पाइल्स का जोखिम बढ़ा सकती ठंड के मौसम में होने वाली कब्ज की समस्या, यहां हैं बचाव के उपाय

ठंड के मौसम में पाइल्स की समस्या बढ़ जाती है। ठंड का प्रभाव न सिर्फ ब्लड सर्कुलेशन पर पड़ता है, बल्कि पूरे शरीर की कार्यप्रणाली पर पड़ता है। एक्सपर्ट से जानते हैं कि ठंड के मौसम में क्यों बढ़ जाती है पाइल्स की समस्या और इससे बचाव के उपाय।
piles ko door karne me kai upay kiye ja sakte hain.
पानी कम पीने या डीहाइड्रेशन की समस्या भी पाइल्स की तकलीफ को बढ़ा देती है। चित्र शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Published: 25 Jan 2024, 14:43 pm IST
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इनपुट फ्राॅम

सर्दी के मौसम में लोगों को कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती हैं। तापमान कम होने की वजह से उनकी तकलीफ भी गंभीर रूप ले सकती है। ऐसी ही एक समस्या है बवासीर या पाइल्स। इसे आमतौर पर हेमोरॉयड्स (haemorrhoids) भी कहा जाता है। पाइल्स ब्लोटिंग, गैस, एसिडिटी की भी वजह बन सकता है। बेहतर है कि समय रहते बचाव के समुचित उपायों (piles in winter) को अपनाया जाय।

क्यों हो जाती है सर्दी में पाइल्स की समस्या (cause of piles in winter season)

सर्दी की वजह से कई बार कब्ज की समस्या बढ़ जाती है। पानी कम पीने या डीहाइड्रेशन की समस्या भी पाइल्स की तकलीफ को बढ़ा देती है। इसकी वजह से ब्लीडिंग जैसी जटिलता बढ़ जाती है। दूसरी ओर, ठंडे तापमान के संपर्क में आने से ब्लड वेसल्स सिकुड़ सकती हैं। इससे प्रभावित क्षेत्र में ब्लड फ्लो कम हो सकता है। यह कॉन्सट्रिक्शन बवासीर के बढ़ने या बिगड़ने में योगदान कर सकता है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए पहले से ही बचाव के समुचित उपायों को अपनाएं।

यहां हैं पाइल्स से बचाव के लिए अपनाये जाने वाले 5 उपाय (5 tips to prevent piles)

1. पानी का सेवन करें (hydration to prevent piles)

सर्दी के मौसम में कब्ज बढ़ने का एक प्रमुख कारण होता है पानी का पर्याप्त मात्रा में सेवन नहीं करना। हमें लगता है कि बाहर ठंड है और इस वजह से हमें प्यास भी नहीं लग रही है। नतीजतन हम कम पानी पीते हैं। डीहाइड्रेशन के कारण मल अधिक सख्त हो जाता है। यह मलत्याग को मुश्किल बना देता है। इसकी वजह से पाइल्स की समस्या और भी गंभीर हो जाती है। इस तकलीफ से बचने के लिए दिन भर पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन करते रहें। हर दिन कम से कम आठ गिलास पानी पिएं। कोशिश करें कि गरम पेय पदार्थ जैसे हर्बल चाय आदि रूटीन में शामिल करें, ताकि नियमित मल-त्याग की आदत में सुधार हो।

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सर्दी के मौसम में कब्ज बढ़ने का एक प्रमुख कारण होता है पानी का पर्याप्त मात्रा में सेवन नहीं करना। चित्र : अडॉबी स्टॉक

2. अधिक फाइबर युक्त डाइट (Fibrous food to prevent ples)

अधिक रेशेदार यानी फाइबरयुक्त खुराक से मल-त्याग को नियमित और आसान बनाने में मदद मिलती है। इसलिए फलों, सब्जियों, साबुत अनाज तथा दालों से भरपूर भोजन करें। इससे मल-त्याग के दौरान आपको कम से कम पीड़ा होगी और कब्ज से बचा जा सके। हम अक्सर भारी, प्रोसेस्ड मील्स का सेवन करते हैं।इसलिए फाइबरयुक्त भोजन का सेवन करने पर ध्यान देना चाहिए।

3. गुनगुने पानी से स्नान (Lukewarm water to prevent piles)

गुनगुने पानी से स्नान करने से भी मल-त्याग में आसानी होती है। साथ ही, पाइल्स से जुड़ी तकलीफ भी घटती है। गुनगुने पानी का स्पर्श तनाव कम करता है, जिससे गुदा की मांसपेशियां रिलैक्स होकर मल-त्याग को आसान बनाती हैं। इसलिए इस मौसम में गुनगुने पानी से स्नान को रूटीन में शामिल करना चाहिए। खासतौर से मल-त्याग के बाद ऐसा करने का नियम बना लें।

4. नियमित व्यायाम करें (regular exercise to prevent piles)

नियमित व्यायाम करना सेहत के लिए तो अच्छा होता ही है। इसके चलते पाइल्स तथा कब्ज जैसी तकलीफों से भी बचाव किया जा सकता है। शारीरिक गतिविधियों से श्रोणि या पेल्विक (Pelvic) मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। इससे मल-त्याग में मदद मिलती है। हर दिन के रूटीन में योग, दौड़, तेज-तेज चलने जैसी गतिविधियों को शामिल किया जा सकता है। पाइल्स से बचाव के उपाय करने पर पाचन तंत्र की सेहत भी बढ़िया होती है।

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नियमित व्यायाम से पाइल्स तथा कब्ज जैसी तकलीफों से भी बचाव किया जा सकता है।। चित्र- अडोबी स्टॉक

5 लंबे समय तक बैठने या खड़े रहने से बचें (Avoid long sitting can cause piles problem)

ठंड में समय-समय पर ब्रेक लेना जरूरी है। इसमें लंबे समय तक बैठना या खड़े रहना शामिल है। लंबे समय तक बैठे रहने से मलाशय क्षेत्र में नसों पर दबाव बढ़ (Long sitting can cause piles) सकता है। यह बवासीर के विकास में योगदान देता है। दिनचर्या में फिजिकल एक्टिविटी को शामिल करने से दबाव को कम करने में मदद मिलती है। इससे समग्र सर्कुलेशन हेल्थ को बढ़ावा मिलता है।

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स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है।...और पढ़ें

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