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शीत लहर में बरती लापरवाही, तो इन 6 बीमारियों के लिए रहें तैयार, जानिए कैसे रखना है अपना ध्यान

शीत लहर एक प्रकार का मौसम है, जिसमें हवाएं बेहद ठंडी हो जाती हैं और तेज गति से चलती हैं। शीत लहर में ठंडी हवाएं बेहद आक्रमिक होती हैं, जो सेहत को कई नुकसान पहुंचा सकती हैं।
समस्यायों का कारण बन सकती है शीत लहर में बरती गई लापरवाही, जानें कैसे करना है बचाव। चित्र : अडॉबीस्टॉक
Published On: 19 Jan 2025, 10:00 am IST

पिछले कुछ दिनों में नार्थ इंडिया में तापमान में तेज गिरावट आई है, और कोल्ड वेव (cold wave) यानि की शीत लहर चल रही है। मौसम विभाग की माने तो अभी ये स्थिति कुछ दिनों तक और बानी रहेगी। ऐसे में खुदको ठंड से प्रोटेक्ट करना बहुत जरुरी है। कोल्ड वेव के कारण स्वास्थ्य संबंधी कई तरह की समस्यायों का खतरा बढ़ जाता है (cold wave health hazards)। यदि शीत लहर की स्थिति में सेहत के प्रति सचेत न रहा जाए तो कई गंभीर स्थिति उत्तपन हो सकती है, यहां तक की ये जानलेवा हो सकता है। आइये जानते हैं ठंड में शीत लहर से बचाव के कुछ प्रभावी तरीके (cold wave health hazards)।

कोल्ड वेव यानि शीत लहर क्या है (cold wave)?

शीत लहर एक प्रकार का मौसम है, जिसमें हवाएं बेहद ठंडी हो जाती हैं और तेज गति से चलती हैं। शीत लहर में ठंडी हवाएं बेहद आक्रमिक होती हैं, जो सेहत को कई नुकसान पहुंचा सकती हैं। कोल्ड वेव को कोल्ड स्नैप या डीप फ़्रीज़ भी कहा जाता है। इसकी पहचान किसी भी क्षेत्र के एवरेज टेम्प्रेचर में अचानक से गिरावट आने से की जाती है।

कोल्ड वेव के कारण बढ़ जाती है कई सेहत संबंधी समस्याएं (cold wave health hazards)

1. ह्रदय से जुड़ी परेशानी

ठंड के कारण ब्लड वेसल्स सिकुड़ जाते हैं, जिससे ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट बढ़ जाती है। इसके कारण हृदय प्रणाली पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जिससे संभावित रूप से हार्ट अटैक, तेज धड़कन, भारीपन आदि जैसी समस्याएं आपको परेशान कर सकती हैं। इसके अलावा, ठंड बढ़ने से रक्त गाढ़ा हो सकता है, जिससे क्लॉटिंग होने की संभावना बढ़ जाती है, जो हार्ट अटैक और स्ट्रोक दोनों का एक महत्वपूर्ण कारक है।

हार्ट हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकता है. चित्र : अडॉबीस्टॉक

2. स्ट्रोक और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं

अधिक ठंडी हवाओं के संपर्क में रहने से हाइपोथर्मिया एक बड़ा खतरा बन जाता है, जो शरीर की स्थिर आंतरिक तापमान बनाए रखने की क्षमता को चुनौती दे सकता है। यह तंत्रिका संबंधी कार्यों को बाधित करता है, जिससे स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा, अत्यधिक ठंड के लंबे समय तक संपर्क में रहने से कंपकंपी हो सकती है, जो गर्मी उत्पन्न करने की एक स्वाभाविक प्रतिक्रिया है, लेकिन इससे हृदय पर तनाव बढ़ सकता है। हालांकि, यदि ध्यान दिया जाए तो इस तरह की समस्या को ट्रिगर होने से रोका जा सकता है।

3. सांस लेने में तकलीफ होना या सांस फूलना

ठंडी हवा वायुमार्ग को संकुचित कर देती है, जिससे अस्थमा या क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) जैसी समस्या से पीड़ित व्यक्ति में जोखिम बढ़ जाता है। श्वसन प्रणाली पर दबाव हृदय संबंधी समस्यायों की संभावना को बढ़ा देता है।

4. शीतदंश/ फ्रॉस्टबाइट (Frostbite)

शीतदंश, त्वचा और इंटरनल टिश्यू को प्रभावित करने वाले ठंडे तापमान का परिणाम है, जो ब्लड फ्लो को बाधित कर सकता है। यह न केवल टिश्यू डैमेज के जोखिम को बढ़ाता है, बल्कि ठंड के संपर्क से जुड़ी हृदय संबंधी समस्यायों में भी योगदान दे सकता है। इसमें ठंड का अहसास होता है और उसके बाद सुन्नपन हो जाता है।

सर्दियों में सुबह उठते के साथ करें अदरक और शहद का सेवन। चित्र : शटरस्टॉक

5. बढ़ जाता है साइकोलॉजिकल स्ट्रेस

अत्यधिक ठंड से साइकोलॉजिकल स्ट्रेस, तनाव हार्मोन को उत्तेजित कर सकता है, जो नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता है। यह हृदय संबंधी समस्यायों को ट्रिगर कर सकता है, या मौजूदा हृदय संबंधी स्थितियों को बत्तर कर सकता है।

6. संक्रमण का खतरा

लंबे समय तक ठंडी हवाओं के संपर्क में रहने से इम्युनिटी कमजोर हो सकती है। इससे फ्लू और सामान्य सर्दी-खांसी जैसे रेस्पिरेटरी संक्रमणों की संवेदनशीलता बढ़ जाती है।

जानें शीत लहर से बचाव के कुछ प्रभावी टिप्स (how to protect yourself from cold wave)

1. खुदको गर्म रखने के लिए पूरे कपड़े पहनें

शीत लहर से बचने के लिए शरीर को गर्म रखना बहुत जरूरी है, जिसके लिए लेयर्स में कपड़े पहने। जो आपका बसे लेयर होगा वे सबसे ज्यादा काम करता है, इसलिए अच्छी क्वालिटी का इनर पहनें। उसके ऊपर अपने अनुसार लेयरिंग करें। घर से बाहर हवा में जाने से पहले विंडप्रूफ जैकेट पहनना जरूरी है, ताकि हवाएं आपकी बॉडी में न लगे। इसके अलावा कान और सिर ढकने के लिए टोपी पहनना बहुत जरूरी।

2. सही खानपान से मदद मिलेगी

गर्म भोजन करें, और अपने नियमित भोजन को हल्का रखें। ठंड के मौसम में सीजनल फल एवं सब्जियों का सेवन करना बहुत जरूरी है। क्योंकि यह इम्यूनिटी को बढ़ावा देते हैं, जिससे कि ठंड में संक्रमण तथा बीमारियों से लड़ने की शक्ति मिलती है। शरीर को गर्म रखने के लिए गर्म ड्रिंक्स का सेवन करें, इसके साथ ही रोजाना खिचड़ी खाएं।

3. शरीर को सक्रिय रखें

जब आपका शरीर सक्रिय रहता है, तो ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है। साथ ही शरीर में गर्मी पैदा होती है। यह आप स्वयं आजमा कर देख सकती हैं, कि कंबल में बैठे रहने से अधिक ठंड का एहसास होता है, जैसे ही आप कंबल से निकल कर काम करना शुरू करती हैं, वैसे ही आपको बेहतर महसूस होता है। यदि बहुत ज्यादा ठंड है और आप घर के बाहर नहीं जा सकती है, तो घर के अंदर योग और व्यायाम का अभ्यास करें। इसके साथ ही घर के छोटे-मोटे कामकाज में खुद को व्यस्त रखें।

अगर हर समय ठंड का अहसास बना रहता है, तो डॉक्‍टर से परामर्श जरूर करें। चित्र: शटरस्‍टॉक

4. ठंडी हवाओं के संपर्क में ज्यादा समय न बिताए

यदि शीत लहर चल रहा है, तो ठंडी हवाओं के संपर्क में जितना हो सके उतना कम जाएं। क्योंकि आप जितना ज्यादा इनसे संपर्क बनाएंगी सेहत संबंधी समस्याओं का खतरा उतना ही बढ़ जाएगा। इसलिए कोशिश करें कि घर के अंदर समय बिताए, वहीं आवश्यकता पड़ने पर खुद को पूरी तरह से कवर करके बाहर निकलें।

5. आयरन और विटामिन b12 की मात्रा पर ध्यान दें

आयरन और विटामिन b12 की कमी एनीमिया का कारण बन सकती है। इस स्थिति में शरीर में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाने के कारण अधिक ठंड लग सकता है। ऐसे में अपनी नियमित डाइट में पर्याप्त मात्रा में आयरन और विटामिन b12 युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करें, जिससे कि आपकी बॉडी में इन पोषक तत्वों की मात्रा बरकरार रहे।

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लेखक के बारे में
अंजलि कुमारी

पत्रकारिता में 3 साल से सक्रिय अंजलि महिलाओं में सेहत संबंधी जागरूकता बढ़ाने के लिए काम कर रही हैं। हेल्थ शॉट्स के लेखों के माध्यम से वे सौन्दर्य, खान पान, मानसिक स्वास्थ्य सहित यौन शिक्षा प्रदान करने की एक छोटी सी कोशिश कर रही हैं।

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