घंटों लगातार बैठकर काम करना न केवल पेट की चर्बी को बढ़ाता है, बल्कि टांगों को भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वर्क कल्चर में आने वाले बदलाव का असर शरीर पर साफतौर पर देखने को मिलता है। घंटों स्क्रीन के सामने बैठने से शरीर के पोश्चर में आने वाले बदलाव का असर ओवरऑल हेल्थ पर दिखने लगता है। इसके अलावा टांगों को एक ही पोज़िशन में रखने से अचानक उठकर चलते वक्त ऐंठन तो कभी दर्द झेलना पड़ता है (leg pain causes)। जानें ये सारी समस्याएं शरीर में क्यों बढ़ने लगती है और इससे राहत पाने के लिए किन टिप्स को फॉलो करें।
अमेरिकन अकेडमी ऑफ डर्माटोलॉजी के अनुसार टांगों में ऐंठन और स्पाइडर वेन्स सूरज की रोशनी, हार्मोनल परिवर्तन या किसी चोट के कारण होने लगती हैं। ब्लड सर्कुलेशन की कमी के चलते कुछ लोगों में इन नसों के विकसित होने का जोखिम अधिक हो जाता है। दरअसल, कुछ लोग सप्ताह में अधिकतर समय बैठकर गुज़ारते हैं या फिर खड़े रहते है, जो इस समस्या का कारण बन जाता है।
इस बारे में डॉ सीमा धीर, सीनियर कंसल्टेंट, इंटरनल मेडिसिन, आर्टेमिस हॉस्पिटल्स से बताती हैं कि ऐंठन, दर्द और मकड़ी जैसी नसें अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्याओं को दर्शाते हैं।
शरीर में बढ़ने वाली ऐंठन का कारण निर्जलीकरण या मांसपेशियों की थकान होता है। इसके अलावा शरीर में पोटेशियम और मैग्नीशियम की कमी भी इसका एक लक्षण है। विशेष रूप से शारीरिक गतिविधि के दौरान बार बार पैर में दर्द खराब ब्लड सर्कुलेशन की ओर इशारा करता है। इसके लिए चिकित्सा मूल्यांकन की आवश्यकता होती है।
हार्वर्ड हेल्थ के अनुसार अचानक से टांगों में बढ़ता दर्द कमज़ोर नसों की ओर इशारा करता है। इसके अलावा ये पेरिफेरल आर्टरी डिज़ीज़ (peripheral artery disease) के लक्षण है, जिससे पैरों में रक्त के प्रवाह में रुकावट आने लगती है। इसके अलावा एथेरोस्क्लेरोसिस की समस्या बढ़ती है, जिससे आर्टरीज़ संकरी होने लगती हैं उसमें चिपचिपा कोलेस्ट्रॉल और वसा जमने लगता है, जिसे प्लाक कहा जाता है। इस समस्या के चलते हृदय रोगों, हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज़ का सामना करना पड़ता है। ऐसे में स्मोकिंग से दूर रहें और वेटलॉस की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है।
हार्वर्ड हेल्थ के अनुसार लगातार बैठने से पैरों में सूजन का भी सामना करना पड़ता है। वे लोग जो नियमित तौर पर इस समस्या से दो चार होते हैं। उनमें लिवर संबधी समस्या, किडनी रोग और हृदय रोगों की संभावना रहती है। इसके अलावा टांग में चोट के कारण भी स्वैलिंग बढ़ जाती है।
कुछ लोगों की टांगों पर स्पाइडर वेन्स छोटी जालानुमा जैसी नसें जो अक्सर पैरों पर दिखाई देती हैं। लंबे समय तक बैठने या खड़े रहने पर हार्मोनल परिवर्तन या आनुवंशिकी से उत्पन्न हो सकती हैं। हालाँकि स्पाइडर वेन्स आम तौर पर हानिरहित होती हैं, लेकिन वे शिरापरक अपर्याप्तता यानि वेनस इनसफिशेंसी (venous insufficiency) का संकेत हो सकतं हैं। ऐसी स्थिति में ब्लड हृदय में उचित तरीके से वापिस नहीं जाता है। समग्र स्वास्थ्य के लिए इन लक्षणों को समझना आवश्यक है।
ऐंठन और दर्द जैसी समस्याओं को जल्दी से ठीक करने से जीवनशैली में बदलाव आवश्यक हैं। इसके लिए शरीर को हाइड्रेट रखना, संतुलित आहार खाना और अच्छी शारीरिक गतिविधि आवश्यक है। स्पाइडर वेन्स से राहत पाने के लिए पैरों को ऊपर उठाने से फायदा मिलता है। इसके अलावा कंप्रेशन स्टॉकिंग्स पहनना या डॉक्टर से अवश्य सलाह ले सकते है। अपने पैरों की हरकतों पर ध्यान देने से आपको अपने समग्र स्वास्थ्य के बारे में जानकारी मिल सकती है। गतिशीलता और जीवन की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए पैरों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण है।
वज़न बढ़ने से शरीर का वेट टांगों पर पड़ने लगता है, जिससे सूजन, दर्द ओर ऐंठन का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा बढ़ता वज़न हृदय रोगों का कारण साबित हो सकता है। टांगों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए हेल्दी वेट मेंटेन रखें।
दिनभर काम करने के दौरान अक्सर पानी न पीने की समस्या बढ़ने लगती है। इससे शरीर में निर्जलीकरण की स्थिति बन जाती है, जिससे ब्लड फ्लो बाधित होता है, जो टांगों में ऐंठन को बढ़ाता है। इसके लिए घूंट घूंट कर पानी पीएं और शरीर को हेल्दी बनाए रखें। इससे जोड़ों को भी ल्यूब्रिकेट करने में मदद मिलती है।
चलने और दौड़ने जैसी एरोबिक व्यायाम टांगों के मसल्स को मज़बूती प्रदान करती हैं। इसके अलावा वेट लिफिटंग, स्क्वाट, काफ रेज और पुशअप्स एक्सरसाइज़ फायदेमंद साबित होती है। सप्ताह में 30 मिनट इन एक्सरसाइज़ को करने से शरीर एक्टिव रहता है।
यूएसए वेन्स क्लीनिक के अनुसार संपीड़न मोजे यानि कंप्रैशन सॉक्स पहनने से टांगों में रक्त के प्रवाह में सुधार आने लगता हैं। इसके चलत पैरों में सूजन और दर्द को कम किया जा सकता हैं। इसके लिए दिन में कुछ घंटे इन स्टॉकिंग को अवश्य पहनें।