भारत में भी अब कोरोना वायरस के आंकड़े लगातार बढ़ते जा रहे हैं। निश्चित ही इससे बचने के लिए आप बाहर जाने से पहले तमाम जरूरी इंतजामात करती होंगी। पर क्या आप जानती हैं कि यह बाहर के व्यक्तियों से ज्यादा तेजी से एक ही परिवार के बीच फैलता है। यह नया शोध आपको इसी खतरे के प्रति आगाह करता है।
द लैंसेट नामक पत्रिका में प्रकाशित एक ताजा शोध में यह सामने आया है कि SARS-CoV-2 यानी नया कोरोनावायरस पुराने सार्स वायरस के मुकाबले घर के सदस्यों के बीच ज्यादा तेजी से फैलता है। और सबसे ज्यादा परेशान करने वाली बात यह है कि इसके लक्षण पहले से मालूम नहीं चलते। जब व्यक्ति संक्रमित हो जाता तभी इसके लक्षण सामने आते हैं।
शोध में कहा गया है कि संक्रमित व्यक्ति के श्वास से निकली बूंदें घर के वातावरण में हवा में मौजूद रहती हैं। यह एक ही परिवार में साथ रहने वाले लोगों को जल्दी -जल्दी संक्रमित करती हैं।
ज्यादातर वायरस म्यूटेट करते हैं, यानी वे अपना चरित्र बदलते रहते हैं। ऐसे में उन्हें समझ पाना और उसका इलाज थोड़ा ज्यादा जटिल हो जाता है। ऐसा ही कोरोनावायरस के साथ भी हो रहा है। यह म्यूटेट कर रहा है। म्यूटेशन के बाद SARS-CoV-2 ज्यादा खतरनाक हुआ है और अब यह एक साथ रहने वाले लोगों को ज्यादा तेजी से संक्रमित कर रहा है।
लैंसेट नामक पत्रिका में प्रकाशित शोध में कहा जा रहा है कि नया कोरोनावायरस सार्स (Severe Acute Respiratory Syndrome) और एमईआरएस (Middle East respiratory syndrome) की तुलना में घरों में ज्यादा आसानी से फैल सकता है। अमेरिकी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH) के शोधकर्ताओं की मानें तो यह नया कोरोनावायरस (SARS-COV-2) घर के माहौल में तीन घंटे तक सक्रिय रहता है।
शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए चीन के गुवांगझोऊ शहर में कोरोना वायरस के 349 मरीजों और उनके संपर्क में आने वाले उनके 1,964 परिजनों के आंकड़े इकट्ठे किए गए। इससे उन्होंने सेकेंडरी अटैक रेट का आकलन किया। इसमें यह पता लगाया गया कि संक्रमित व्यक्ति से दूसरे स्वस्थ व्यक्ति में यह वायरस कितनी तेजी से फैलता है।
शोधकर्ताओं का मानना है कि एक ही परिवार में कई उम्र के लोग साथ रहते हैं। पर इनमें भी उम्र दराज लोगों में इसके प्रति ज्यादा जोखिम होता है। तब और भी जब उनमें वे लक्षण दिखाई न दे रहे हों।
परिवार के सदस्यों के बीच इस वायरस के फैलने का जोखिम 39 प्रतिशत और साथ रहने वालों में 41 प्रतिशत बताया गया। वहीं 60 वर्ष या उससे ज्यादा आयु वाले लोगों के बीच इसका जोखिम और भी ज्यादा बढ़ जाता है। पर जो लोग 20 वर्ष या उससे कम उम्र के हैं, उनमें इसके फैलने का जोखिम सबसे कम देखा गया।
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शोधकर्ताओं की स्पष्ट चेतावनी है कि ऐसी स्थिति में पारिवारिक सदस्यों के बीच फिजिकल डिस्टेंसिंग की जरूरत और भी ज्यादा है। अगर समय रहते यह पता चल जाए कि परिवार का कोई सदस्य संक्रमित है, तो उससे उचित दूरी का पालन करना जरूरी है। इससे कोरोनावायरस की सेकेंडरी अटैक चैन को तोड़ा जा सकता है।
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