scorecardresearch

डियर गर्ल्‍स, 2021 में अपने तन-मन के इन 6 दुश्‍मनों का आपको करना है डटकर मुकाबला

पुरानी यादों, पुरानी तारीख और पुराने कैलेंडर से निकल कर हम एक नए साल में प्रवेश कर चुके हैं। ऐसे में जरूरी है कि अपने तन-मन के दुश्‍मनों को पहचान कर उनके खिलाफ कमर कस लें।
Written by: Dr. S.S. Moudgil
Updated On: 12 Oct 2023, 05:54 pm IST
  • Google News Share
  • Facebook Share
  • X Share
  • WhatsApp Share
Ye saal aur har saal apni sehat ka khyaal rakhe
ये साल और हर साल आपको अपनी सेहत का ख्‍याल रखना है। चित्र: शटरस्‍टॉक

ज्‍यादातर लड़कियां और महिलाएं आम तौर पर एक शिकायत करती मिलती हैं कि डॉक्टर उनकी समस्‍याओं को गंभीरता से नहीं लेते, जो काफी हद तक सच भी है। दुर्भाग्य से महिलाओं में किशोरावस्‍था से ही कई छोटी-बड़ी समस्‍याओं का सामना करना पड़ता है। सामाजिक कंडीशनिंग और परिवार का रवैया ऐसा होता है कि उन्‍हें ज्‍यादातर लोग नजरंदाज करने की सलाह देते हैं। जबकि यह लापरवाही अधेड़ उम्र तक आते उन्‍हें कई शारीरिक-मानसिक समस्‍याओं का शिकार बना देती है।

इसलिए यह जरूरी है कि इस साल के पहले ही दिन आप उन समस्‍याओं को पहचान लें और उनसे मुकाबला करने को तैयार हो जाएं। क्‍योंकि आप हैं, तो ये दुनिया इतनी सुंदर है।

1 मेंटल हेल्थ

ज्‍यादातर लड़कियां मानसिक स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों को तब तक इग्‍नोर करती रहती हैं, जब‍ तक वे गंभीर नहीं हो जाते। 2017 में हुए शोध के अनुसार, बढ़ती उम्र में मानसिक बीमारियां चिंता और अवसाद जैसी मानसिक बीमारियों के लिए सबसे कमजोर समूह हैं। विश्व स्वास्थ्य संस्थान (WHO) व मेंटल हेल्थ अमेरिका ब्यूरो के अनुसार, 14 से 18 साल की उम्र की लड़कियों में लड़कों की तुलना में अवसाद की दर अधिक है।

खुश रहिए और तनाव की छुट्टी कर दीजिए। चित्र : शटरस्टॉक
खुश रहिए और तनाव की छुट्टी कर दीजिए। चित्र : शटरस्टॉक।

पिछले दस वर्षों में आत्मघाती व्यवहार हेतु अस्पताल में भर्ती किशोर लड़कियों की संख्या में 60 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है। इस वृद्धि का हिस्सा सामाजिक वर्जनाओं और मानसिक बीमारी के बारे में अधिक जागरूकता से समझाया जा सकता है, क्योंकि मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे का जिक्र महिलाओं में असम्मानजनक समझा जाता है।

हालांकि आत्महत्या के प्रयास लड़कियों में अधिक मिलते हैं, लेकिन आत्महत्या करने वालों की संख्या व दर लड़कों में अधिक है | भारत में आत्महत्या कुंआरी लड़कियों की अपेक्षा नव विवाहित लड़कियों में अधिक पाई गई है |

2 डिसमेनोरिया या दर्दनाक पीरियड

इसका कारण अज्ञात है परन्तु इसे एंडोमेट्रियोसिस से जोड़ कर देखा जाता है। निदान में असफलता का एक कारण दर्द का स्तर को समझ पाना या जांच पाना लगभग असम्भव होता है। 2012 के एक अध्ययन में पाया गया कि लगभग 25 प्रतिशत तक युवा महिलाओं में डिसमेनोरिया होता है और उन्हें दवा की आवश्यकता होती है।

पीरियड्स में सबसे ज्‍यादा मुश्किल होता है दर्द को बर्दाश्‍त करना। चित्र: शटरस्‍टॉक

यह उनकी पढ़ाई, काम काज व सामाजिक गतिविधियों को बुरी तरह प्रभावित करता है। उपचार में योग ध्यान व हार्मोनल गर्भनिरोधक और दर्द निवारक दवाएं कारगर हो सकती हैं।

Pollपोल
प्रदूषण से बचने के लिए आप क्या करते हैं?

3 एंडोमेट्रियोसिस

यह एक आम दर्दनाक स्थिति है, जिसमें जहां गर्भाशय के ऊतक अन्दुरूनी परत जिसे एंडोमीटरीयम कहते है फूलकर गर्भाशय से बाहर बढ़ने लगती है। चिकित्सकों के अनुसार पिछले तीन दशक में पहले की तुलना में युवतियों मे इसकी दर में काफी इजाफा देखा गया है। यह प्रजनन आयु प्यूबर्टी से मेनोपाज तक की सभी महिलाओं में को 10 प्रतिशत तक प्रभावित करती है।

4 ल्यूपस

यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है और युवावस्‍था में लड़कियों में अधिक होती है। जॉन हॉपकिन संस्थान के अनुसार लगभग 90 प्रतिशत महिलाएं इससे प्रभावित होती है है। अक्सर यह 15 से 34 वर्ष की आयु में अधिक होती है, जिससे दुनिया भर में 5 मिलियन महिलाएं प्रभावित हैं, लेकिन यह ज्ञात नहीं है कि युवा महिलाएं इसके लिए सबसे कमजोर समूह क्यों हैं।

तनाव कई समस्‍याओं का एक मुख्य कारण है। चित्र: शटरस्‍टॉक
तनाव कई समस्‍याओं का एक मुख्य कारण है। चित्र: शटरस्‍टॉक

यह सुझाव दिया गया है कि एस्ट्रोजेन की एक भूमिका हो सकती है, और तनाव या बीमारी या मनोवैज्ञानिक दबाव इसे ट्रिगर कर सकते हैं | तो सबसे ज्‍यादा जरूरी है कि आप तनाव से दूर रहें।

5 टाइप 2 मधुमेह

यह एक चयापचय विकार है, जो उच्च रक्त शर्करा का कारण बनता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया भर में 8.5 प्रतिशत लोगों को मधुमेह है। 2016 में हुए शोध में पाया गया कि युवा, जाहिरा तौर पर स्वस्थ महिलाएं तेजी से टाइप 2 मधुमेह की गिरफ्त में आ रहीं हैं।

यह प्रवृत्ति पहली बार 2011 में सामने आई थी। शुरुआत में लक्षणों में योनि का सूखापन और यूटीआई देखे जाते हैं और जांच से मधुमेह का पता लगता है। अनेक बार यह प्रेगनेंसी के दौरान उच्च रक्त चाप के साथ पाया गया है |

अब छोटी उम्र की महिलाएं भी डायबिटीज की शिकार हो रही हैं। चित्र : शटरस्‍टाॅॅॅक
अब छोटी उम्र की महिलाएं भी डायबिटीज की शिकार हो रही हैं। चित्र : शटरस्‍टाॅॅॅक

6 पीसीओएस

एक अंतःस्रावी विकार है जो 7 प्रतिशत महिलाओं को प्रभावित करता है। यह अंडाशय के अल्सर और सूजन का कारण बनता है। सेंटर फॉर यंग वीमेन हेल्थ का अनुमान है कि 5 से 10 प्रतिशत किशोरियों और युवा महिलाओं में यह होता है। यह अक्सर पहली बार मासिक धर्म के बाद चिन्हित होता है। केवल 20 के दशक में महिलाओं में लक्षण पैदा करना शुरू कर सकती हैं। इससे पीरियड्स व गर्भ धारण में कठिनाई हो सकती है।

तो गर्ल्‍स, इन दुश्‍मनों को अब आप जान गईं हैं। बस थोड़ी सी हिम्‍मत, जागरुकता और समझदारी से इन्‍हेें परास्‍त करने के लिए तैयार हो जाइए।

यह भी पढ़ें – हां ये सच है! महिलाओं को पुरुषों से ज्‍यादा लगती है ठंड, जानिए इसका वैज्ञानिक कारण

डिस्क्लेमर: हेल्थ शॉट्स पर, हम आपके स्वास्थ्य और कल्याण के लिए सटीक, भरोसेमंद और प्रामाणिक जानकारी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसके बावजूद, वेबसाइट पर प्रस्तुत सामग्री केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। इसे विशेषज्ञ चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। अपनी विशेष स्वास्थ्य स्थिति और चिंताओं के लिए हमेशा एक योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से व्यक्तिगत सलाह लें।

  • Google News Share
  • Facebook Share
  • X Share
  • WhatsApp Share
संबंधित विषय:
लेखक के बारे में
Dr. S.S. Moudgil
Dr. S.S. Moudgil

Dr. S.S. Moudgil is senior physician M.B;B.S. FCGP. DTD. Former president Indian Medical Association Haryana State.

अगला लेख