौर पर महिलाओं में देखने को मिलते हैं। इनमे शामिल है ब्रेस्ट कैंसर, कॉलेरेक्टल कैंसर, माउथ कैंसर, ओवेरियन कैंसर और सर्वाइकल कैंसर। वहीं भारत में स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा है।
महिलाओं में कैंसर के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए हेल्थ शॉट्स ने मारेंगो सीआईएमएस हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, डॉ नितिन सिंघल, से बातचीत की। उन्होंने महिलाओं में होने वाले पांच प्रमुख कैंसर (cancer in female) के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां दी हैं। साथ ही इसके लक्षण, कारण एवं बचाव के उपाय के बारे में बताया है। तो आइए जानते हैं इस बारे में थोड़ा विस्तार से।
स्तन कैंसर भारत में महिलाओं में पाए जाने वाला सबसे आम कैंसर है। आंकड़ों की बात करें तो भारत में हर साल लगभग डेढ़ सौ ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों को डायग्नोसिस किया जाता है। वहीं शहरी महिलाओं में गांव की महिलाओं की तुलना में स्तन कैंसर के आंकड़े ज्यादा देखने को मिलते हैं। सर्वे की मानें तो शहर में प्रत्येक 22 में से एक महिला को ब्रेस्ट कैंसर होने का जोखिम रहता है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र के आंकड़ों की बात करें तो प्रत्येक 60 महिला में से एक महिला को कैंसर का खतरा बना रहता है।
ब्रेस्ट कैंसर के अधिकतर केस में यह 40 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में देखने को मिलता है। डॉक्टर के अनुसार ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षण में स्तन में गांठें पड़ने लगती हैं। हालांकि, शुरुआत में इन गांठों में दर्द का अनुभव नहीं होता। जिसके कारण लोग अक्सर इसे नजरअंदाज कर देते हैं। यदि आप 40 की उम्र के बाद अपने स्तन में किसी प्रकार की गांठ का अनुभव कर रही हैं, भले ही आपको इसमें दर्द महसूस न हो रहा हो, फिरभी डॉक्टर से मिलकर चेकअप करवाएं।
जरूरी नहीं है, कि 40 वर्ष के बाद ही इसे लेकर सावधानी बरतनी है। यदि पहले भी किसी प्रकार की असुविधा महसूस हो, तो फौरन डॉक्टर से मिलें। इसके साथ ही निप्पल से किसी प्रकार के फ्लूइड का बाहर निकलना या बूब्स की स्किन की रंगत में बदलाव आना ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण हो सकते हैं।
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सर्वाइकल कैंसर भारतीय महिलाओं में दूसरे नंबर पर सबसे ज्यादा डायग्नोसिस किये जाने वाला कैंसर है। कुछ साल पहले तक यह पहले नंबर पर आता था परंतु धीरे-धीरे जागरूकता बढ़ने से इसके आंकड़ों में गिरावट देखने को मिली है। बात यदि जानलेवा कैंसर की करें तो यह पहले स्थान पर है। सर्वाइकल कैंसर से महिलाओं की मृत्यु सबसे ज्यादा होती है।
हर साल भारत में लगभग 1.25 लाख महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर को डायग्नोसिस किया जाता है। वहीं उनमें से लगभग 68,000 से 70,000 महिलाओं का कैंसर डायग्नोसिस होने से पहले काफी गंभीर रूप ले चुका होता है। जिसके कारण वे इस बीमारी से अपनी जान गवां देती हैं। इस कैंसर का कारण एचपीवी यानी ह्यूमन पैपिलोमा वायरस होता है। आमतौर पर इसका संक्रमण सेक्सुअल रिलेशनशिप बनाते वक्त ट्रांसफर होता है।
योनि से जरूरत से ज्यादा सफेद रंग का डिस्चार्ज बाहर निकलना इस कैंसर का एक आम लक्षण है। परंतु कभी कबार वाइट डिस्चार्ज होना सामान्य है, तो अब इन दोनों में अंतर कैसे पहचाने। इस पर डॉक्टर ने बताया कि यदि आपको यूटीआई और अन्य समस्याएं नहीं है, और एंटीबायोटिक्स इत्यादि लेने के बाद भी यह डिस्चार्ज बंद नहीं हो रहा है, तो इस लक्षण को नजरअंदाज न करें और डॉक्टर से जरूर मिलें। वहीं यौन संबंध बनाते वक्त ब्लीडिंग होना और कमर के निचले हिस्से में दर्द रहना सर्वाइकल कैंसर के लक्षण हो सकते हैं।
दिन प्रतिदिन ओवेरियन कैंसर की संख्या बढ़ती जा रही है। बात यदि भारतीय आंकड़ों की करें तो हर साल लगभग 50,000 ओवेरियन कैंसर से पीड़ित मरीजों को डायग्नोसिस किया जा रहा है। डॉक्टर कहते हैं कि “इस कैंसर का सबसे बड़ा खतरा यह है कि 80% व्यक्ति तब इलाज के लिए आते हैं, जब उनका कैंसर तीसरे स्टेज या उससे आगे पहुंच चुका होता है। क्योंकि इस समस्या में नजर आने वाले लक्षण बिल्कुल आम दिनों के जैसे हैं। इसलिए इसके लक्षणों को पहचानना थोड़ा मुश्किल है।
इनके लक्षणों में शामिल है, पेट में भारीपन महसूस होना, पेट के निचले हिस्से में दर्द रहना, भूख न लगना और बार-बार पेशाब आना। यदि यह सभी लक्षण दो हफ्तों से ज्यादा समय तक बने रहते हैं, या यह दिन प्रति दिन बढ़ते जा रहे हैं, तो डॉक्टर से मिले और चेकअप करवाएं। यदि शुरुआती चरण में इसे डायग्नोसिस कर लिया जाये तो लगभग 80 से 90% लोग इससे रिकवर हो जाते हैं। इसके इलाज में सर्जरी और कीमो थेरेपी एक अहम रोल निभाती है।
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कोलोरेक्टल कैंसर को पेट या बड़ी आंत का कैंसर भी कहा जाता है। इस कैंसर का सबसे बड़ा कारण है खराब लाइफस्टाइल, स्ट्रेस, वेट गेन, गलत खानपान और जरूरत से ज्यादा शराब का सेवन।
इसके लक्षण की बात करें तो मल त्याग करते वक्त खून आना, इस कैंसर की शुरुआत में कब्ज की समस्या लोगों को काफी परेशान करती है। साथ ही मल त्याग करने में भी काफी ज्यादा दर्द और जलन महसूस होता है। अचानक से वजन गिरना भी आंतों के कैंसर के लक्षण है। यदि यह लक्षण 2 हफ्ते से ज्यादा समय तक बने रहते हैं, तो इन्हें नजरअंदाज न करें।
शुरुआत में यदि यह पकड़ में आ जाए तो इसे डायग्नोसिस कर पाना आसान हो जाता है। अन्यथा बाद में यह जानलेवा रूप ले लेता है।
पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ओरल कैंसर काफी कम देखने को मिलता है, परंतु फिर भी भारत में महिलाओं में भी इसके आंकड़े बढ़ रहे हैं। तंबाकू और स्मोकिंग इसका एक सबसे बड़ा कारण है। खासकर के ग्रामीण इलाकों में तंबाकू से दातुन करने का प्रचलन है। कई महिलाएं इसे अपनी नियमित दिनचर्या का हिस्सा बना चुकी हैं।
वहीं अर्बन एरिया में बढ़ते स्मोकिंग के आंकड़े भी माउथ कैंसर का कारण बन रहे हैं। ऐसे में अपने ओरल हाइजीन पर खास ध्यान रखने की आवश्यकता है। क्योंकि तंबाकू से बनने वाले मुंह के छाले धीरे-धीरे माउथ कैंसर का रूप ले लेते हैं। हालांकि, जरूरी नहीं जो तंबाकू का सेवन करते हैं उन्हें ही माउथ कैंसर हो। ख़राब खानपान के कारण भी मुंह का कैंसर हो सकता है।
माउथ कैंसर की स्थिति में होंठ और मुंह में हुए छालें लंबे समय तक बने रहते हैं और आपकी तमाम कोशिशों के बाद भी ठीक नहीं होते। वहीं मुंह के अंदर सफेद रंग के धब्बे नजर आने लगते हैं। इतना ही नहीं दांत कमजोर हो जाते हैं और टूटने लगते हैं। इसके साथ ही मुंह में जरूरत से ज्यादा दर्द महसूस होता है, साथ ही कानों में भी दर्द रहता है। वही दर्दनाक सूजन का सामना करना पड़ता है।
इससे बचाव का एकमात्र तरीका है इसके होने के कारणों पर काम करना जैसे कि यदि आप तंबाकू और धूम्रपान का सेवन करती हैं, तो इससे पूरी तरह परहेज रखें। वहीं एक सीमित मात्रा में ही शराब का सेवन करें। दांतों के सड़न और मसूड़ो की ब्लीडिंग को नजरअंदाज न करें। डॉक्टर से मिलकर इसकी जांच करवाना जरूरी है।
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