स्पाइन यानी रीढ़ की हड्डी शारीरिक संरचना को सपोर्ट, गतिविधि और स्पाइनल कॉर्ड को सुरक्षा प्रदान करती है, जो हमारे नर्वस सिस्टम का एक आवश्यक हिस्सा है। इसकी संरचना जटिल होती है, इसलिए इसमें अनेक समस्याएं होने की संभावना होती है। स्पाइन की समस्याएं (Spinal issues) जीवन की गुणवत्ता पर असर डाल सकती हैं। इससे दर्द, गतिशीलता कम हो जाने और गंभीर मामलों में विकलांगता भी हो सकती है। आज स्पाइन में होने वाली सबसे आम समस्याओ (common spine problems) और उनके उपचार (spine problems treatment) के बारे में बात करते हैं।
डॉ आशीष डागर रीढ़ की हड्डी के विशेषज्ञ हैं। वे मणिपाल हॉस्पिटल, गुरुग्राम में कंसल्टेंट स्पाइन सर्जरी हैं। डॉ आशीष कहते हैं, “आज पीठ का दर्द केवल वृद्धों की समस्या नहीं है। यह हर साल हर उम्र के लाखों लोगों को प्रभावित कर रहा है। वास्तव में पीठ का दर्द इतना आम हो गया है कि यह पूरी दुनिया में होने वाली विकलांगता का मुख्य कारण बन गया है।”
डाॅ डागर कहते हैं, “हर्निएटेड डिस्क को रप्चर्ड या स्लिप डिस्क भी कहा जाता है। यह तब होता है जब स्पाईनल डिस्क का मध्य का स्पंजी हिस्सा किसी बिंदु से बाहर के कठोर हिस्से पर दबाव डालता है। इसकी वजह से आसपास की नसें उत्तेजित हो जाती हैं, और दर्द, सुन्नपन, या हाथों और पैरों में कमजोरी हो सकती है। यह इस बात पर निर्भर है कि हर्निएशन कहां हुआ है।”
क्या हैं हर्निएटेड डिस्क के लक्षण (Herniated disc symptoms)
हर्निएटेड डिस्क के ज्यादातर मामलों का इलाज पारंपरिक तरीके से हो सकता है। डॉ आशीष बताते हैं, “प्रारंभिक इलाज में आराम करना या दर्द करने वाली गतिविधियों को रोकना या संशोधित करना शामिल होता है। इसके लिए नॉन-स्टेरॉयडल एंटी-इन्फ्लेमेटरी दवाईयां दी जा सकती हैं। जिनमें आईबुप्रूफेन शामिल है। इनसे सूजन और दर्द में आराम मिलता है।”
वे आगे कहते हैं, “शारीरिक थेरेपी से भी स्पाईन के बाहर मांसपेशियों में सुधार होता है और इन हिस्सों में सूजन कम होती है। ज्यादा गंभीर मामलों में सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है, जब लक्षण चिंताजनक हों या फिर पारंपरिक इलाज से फायदा न मिल पाए।”
इसमें स्पाईन के अंदर स्पेस संकरा हो जाता है, जिसकी वजह से स्पाईनल कॉर्ड और नसों पर दबाव बढ़ता है। यह समस्या वृद्धों में ज्यादा आम है और स्पाईन में बढ़ती उम्र के साथ होने वाली टूट-फूट के कारण होती है।
स्पाईनल स्टेनोसिस के लक्षण (Spinal stenosis symptoms)
स्पाईनल स्टेनोसिस का उपचार (Spinal stenosis treatment)
स्पाईनल स्टेनोसिस का इलाज स्पाईनल कॉर्ड और नसों पर दबाव से राहत देने पर केंद्रित होता है। इसके इलाज से स्पाईन के चारों ओर स्थित माँसपेशियां भी मजबूत हो सकती हैं, जिससे स्पाईन की मजबूती और लचीलेपन में वृद्धि होती है। दर्द का इलाज आम तौर से NSAIDs या मसल रिलैक्सैंट्स देकर किया जाता है।
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कस्टमाइज़ करेंकुछ मामलों में सूजन को कम करने के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉयड इंजेक्शन भी दिए जा सकते हैं। लक्षण गंभीर हों और पारंपरिक इलाज से लाभ न मिल पा रहा हो, तो स्पाईनल कैनाल को चौड़ा करने और दबाव को कम करने के लिए सर्जरी की जा सकती है।
इस स्थिति में रीढ़ की हड्डी आम तौर से ‘‘एस’’ या ‘‘सी’’ के आकार में मुड़ जाती है। यह आम तौर से किशोरावस्था से पहले वृद्धि की अवस्था में होता है, लेकिन स्पाईन में डिजनरेटिव परिवर्तनों के कारण वृद्धावस्था में भी हो सकता है।
स्कोलियोसिस के लक्षण (scoliosis symptoms)
स्कोलियोसिस का उपचार (scoliosis treatment)
यह एक जटिल समस्या है। इसके बारे में डॉ आशीष बताते हैं, “स्कोलियोसिस का इलाज रीढ़ की हड्डी कितनी मुड़ी है और मरीज की क्या उम्र है, इस पर निर्भर करता है। यदि यह बहुत कम मुड़ी है, तो बच्चों और किशोरों में समय-समय पर फॉलोअप करने की जरूरत होती है, ताकि यह बढ़े नहीं। इसका मध्यम मुड़ा हुआ या गंभीर रूप से मुड़ा हुआ होने पर इसे बढ़ने से रोकने के लिए ब्रेस लगाए जा सकते हैं। स्थिति गंभीर होने पर और दर्द सामान्य से ज्यादा होने पर तथा साँस लेने में मुश्किल होने पर डॉक्टर सर्जरी कर सकते हैं।”
ऑस्टियोआर्थ्राईटिस जोड़ों की एक डिजनरेटिव बीमारी है जिसमें जोड़ों के बीच की कार्टिलेज घिस जाती है। स्पाईन में वर्टीब्रे के बीच की कार्टिलेज घिस जाती है, जिसकी वजह से उस हिस्से में दर्द और अकड़न होने लगते हैं।
स्पाईन में ऑस्टियोऑर्थराइटिस के लक्षण (osteoarthritis in spine symptoms)
स्पाईन में ऑस्टियोऑर्थराइटिस का उपचार (osteoarthritis in spine treatment)
स्पाईन में ऑस्टियोऑर्थराइटिस का इलाज मुख्यतः जीवनशैली के संशोधनों और दवाईयों द्वारा किया जाता है। वजन नियंत्रित रखने, हल्का व्यायामक रने, और नियमित शारीरिक थेरेपी लेने से दर्द कम हो सकता है और गतिशीलता बनाए रखने में मदद मिल सकती है। NSAIDs, एसीटोमिनोफेन, या सामान्य दर्द निवारक दर्द से आराम दे सकते हैं।
स्थिति गंभीर होने पर कॉर्टिकोस्टेरॉयड्स या हायलुरोनिक एसिड इंजेक्शन दिए जा सकते हैं। इसके लिए सर्जरी तभी की जाती है जब दर्द बहुत गंभीर हो और न्यूरोलॉजिकल लक्षणों में अन्य इलाजों से कोई लाभ न मिल सके।
याद रखें
स्पाइन की समस्याएं बहुत आम हो गई हैं और इनका दैनिक जीवन पर गहरा असर पड़ता है। लेकिन उचित निदान और इलाज की मदद से लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है। जीवन की अच्छी गुणवत्ता के लिए समय पर इलाज करना आवश्यक होता है, क्योंकि इस समय स्थिति को गंभीर होने से रोका जा सकता है और सर्जरी को टाला जा सकता है।
अगर पीठ या गले में दर्द लगातार बना रहे और सुन्नपन एवं कमजोरी भी हो, तो डॉक्टर को दिखाना आवश्यक होता है। अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्पाईन का स्वस्थ होना बहुत आवश्यक है। इसलिए इसकी सुरक्षा और देखभाल करें।
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