लॉकडाउन के दौरान इनडोर पॉल्‍यूशन को नियंत्रित कर रोक सकते हैं अस्थमा का हमला, जानिए कैसे

जिस माहौल में हमें दिन और रात रहना है, वह पूरी तरह प्रदूषण मुक्त होना चाहिए। वरना अस्थमा जैसी श्वास संबंधी बीमारियों से ग्रस्त लोगों के लिए मुश्किल और भी बढ़ सकती हैं।
कुछ साधारण से उपाय अपना कर हम अपने घर के अंदर के प्रदूषण को नियंत्रित कर सकते हैं। चित्र : शटरस्टॉक
टीम हेल्‍थ शॉट्स Updated: 11 Oct 2023, 16:44 pm IST
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प्रदूषण के बारे में एक आम राय यह है कि वह हमेशा घर के बाहर होता है। आसान शब्दों में कहें तो हम अपने घरों को साफ़ और स्वच्छ ही मानते हैं। हमारा मानना है कि हमारे घर साफ़ हैं व घर के अन्दर कोई डस्ट अथवा प्रदूषण (indoor air pollution) होने की सम्भावना हो ही नहीं सकती।

जबकि सच्चाई इसके बिलकुल विपरीत है। असल में इंडोर एयर पोल्यूशन उतना ही खतरनाक है, जितना घर के बाहर का प्रदूषण। पूरी दुनिया में इस पर होने वाले शोध इस बात को प्रमाणित करते है कि घर के अंदर होने वाला प्रदूषण घर के बाहर होने वाले प्रदूषण से कई गुना ज़्यादा खतरनाक हो सकता है।

यह भी एक सत्य है कि covid-19 के ही कारण अब हम अपनी सेहत, स्वच्छता, परिवार व समाज के प्रति ज़िम्मेदारी को ज्यादा गंभीरता से समझ रहे हैं। आज covid-19 जैसी महामारी के कारण हम घरों के अंदर कैद से हो गए हैं। अपने ही घरों के अंदर बिताया जाने वाला यह अधिक समय हमारा ध्यान कई ऐसे मसलों की ओर खींच रहा है जिनके बारे में शायद ही पहले हमने कभी गौर किया हो।

खासकर जब आपके घर में यदि किसी को सांस से संबंधित बीमारी हो। तब यह समस्या अधिक गंभीर बन जाती है। हमें हमेशा इस बात का ध्यान रखना होता है कि वह हवा जिसमें हम सांस ले रहें हैं वह साफ़ हो।

यहाँ डॉ. प्रशांत छाजेड़, एचओडी रेस्पेरेटरी मेडिसिन, हीरानंदानी हॉस्पिटल, वाशी और फोर्टिस हॉस्पिटल (Dr.Prashant Chhajed, HOD Raspiratory Medicine, Vashi and Fortis Hospital) ने हमारे साथ कुछ विचार सांझा किये जो इंडोर पोल्यूशन को नियंत्रित करने में काफी मददगार साबित हो सकते हैं। यदि आप अस्थमा की परेशानी से जूझ रहें हैं या फिर आपके परिवार में कोई भी सदस्य इससे पीड़ित है तो आपको ये जरूर पढ़ना चाहिए –

1. जैव एरोसोल (Bio-aerosols)

हमारे आसपास का वातावरण हवा से घिरा है जिसमें विभिन्न प्रकार की उपयोगी व विकारों से भरी गैस और कण होते हैं – जैसे पराग, बैक्टीरिया, फंगस और वायरस। जिनमें से सभी एलर्जी या यहां तक कि अस्थमा को निमंत्रण देने के लिए काफी हैं। अब समय आ गया है कि हम जैव-एयरोसोल्स के बारे में सोचें, क्योंकि जिस वातावरण में आप निवास करते हैं, वह साफ़ और स्वच्छ हो इसकी ज़िम्मेदारी भी हमारी ही है।

अगर आप खुद को और अपने परिवार को अस्थमा से बचाना चाहती हैं, तो फौरन स्मोकिंग छोड़ दें। चित्र : शटरस्टॉरक

2. तंबाकू का धुआंं (Tabacco smoke)

अब यह तो आप भली भाँति जानतें होंगे कि अगर आप धूम्रपान करते हैं, तो आप अपने घर को जहरीले धुएं से भर रहे हैं। जो फेफड़ों की पुरानी बीमारियों जैसे अस्थमा या ब्रोंकाइटिस के लिए एक जोखिम का कारक है।

3. सफाई और नवीकरण गतिविधियों का प्रदूषण (Pollution caused by cleaning and renovation activities)

क्या आप जानते हैं कि लकड़ी की धूल के साथ-साथ VOCs (volatile organic compounds) के कारण पेंट, प्राइमर, चिपकने वाले, और मार्बल टाइल को साफ़ करने वाले, ये सभी चीजें घरों का निर्माण/ नवीनीकरण करते समय उत्सर्जित होती हैं। इस दौरान जो पदार्थ निकलते हैं वह सर्वाधिक हानिकारक होतें हैं।

घर के अंदर का प्रदूषण लॉकडाउन के दौरान अस्थमा के रोगियों की परेशानी बढ़ा सकता है। चित्र : शटरस्टॉक

4. धुुएं का गुबार (Incense smoke)

हम अक्सर ऐसा मानते है कि अगरबत्ती से निकलने वाला धुआँ तो हमारे घर के वातावरण को शुद्ध करता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन उत्पादों के धुएं में कई जहरीले रसायन होते हैं। साउथ चाइना यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों के अनुसार, वे सिगरेट के धुएं से अधिक कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।

5. कपूर और मच्छर भगाने वाले उत्पाद का धुआं (Camphor and mosquito coil fumes)

क्या आप जानते हैं कि जलते हुए कपूर और/ या मच्छर मारने वाले उत्पाcद से निकलने वाले धुएं में सीसा, लोहा और मैंगनीज होता है। साथ ही इसमें पाया जाने वाला ‘पाइरेथ्रिन’ नामक कीटनाशक हमारे फेफड़ों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।

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इन प्रदूषकों को कम करने के लिए आप कुछ उपाय कर सकते हैं

अस्थमा जैसी श्वसन संबंधी बीमारी वाले लोगों के लिए यह समय कठिन है। इन हालातों में यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि घर का वातावरण इन प्रदूषकों से मुक्त हो और बे वजह हमारे ही कुछ कदम अस्थमा होने का कारण ना बन जाएं ।

डॉ. छाजेड़ ने यहाँ कुछ सुझाव दिये है जिनसे घर के अंदर के प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है –

1. सबसे पहले अपने फेफड़ों को स्वस्थय व सुरक्षित करने के लिए धूम्रपान छोड़ें।
2. खुद को जहरीले धुएं से बचाने के लिए खुशबू रहित घरेलू उत्पादों का उपयोग करना शुरू करें।
3. घर में लकड़ी का काम कम से कम करवाएं।
4. धुएं को अंदर इकट्ठा होने से रोकने के लिए खाना बनाते समय एग्जॉस्ट फैन या चिमनी का इस्तेमाल करें।
5. याद रखें कि खिड़कियां खुली रहें और घर अच्छी तरह से हवादार हों।
6. मोल्ड को रोकने के लिए और धूल के कण को कम करने में मदद करने के लिए डीह्यूमिडिफायर्स और एयरकंडीशनिंग का उपयोग करें।
7. एयरप्यूरीफायर या फिल्टर का उपयोग करने से पालतू जानवरों से निकलने वाले प्रदूषण, जैसे रूसी आदि जो वजन में बहुत हल्की होती है और हवा में तैरती रहती है, से बचने में मदद मिल सकती है।
8. नियमित रूप से कालीनों और अन्य फर्नीचर को साफ करके धूल के कणों को कम करें।
9. एलर्जी को दूर रखने के लिए नियमित रूप से बिस्तर, कुशन कवर और कंबल धोएं।
10. घर में अगरबत्ती और धूप का उपयोग करने से बचें।

उम्मीद है कि डॉ. छाजेड़ द्वारा सुझाए यह उपाय आपकी समस्याओं को काफी हद तक हल करने में कामयाब होंगे। घर को प्रदूषण मुक्त बनाकर स्वच्छ हवा में सांस लेने का समय अब आ गया है।

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