त्योहारों के मौसम में जहां वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है, तो वहीं तापमान में आने वाली तब्दीली मौसमी संक्रमण का कारण साबित हो रही है। सुबह शाम ठंडी हवाएं चलने से खांसी की समस्या दिनों दिन बढ़ रही है। लगातार आने वाली खांसी को लेकर अक्सर लोग चिंतित रहते हैं और दवाओं का रूख करते हैं। ठंडे मौसम के अलावा, अस्थमा, वायु में पॉल्यूटेंटस का बढ़ना और एलर्जी इस समस्या को बढ़ा देती है। सबसे पहले जानते हैं एक्यूट कफ किसे कहते हैं और इससे राहत पाने के लिए किन घरेलू नुस्खों की मदद लें (home remedies for cough)।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार खांसी करना गले और एयरवेज़ यानि वायुमार्ग को साफ रखने का एक फायदेमंद तरीका है। ज़्यादा खांसी एलर्जी, सर्दी, फ्लू या साइनस संक्रमण के कारण होती है। एक्यूट कफ आमतौर पर 3 सप्ताह के बाद ठीक हो जाती हैं। वहीं सब एक्यूट कप 3 से 8 सप्ताह तक रहती है और क्रॉनिक कफ 8 सप्ताह से ज़्यादा समय तक बनी रहती है।
इस बारे में पल्मोनोलॉजी, सीनियर कंसल्टेंट डॉ अवि कुमार बताते हैं कि फ्लू, धूल.मिट्टी, पोलन एलर्जी और प्रदूषण के कारण होने वाली खांसी की समस्या 10 से 15 दिन में ठीक हो जाती है। दरअसल, पॉल्यूशन का बढ़ता स्तर एयरवेज़ में सूजन और जलन को बढ़ाता है। इसके अलावा नोज़ कंजेशन और गले में संक्रमण का सामना करना पड़ता है। वे लोग जिनका इम्यून सिस्टम कमज़ोर है, वे आसानी से संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। ऐसे में रेस्पीरेटरी हाइजीन का ख्याल रखना आवश्यक है। इसके लिए मास्क लगाकर रखें और भीड़भाड़ वाली जगह पर जानें से परहेज़ करें।
मेडलाइन प्लस की रिर्पोट के अनुसार एलर्जिक राइनाइटिस यानि मौसमी एलर्जी जानवरों और पेड़ पौधों से बढ़ने लगती हैं। सुबह वॉक पर जाने और हर समय पालतू जानवरों के साथ रहने से इसका जोखिम बढ़ जाता है। कमज़ोर इम्यून सिस्टम के चलते खांसने, छींकने और गले में खराश का सामना करना पड़ता है।
फ्लू के कारण कफ का सामना करना पड़ता है। दरअसल, फ्लू वायरस रेस्पीरेटरी इलनेस का कारण साबित होता है। इससे खांसी के अलावा शरीर में ऐंठन, बुखार और नेज़ल कंजेशन का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे में बलगम की समस्या बनी रहती है। संक्रमण के चलते शरीर में उल्टी और दस्त की भी संभावना बढ़ जाती है। लगातार होने वाली खांसी से बचने के लिए बाहर निकलने से बचें और पानी भरपूर मात्रा में पीएं।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार ऊपरी श्वसन संक्रमण यानि अपर रेस्पीरेटरी इंफे्क्शन से भी खांसी का सामना करना पड़ता है। इससे ग्रस्त व्यक्ति का सर्दी के साथ हल्की खांसी महसूस होती है। वातावरण में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस इस समस्या का कारण साबित होते हैं। इस समस्या से ग्रस्त लोगों को लेटने के दौरान समस्या बढ़ने लगती है।
अमेरिकन लंग एसोसिएशन की रिपोर्ट के अनुसार अगर हवा में मौजूद संक्रमण फेफड़ों में फैलता है, तो निमोनिया का रूप ले लेता है। इससे सांस लेने में भी तकलीफ बढ़ जाती है और बार बार खांसी आने लगती है। खांसने के दौरान बलगम भी निकलने लगती है। एक्स रे की मदद से इस समस्या की जांच के बाद मेडिकेशन ली जाती है।
शरीर को हाइड्रेट रखने से म्यूकस से राहत मिलती है और गले में बढ़ने वाले संक्रमण का खतरा कम हो जाता है। दिनभ्री में 8 से 10 मिलास पानी पीना आवश्यक है। इसके अलावा हल्का गुनगुना पानी पीना भी फायेदमंद साबित होता है। साथ ही नमक वाले पानी से गार्गन करके भी बैक्टीरिया को बए़ने से रोका जा सकता है।
कहीं बाहर से आने के बाद अपने हाथों को साबुन और पानी से धोएं। इससे हाथों पर मौजूद संक्रमण को क्लीन किया जा सकता है। इससे शरीर में बढ़ने वाली समस्याओं के जोखिम को कम करने में मदद मिलती है। घर से बाहर खुद को प्रोटेक्ट करने के लिए हैंड सेनिटाइज़र का प्रयोग करें।
एंटी इंफ्लामेटरी और एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरपूर अदरक की चाय कारगर साबित होती है। इसे बनाने के लिए अदरक और मोटी इलायची को पानी में कुछ देर उबालें और फिर उसमें शहद मिलाकर पी लें। इसमें मौजूद जिंजरोल तत्व शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
तुलसी में एंटी इंफ्लामेटरी प्रॉपर्टीज़ पाई जाती हैं, जो सीजनल फ्लू से बचाने में मददगार है। साथ ही एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल प्रॉपर्टीज से भरपूर लौंग शरीर का फायदा पहुंचाते हैं एक गिलास पानी में तुलसी की पत्तियों और 1 से 2 लौंग लेकर उबालें। जब पानी की मात्रा आधी रह जाएं, तो पानी का छानकर उसमें चुटकी भर दालचीनी मिलाकर पीएं।
आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर अर्जुन की छाल का पाउडर संक्रमण के प्रभाव को नियंत्रित करता है। इसके लिए 1 चम्मच पाउडर को पानी में डालकर उबालें और साथ में चुटकी भर दालचीनी का मिलाएं। अब इसे कुछ देर उबालें और फिर इसे छानकर पीएं। इससे गले की खराश को कम करके खांसी से राहत मिल जाती है।
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