Constipation Awareness Month: 22 फीसदी लोग हैं कब्ज से परेशान, जानिए क्यों इतनी कॉमन हो गई है यह समस्या

कब्ज एक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कंडीशन है, जिससे आंतों की परत में सूजन पैदा होने लगती है। ये समस्या सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है। कब्ज की स्थिति के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए हर साल कॉस्टीपेशन अवेयरनेस मंथ मनाया जाता है।
Constipation Ke karan
युवा आबादी की तुलना में बुज़ुर्गों में कब्ज के मामले अधिक जाए जाते हैं। चित्र : अडोबीस्टॉक
Published On: 17 Dec 2024, 04:24 pm IST
  • 140

शरीर को हेल्दी बनाए रखने के लिए आहार के पाचन से लेकर उसका एबजॉर्बशन होना आवश्यक है। मगर साथ ही नियमित वॉबल मूवमेंट शरीर को संतुलित रखने में मदद करती है। मगर दिनों दिन बढ़ रहा प्रोसेस्ड फूड का चलन कब्त का कारण साबित हो हो रहा है। अनहेल्दी फैट्स और लो फाइबर डाइट ब्लोटिंग, पेट दर्द, कब्ज और अपच का कारण साबित होते है, जो हर उम्र के लोगों में पाई जाती है। कब्ज की समस्या असामान्य इंटेस्टिनल हैबिट का कारण बनती है। कब्ज की समस्या असामान्य इंटेस्टिनल हैबिट का कारण साबित होती है। जानते हैं कॉस्टीपेशन अवेयरनेस मंथ (Constipation awareness month) के मौके पर रोजमर्रा के जीवन में की जाने वाली वो कौन सी गलतियां हैं, जो कब्ज का कारण साबित होती हैं।

कॉस्टीपेशन अवेयरनेस मंथ 2024 (Constipation awareness month 2024)

लोगों में दिनों दिन बढ़ रही कब्ज की स्थिति के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए हर साल कॉस्टीपेशन अवेयरनेस मंथ (Constipation awareness month) मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर फाउंडेशन की ओर मनाए जाने वाले इस कैंपेन पर लोगों को पाचन स्वास्थ्य, देखभाल के उपाय और इसके कारणों की जानकारी दी जाती हैं इस साल मनाए जाने वो इस कैंपेन की थीम ब्रेकिंग बेरीयर ब्रींग गैप (Breaking barrier bring gap) है।

रिसर्चगेट की रिपोर्ट के अनुसार कब्ज एक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कंडीशन है, जिससे आंतों की परत में सूजन पैदा होने लगती है। ये समस्या सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है। भारत में सामान्य आबादी में करीबन 22 फीसदी और बच्चों में 29.6 फीसदी मामले पाए जाते है। युवा आबादी की तुलना में बुज़ुर्गों में कब्ज के मामले ज़्यादा हैं। रिसर्च के अनुसार बुज़ुर्ग महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कब्ज की समस्या ज्यादा होती है।

Constipation ki samasya
कब्ज एक गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कंडीशन है, जिससे आंतों की परत में सूजन पैदा होने लगती है। चित्र : अडोबीस्टॉक

कब्ज किसे कहा जाता है (What is Constipation) 

सप्ताह में तीन बार से कम सूखा और कठोर मल त्यागना कब्ज कहलाता है। दरअसल, डाइजेस्टिव डिसऑर्डर के कारण स्टूल पास करने में तकलीफ का सामना करना पड़ता है। ये समस्या एक्रूट और क्रॉनिक दोनों हो सकती है। जहां कुछ लोग दिन में 2 से 3 बार मल त्याग करते हैं, तो वहीं कुछ सप्ताह में एक से दो बार ही मल त्यागते हैं। रोजमर्रा के जीवन की कुछ सामान्य गलतियां कब्ज का कारण बनने लगती हें।

आर्टिमिस अस्पताल गुरूग्राम में सीनियर फीज़िशियन डॉ पी वेंकट कृष्णन बताते हैं कि बढ़ती उम्र के साथ कब्ज कई स्वास्थ्य समस्याओं का लक्षण बनने लगती है। दरअसल, पेट में एकत्रित विषैले पदार्थो को डिटॉक्स न कर पाना कब्ज का कारण बनता है। इससे पेट में दर्द व ऐंठन का सामना करना पड़ता है। लंबे वक्त तक इस समस्या से ग्रस्त रहते हैं, उसे क्रानिक कॉस्टीपेशन कहा जाता है। कई बार अनियमित खानपान और न्यूट्रिएंट्स के एब्जॉर्बशन की कमी भी पाचनतंत्र केअसंतुलन का कारण साबित होती है।

कब्ज कितने प्रकार की होती है (Types of Constipation)

2018 के गट हेल्थ सर्वे के अनुसार भारत में 22 फीसदी लोग कब्ज से पीड़ित हैं। इनमें से 59 फीसदी लोगों को गंभीर कब्ज की शिकायत रहती है और 27 फीसदी में इसके सामान्य लक्षण पाए जाते है। कब्ज का सबसे आम प्रकार नॉर्मल ट्रांसिट है। पेल्विक फ्लोर डिसफंक्शन कब्ज का एक अन्य प्रकार है, जिसमें व्यक्ति मल त्याग करने के लिए पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को सही ढंग से रिलैक्स करने और कॉर्डिनेट करने में असमर्थ होता है। वहीं लंबे वक्त तक कब्ज की समस्या से परेशान रहना क्रोनिक कॉन्स्टिपेशन कहलाता है।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज़, डाइजेस्टिव एंड किडनी डिजीज की एक रिपोर्ट के अनुसार कब्ज़ समस्या एक लक्षण समान है। सामान्य तौर पर कब्ज़ सप्ताह में तीन दिन तक रहती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार दुनियाभर में कब्ज से 16 फीसदी लोग प्रभावित हैं। वहीं 60 साल से अधिक उम्र के लोगों में ये समस्या 33.5 फीसदी पाई जाती है।

Pollपोल
प्रदूषण से बचने के लिए आप क्या करते हैं?
Kabj kaise dur karein
भारत में 22 फीसदी लोग कब्ज से पीड़ित हैं। इनमें से 59 फीसदी लोगों को गंभीर कब्ज की शिकायत रहती है

किन गलतियों से बढ़ने लगती है कब्ज की समस्या

1. हाइड्रेशन की कमी

व्यायाम के बाद होने वाली स्वैटिंग या फिर बुखार समेत अन्य कई कारणों से शरीर में फ्लूइड की कमी बढ़ने लगती है। ऐसे में पर्याप्त मात्रा में पानी का सेवन न करना डिहाइड्रेशन का कारण बनने लगता है। इसके चलते शरीर में थकान रहती है और मल त्याग करने में कठिनाई का सामना करना पड़ता है।

2. आहार में फाइबर को शामिल न करना

दिनों दिन प्रोसेस्ड फूड के बढ़ते चलन के कारण शरीर को फाइबर की प्राप्ति नहीं होती है, जो कब्ज का कारण बनता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार डाइट में फाइबर की कमी कब्ज का कारण साबित होती है। सॉल्यूबल फाइबर प्रीबोयाटिक के तौर पर काम करता है और पानी का एबजॉर्ब करके जेल सबस्टांस बनाने लगता है। वहीं इन सॉल्यूबल फाइबर कोलन को क्लीन रखने में मदद करता है।

Jaanein processed food ke nuksaan
प्रोसेस्ड फूड से गट माइक्रोबायोटा असंतुलित होने लगता है और कब्ज का खतरा बना रहता है।। चित्र : अडोबी स्टॉक

3. सिडेंटरी लाइफस्टाइल

नियमित रूप से व्यायाम न करने से मेटाबॉलिज्म धीमा होने लगता है। साथ ही ब्लड सर्कुलेशन में कमी आने लगती है। इससे आंतों की मांसपेशियां में कमजोरी बढ़ने लगती हैं, जिससे मल त्याग में बाधा बढ़ने लगती है। गतिशील जीवनशैली को अपनाने से कब्ज के लक्षणों को कम किया जा सकता है। साथ ही लार्ज इंटेस्टाइल की मांसपेशियां रिलैक्स हो जाती हैं।

4. समय से खाना न खाना

समयानुसार खाना न खाने से शरीर को पोषण की प्राप्ति नहीं हो पाती है। साथ ही पोषक तत्वों के एबजॉर्बशन की कमी भी बनी रहती है। ऐसे में नियमित रूप से स्टून पास न कर पाने का सामना करना पड़ता है। इस समस्या को दूर करने के लिए नेचुरल गट पैटर्न को फॉलो करें।

5. डेयरी प्रॉडक्ट्स का अधिक सेवन

डेयरी प्रॉडक्ट्स का सेवन करने से शरीर में प्रोटीन की मात्रा बढ़ने लगती है, जो कब्ज का कारण साबित होता है। साथ ही लैक्टोज़ इंटोलरेंट को बढ़ाता हैं। दूध में कैसिन कंपाउंड होता है, जो गट में मौजूद बैक्टीरिया के साथ मिलकर लैक्टोज़ इंटोलरेंट को बढ़ाता है और ब्लोटिंग, कब्ज व उल्टी की समस्या बनी रहती है।

dairy product me ho sakte hain food additives.
डेयरी प्रॉडक्ट्स का सेवन करने से शरीर में प्रोटीन की मात्रा बढ़ने लगती है, जो कब्ज का कारण साबित होता है।। चित्र : अडोबी स्टॉक

इन टिप्स की मदद से कब्ज से मिलेगी राहत

1. प्रोबायोटिक आहार लें

प्रोबायोटिक्स से आंत के स्वास्थ्य को मज़बूती मिलती है। इससे गट हेल्थ को हेल्दी बैक्टीरिया की प्राप्ति होती है, जिससे गट फ्लोरा हेल्दी रहता है और डाइजेशन भी इंप्रूव होने लगता है। सके लिए आहार में दही, लस्सी, अलकलाइन वॉटर और अचार का सेवन करें।

2. व्यायाम करें

खाना खाने के बाद बैठने की जगह कुछ देर टहलें। साथ ही मल त्याग को उत्तेजित करने के लिए वॉक करें और विंड रिलीजिंग पोज़ यानि पवनमुक्तासन योगासन का अभ्यास करें।। इससे पाचन को मज़बूती मिलती है।

Exercise ke fayde
खाना खाने के बाद बैठने की जगह कुछ देर टहलें।

3. हेल्दी फैट्स को आहार में शामिल करें

पाचन में सहायता करने वाले हेल्दी वसा के लिए ओमेगा 3 फैटी एसिड को बाहार में शामिल करें। इसके अलावा आहार में नारियल तेल, घी और एवोकाडो को शामिल करें। इससे आहार संतुलित बना रहता है।

4. इलेक्ट्रोलाइट्स की मात्रा को बनाए रखें

शरीर को हाइड्रेट बनाए रखने और इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलित रखने के लिए पानी पीएं। साथ ही छाछ, नींबू पानी और स्मूदी का सेवन करें। इससे शरीर को फाइबर की प्राप्ति होती है और डिहाइड्रेशन से बचा जा सकता है। न्यूट्रिएंट्स जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार कैफीन और शराब का सेवन करने से निर्जलीकरण का खतरा बना रहता हैं।

Hydration hai jaruri
शरीर को हाइड्रेट बनाए रखने और इलेक्ट्रोलाइट्स को संतुलित रखने के लिए पानी पीएं। साथ ही छाछ, नींबू पानी और स्मूदी का सेवन करें।

5. तनाव को करें नियंत्रित

भरपूर नींद न लगने से तनाव बढ़ने लगता है, जो हार्मोनल इंबैलेंस का कारण साबित होता है। ऐसे में कई कारणों से बढ़ने वाला तनाव और एंग्ज़ाइटी से पाचनतंत्र असंतुलित होने लगता है। ऐसे में स्वस्थ्स आहार लें और अनिद्रा से बचें।

  • Google News Share
  • Facebook Share
  • X Share
  • WhatsApp Share
लेखक के बारे में
ज्योति सोही
ज्योति सोही

लंबे समय तक प्रिंट और टीवी के लिए काम कर चुकी ज्योति सोही अब डिजिटल कंटेंट राइटिंग में सक्रिय हैं। ब्यूटी, फूड्स, वेलनेस और रिलेशनशिप उनके पसंदीदा ज़ोनर हैं।

अगला लेख