कोविड-19, कोरोनावायरस के मामले दिल्ली-एनसीआर (Covid-19 cases in Delhi-NCR) में लगातार बढ़ते जा रहे हैं। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (Mohfw) के अनुसार दिल्ली में कोविड-19 के 1083 ताज़ा मामले सामने आए हैं। देश भर के कोविड-19 के सक्रिय मामलों (2541) से तुलना करें तो यह 57 फीसदी से ज्यादा है। दिल्ली में अभी हाल ही में स्कूल खुले हैं और कोरोना संक्रमितों में बच्चों की संख्या (Covid-19 in children) भी बढ़ रही है। ऐसी स्थिति में अपने बच्चे को लेकर आपके मन में चिंता होना स्वभाविक है। छोटे बच्चे, जो वैक्सीन की उम्र सीमा में नहीं आते, सबसे ज्यादा चिंता उनके बारे में महसूस की जा रही है। ज्यादातर मांएं छोटे बच्चों को स्कूल भेजने और कोविड-19 की चौथी को लहर को लेकर आशंकित हैं। मगर परेशान न हों, क्योंकि इस बारे में आपके मन में जो सवाल उठ रहे हैं, उन सबके जवाब हेल्थशॉट्स पर आपको मिलेंगे।
लंबे लॉकडाउन के बाद स्कूलों का खुलना जहां राहत भरा था, वहीं अचानक कोविड-19 के नए वेरिएंट ओमिक्रोन के मामलों में आया उछाल पेरेंट्स की चिंता का कारण बन गया है।
ज्यादातर पेरेंट्स इस बात को लेकर चिंतित हैं कि वे अपने बच्चों को ऑफलाइन दुनिया में वापस भेजें या कोविड-19 संक्रमण के डर से उन्हें फिर से घरों में बंद कर लें।
इसके लिए हमने फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में पिडियाट्रिक पल्मोनोलॉजी की एडिशनल डायरेक्टर डॉ नीतू तलवार से बात की। डॉ नीतू तलवार ने उन सभी सवालों के जवाब दिए, जो ज्यादातर मॉम्स की चिंता का कारण बन रहे हैं।
-नीलिमा सिंह, होम मेकर
नए वेरिएंट (XE Variant) के लक्षण भी पिछले वेरिएंट यानि ओमिक्रॉन (Omicron) जैसे ही हैं। यानि इसके सामान्य लक्षणों में बुखार, जुखाम, खांसी और आलस्य तथा भूख में कमी है। हां, बच्चे भी इस वेरिएंट के शिकार बन रहे हैं। इसलिए ऐसे लक्षण दिखने पर बच्चे पर ध्यान देना जरूरी है।
-स्वाति शर्मा, सॉफ्टवेयर इंजीनियर
चूंकि इस वेरिएंट की वजह से कोई जटिल या गंभीर रोग नहीं फैल रहा है, इसलिए स्कूलों को खुला रखा जा सकता है। लेकिन बच्चों को निम्न सावधानियां बरतने के बारे में भली-भांति बताया जाना चाहिए –
केतकी सिन्हा, सीए
यदि आपका बच्चा पहले से ही डायबिटीज़, छाती के पुराने रोगों आदि से ग्रस्त है, तो बच्चे को स्कूल न भेजें। साथ ही, जो बच्चे अपने दादा-दादी/नाना-नानी (Grand parents) या घर में गर्भवती माताओं/महिलाओं के साथ रहते हैं, उन्हें भी स्कूलों में सावधानी बरतनी चाहिए और उनके मामले में हाइब्रिड टीचिंग का विकल्प चुना जा सकता है।
-एशना अग्रवाल, आर्किटेक्ट
आपको बच्चे को सही तरीके से मास्क पहनने की ट्रेनिंग देनी चाहिए, ताकि भविष्य में किसी भी किस्म के गंभीर मामलों के पैदा होने पर, वह पहले से ही सही ढंग से तैयार रहे। इसका कोई विकल्प नहीं है। सुनिश्चित करें कि मास्क साफ-सुथरे हों और उन्हें बार-बार बदला जाए।
– निवेदिता झा, मार्केटिंग एनालिस्ट
हां, अगर घर में दादा-दादी/नाना-नानी (Grand Parents) या गर्भवती महिलाएं (Pregnant women) नहीं हैं, तो उन्हें स्कूल जाना चाहिए। साथ ही स्कूल में और बाहर निकलते वक्त बच्चों को कोविड गाइडलाइंस का पालन करने के प्रति जागरुक बनाएं।
-बबीता नैन, टीचर
नहीं, वायरस का प्रसार सांस के जरिए होता है, यानि यह हवा से फैलता है। यदि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाता है, तो वे निश्चित रूप से आपस में टिफिन शेयर कर सकते हैं।
संगीता शर्मा, डांस टीचर
मामलों के कम होने तक कुछ दिनों के लिए प्राइवेट ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करना समझदारी होगा। लेकिन यदि यह विकल्प आसान न हो, तो उपरोक्त सभी सावधानियों का पालन करते हुए स्कूल ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें।
श्वेता शर्मा, ब्यूटी एक्सपर्ट
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि डरें नहीं। अपने पिडियाट्रिक पल्मोनोलॉजिस्ट/पिडियाट्रिशियन से मिलें ताकि डॉक्टर आपके बच्चे की जांच कर सही इलाज की सलाह दे सकें। स्वयं दवाई का सेवन /इलाज न करने लगें।
-शशि यादव, सीए
बच्चे के शरीर में सही मात्रा में पानी होना चाहिए, इसलिए यह सुनिश्चित करें कि वे समय-समय पर पानी का सेवन करते रहें। वे स्वस्थ, संतुलित, घर में पका हुआ भोजन लें। साथ ही, साफ-सफाई का भी पालन करें। अच्छी हाइजीन का पालन करें और खासतौर से कफ हाइजीन का पूरा ध्यान रखें।
कफ हाइजीन का मतलब है कि बच्चों को बताएं कि खांसते समय उन्हें टिश्यू पेपर से मुंह ढकना है और इस्तेमाल के बाद टिश्यू पेपर को ढक्कन वाले डस्टबिन में डालना है। उन्हें यह भी सिखाएं कि वे खांसते समय कोहनी के घेरे में मुंह नीचे फर्श की तरफ रखें।
गार्गी गोयल, होम मेकर
निश्चित रूप से हां। चूंकि वे संक्रमण का शिकार बन सकते हैं, अंत: हमें उन्हें हर कीमत पर सुरक्षित रखना चाहते हैं।
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