कोरोना संक्रमण की शुरुआत में हम इस बला के बारे में कुछ भी नहीं जानते थे। पर सवा साल बाद हम बहुत कुछ जान गए हैं। बहुत कुछ, सब कुछ नहीं! सब कुछ जानने वाला तो कोई और ही है। उसके अलावा किसी मूर्ख को ही सब कुछ जान लेने का भ्रम हो सकता है।
कोरोना दो तरीके से हमारे शरीर को प्रभावित करता है
1- हल्का कोरोना और 2 – गंभीर कोरोना –हल्का कोरोना से पहले जरूरी है गंभीर कोरोना के बारे में बात करना। इसमें कोरोनावायरस की यात्रा तीन फेज से होकर गुजरती है।
यह पहले सिंपटम से लगभग पांच दिन तक चलता है। इसमें अपर रेस्पिरेटरि सिस्टम यानी गले में वायरस के प्रवेश से आरंभ होता है। इसमें बुखार व गला खराब होता है, धसक हो सकती है।
इसमें वायरस व्यक्ति के लंग्स में प्रवेश कर जाता है और निमोनिया होने की संभावना हो जाती है। यह पांचवें दिन से 10वें या 12वें दिन चलता है। यह दो हिस्से में होता है, जिसे हम 2 A व 2 B में विभाजित करते हैं।
फेज 2 A – में ऑक्सीज़न की जरूरत नहीं होती। यानी फेज 1 में ऑक्सीज़न लेवल 95 से ऊपर रहता है। अगर दसवें दिन मरीज ठीक हो जाता है, तो समझिए वह रिकवर हो गया है।
2 B फेज – में यानी सातवें दिन अगर बुखार खांसी व दम फूलना जारी है, तो हमें स्टेरोइड्स एवं ऑक्सीजन की जरूरत होती है। इसी में बैक्टीरिया के सेकेन्डरी संक्रमण से बचाने हेतु डॉ एंटीबायोटिक दे सकता है।
इसमें ऑक्सीज़न लेवेल 93 से नीचे जाना शुरू होजाता है। यह खतरे की घंटी है। यहां फटाफट 5 से 10 लिटर ऑक्सीजन की जरूरत होती है और अस्पताल जाना अच्छा रहता है।
फेज 3 में या तो व्यक्ति ठीक हो चुका है या अस्पताल में ऑक्सीजन पर है। इस समय उसे चिकित्सीय देखभाल की जरूरत होती है।
पहले दिन से तेज बुखार और 5 मिनट चलने पर सांस फूलने लगता है, तो आप को निमोनिया होने की संभावना है। सीआरपी दस से ज्यादा होने पर ध्यान रखने की जरूरत है। ऐसे में आपको कोविड के लिए जरूरी टेस्ट करवा लेने चाहिए।
इसमें आमतौर खांसी या गला खराब नहीं होता। बुखार भी हल्का होता है अन्य लक्षण हो सकते हैं। जो अनेक हैं यानी आंख लाल होना, दस्त, स्वाद या स्मैल का चला जाना।
यह एक अच्छा टेस्ट है, लेकिन यह भी शत प्रतिशत ठीक रिज़ल्ट दे यह जरूरी नहीं। यह शुरुआत में यानी जब तक वायरस नाक या गले में रहता है, पहले लक्षण से 5 दिन तक, इसके शत प्रतिशत ठीक रिजल्ट की संभावना होती है। वह भी तब जब नमूना ठीक तरीके से लिया जाए और जांच ठीक से की जाए।
पांचवे दिन के बाद वायरस नीचे यानी फेफड़ों में जा चुका होता है, तब टेस्ट के नेगेटिव होने की संभावना बढ़ जाती है।
1 CBC, CRP ( C Reactive Protein) , D Dimer – ये टेस्ट इन्फेक्शन कितनी है तथा किस दवा की जरूरत पड़ेगी।
विशेष है CRP ( C Reactive Protein ) अगर यह दस से ज्यादा है, तो फौरन चिकित्सीय सलाह की जरूरत है। जिसमें अधिकतर स्टेरोइड और ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ सकती है।
D Dimer – हमें ब्लड क्लोट होने की संभावना से अवगत करवाता है। अगर यह ज्यादा हो, तो खून को पतला करने की दवा देनी पड़ सकती हैं।
HRCT – या सी टी स्कैन – कुछ लोग अपने आप ही स्कैन करवाने लगे हैं। यह दो वजह से गलत है। एक तो वहां जाने से आपको और ज्यादा वायरस मिल सकता है, दूसरे पहले सिम्पटम के होने के 5 या 6 दिन बाद ही स्कैन में चेंज आएंगे। अगर पहले करवा लेंगे, तो आप भ्रम में रहेंगे कि ठीक हैं।
हम अब तक के अनुभव से जान गए हैं कि लक्षणो हेतु दवाएं यथा बुखार हेतु पेरसिटामोल, कुछ दर्द हेतु दवाएं व भाप के अलावा केवल स्टेरोइड और ऑक्सीजन के अतिरिक्त रेमिडिसिवर या अन्य किसी दवा का कोई असर इंटेरनेश्नल शोध में नहीं मिला है। अत: घबराएं नहीं, घर में रहकर ही इस बला से निबटें।
सबसे पहले उसके लिए एक ऐसे कमरे का इंतजाम करें, जिसके साथ टॉयलेट हो तथा हवादार हो। अगर टीवी हो, तो उसे समय बिताने में आसानी होगी। उसे ठंडी वस्तुएं न दें, अल्कोहल व स्मोकिंग से परहेज करें।
जब कोई उनके कमरें में आए तो मरीज कम से कम डबल मास्क पहने व उनकी तीमारदारी करने वाला व्यक्ति ट्रिप्प्ल लेयर रखे। यानी एक सर्जिकल मास्क उसके ऊपर एक कपड़े का मास्क व तीसरा कोई पल्लू आदि।
कपड़ों के ऊपर कोई गाउन आदि पहने और उसे बाहर जाकर उतार कर ऐसी जगह रखें, जहां कोई उसे छूए नहीं। अगर पीपीई किट का इंतजाम हो जाए तो और भी अच्छा है।
डायबटीज़ और कोरोना की कॉकटेल बहुत खरनाक है। हमें मधुमेह कंट्रोल हेतु दवा बढ़ानी पड़ सकती है। इसी तरह ब्लड प्रेशर की दवा को भी कुछ दिन बढ़ाना पड़ सकता है।
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