दिल्ली और एनसीआर में पिछले दस दिनों से यमुना का जलस्तर बढ़ा हुआ है। इसके कारण बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। जलजमाव के कारण न सिर्फ डेंगू और मलेरिया जैसी वाॅटर बोर्न डिजीज से प्रभावितों की संख्या बढ़ रही है, बल्कि कंजक्टिवाइटिस या पिंक आई से पीड़ितों की संख्या में भी तेजी आई है। लाल आंखें, आंखों में सूजन, खुजली, जलन होने जैसी समस्याएं इसके संकेत हैं। खुद को और अपने परिवार को इस संक्रामक बीमारी से बचाने के लिए जरूरी (conjunctivitis causes and prevention) है कि आप इसके बारे में सब कुछ जानें।
पिछले 10 दिनों में दिल्ली के सरकारी और निजी अस्पतालों में रोज कंजक्टिवाइटिस के 20-25 मामले सामने आ रहे हैं। ये औसत मामलों की संख्या से चार गुना अधिक हो सकते हैं। पूरे भारत में भारी बारिश के कारण दिल्ली सहित गुजरात और पूर्वोत्तर राज्यों में भी कंजक्टिवाइटिस के मामलों में वृद्धि हुई है। दरअसल, पिछले 10 दिनों में मौसम में तेजी से बदलाव आया है। कभी गर्मी, तो कभी उमस की समस्या। इस मौसम में तेजी से बैक्टीरिया ग्रो करते हैं। साथ ही, यदि सेनिटेशन के नियमों का पालन नहीं किया जाए, तो यह आंखों पर बुरा प्रभाव डालता है। एंटीबायोटिक-दवाओं के रिएक्शन या प्रतिरोध के कारण भी कंजक्टिवाइटिस की समस्या हो सकती है।
शार्प साइट आई हॉस्पिटल में वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक डॉ. प्रदीप अग्रवाल बताते हैं, ‘कंजंक्टिवाइटिस आई लैशेज और आई बॉल को जोड़ने वाली पारदर्शी झिल्ली में सूजन या संक्रमण होने की समस्या है। यह वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण, एलर्जी और पर्यावरणीय स्थितियों सहित विभिन्न कारकों के कारण होता है। बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस में बैक्टीरियल पैथोजेन्स के कारण आंखों में संक्रमण हो जाता है। मौसम की स्थिति में बदलाव, सेनिटेशन के नियमों का पालन नहीं करना या एंटीबायोटिक-दवाओं के रिएक्शन से भी यह हो सकता है।’
डॉ. प्रदीप अग्रवाल कहते हैं, ‘मौसम में तेजी से आ रहे बदलाव के दिनों में स्वच्छता के नियम का पालन करना सबसे जरूरी है। सबसे पहले हाथों को बार-बार साबुन और गर्म पानी से धोएं। कम से कम 15 सेकंड तक हाथों को धोएं। आंखों को छूने या आंखों में आई ड्रॉप डालने से पहले और बाद में हाथों को जरूर साफ़ करें।
वरिष्ठ नेत्र चिकित्सक डॉ. प्रदीप अग्रवाल के अनुसार, टैप से दूषित पानी भी आ सकता है। इससे आपकी आंखें संक्रमित हो सकती हैं। इसलिए टैप वाटर की बजाय आरओ के पानी से धोना आँखों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।
अपनी आदत के अनुसार, हम समय-समय पर आंखों को मलने लगते हैं। इस आदत को छोड़ दें। यदि एक आंख में कंजंक्टिवाइटिस है, तो यह दूसरी आंख तक फैल सकता है। यह रोग होने पर दिन में कई बार साफ, गीले वॉशक्लॉथ या ताजे सूती बॉल से आंखों के आसपास सीक्रेट हुए फ्लूइड को साफ़ करें (conjunctivitis causes and prevention)।
वॉशक्लॉथ, टॉवल, पिलो, पिलो कवर, आई ड्रॉप, मेकअप के सामान, कॉन्टैक्ट लेंस, लेंस स्टोरेज केस या चश्मा किसी अन्य व्यक्ति को न तो दें और न ही लें। इन सभी चीज़ों की शेयरिंग से इन पर मौजूद वायरस या बैक्टीरिया से संक्रमण फैला सकता है।
यदि आप कॉन्टैक्ट लेंस पहनती हैं, तो सुनिश्चित करें कि वे ठीक से साफ किए गए हों। इन दिनों कॉन्टैक्ट लेंस भी बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस के कारण बन रहे हैं। कंजंक्टिवाइटिस होने पर कॉन्टैक्ट्स लेंस पहनना छोड़ (conjunctivitis causes and prevention) दें। ठीक होने या डॉक्टर की सलाह पर ही दोबारा पहनना शुरू करें।
उपचार के लिए डॉक्टर की सलाह पर सूजन खत्म करने वाली एंटीबायोटिक आई ड्रॉप का उपयोग करें। कुछ मामलों में ओरल एंटीबायोटिक दवाओं की भी जरूरत पड़ सकती है।
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