माना जाता है कि ओ ब्लड ग्रुप (O Blood group) बहुत दुर्लभ है और सिर्फ 7% लोगों में ही पाया जाता है। O नेगेटिव वाले लोग यूनिवर्सल डोनर होते हैं, यानी इनका खून किसी भी ब्लड ग्रुप वाले व्यक्ति को दिया जा सकता है। लेकिन खुद O नेगेटिव वाले लोग केवल O नेगेटिव ब्लड ही ले सकते हैं। इस वजह से O नेगेटिव ब्लड ग्रुप वाले लोगों को कुछ खास चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। आखिर क्या हैं वे चुनौतियां और उन्हें क्यों रखना चाहिए अपनी सेहत का खास ध्यान, आइए हेल्थ शॉट्स के इस लेख में जानते हैं।
नारायणा हॉस्पिटल जयपुर में कंसल्टेंट ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन डॉ. तृप्ति बारोट, बताती हैं कि ब्लड ग्रुप जेनेटिक्स पर आधारित होता है। यानी कि यह हमें अपने माता-पिता से मिलता है। हमारे खून में विशेष प्रकार के प्रोटीन होते हैं जिन्हें एंटीजेन कहते हैं, और ये दो प्रकार के होते हैं: A और B।
इन एंटीजेन की मौजूदगी या अनुपस्थिति के आधार पर हमारा ब्लड ग्रुप तय होता है। वो आगे समझाती हैं कि अगर आपके खून में A एंटीजेन होता है, तो आपका ब्लड ग्रुप A होगा। अगर B एंटीजेन होता है, तो आपका ब्लड ग्रुप B होगा। अगर दोनों एंटीजेन होते हैं, तो ब्लड ग्रुप AB कहलाता है। और अगर कोई एंटीजेन नहीं होते, तो ब्लड ग्रुप O होता है। इसके अलावा, ब्लड में Rh फैक्टर भी होता है, जो यह तय करता है कि आपका ब्लड ग्रुप Rh-पॉजिटिव है या Rh-नेगेटिव। अगर आपके खून में Rh फैक्टर मौजूद है, तो आपका ब्लड ग्रुप पॉजिटिव कहलाएगा (जैसे A+ या B+), और अगर Rh फैक्टर नहीं है, तो नेगेटिव कहलाएगा (जैसे A- या O-)।
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डाॅ. तृप्ति कहती हैं कि O नेगेटिव ब्लड ग्रुप वाले लोगों के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि अगर उन्हें खून की जरूरत होती है, तो उन्हें यह काफी मुश्किल से मिलता है। क्योंकि यह दुर्लभ रक्त समूह है और बहुत कम लोगों का होता है। अगर आप इस रक्त समूह में आते हैं, तो यह जरूरी है कि आप अपने नजदीकी ब्लड बैंक या अस्पताल में अपनी जानकारी दर्ज करवाएं। ताकि अगर कभी इमरजेंसी में खून की जरूरत हो, तो आपके लिए खून तैयार हो सके।
इसके अलावा, आपको नियमित रूप से अपनी सेहत की जांच करानी चाहिए, खासकर हीमोग्लोबिन और आयरन लेवल की। ब्लड डोनेशन के दौरान भी इन लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए। ब्लड डोनेशन के बाद शरीर में खून की कमी हो सकती है, जो कि हीमोग्लोबिन और आयरन की कमी के कारण और बढ़ सकती है।
इसलिए ब्लड डोनेशन के बाद संतुलित डाइट लेना बहुत जरूरी है। आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे पालक, अनार, दालें, और बीन्स आदि का सेवन करना चाहिए। इसके साथ ही, डॉक्टर से नियमित चेकअप कराते रहना भी जरूरी है, ताकि किसी भी तरह की समस्या का समय रहते पता लगाया जा सके।
हां यह सच है। डॉ. तृप्ति बताती हैं कि “ ओ नेगेटिव ब्लड ग्रुप वाली महिलाओं में रिप्रोडक्टिव हेल्थ से जुड़ी चुनौतियां रहती हैं। इनमें प्रेगनेंसी के दौरान “Rh इन्कम्पेटिबिलिटी” का सामना करना पड़ सकता है। इसका मतलब यह है कि अगर महिला नेगेटिव है और उनके पार्टनर का ब्लड ग्रुप पॉजिटिव है, तो उनके बच्चे का ब्लड ग्रुप पॉजिटिव हो सकता है।
इससे मां और गर्भ के खून के बीच संघर्ष पैदा हो सकता है। जब मां का शरीर गर्भ के खून को अलग समझकर उससे लड़ने के लिए एंटीबॉडीज बनाने लगता है, तो इससे गर्भ में पल रहे बच्चे को नुकसान हो सकता है। इस स्थिति को रोकने के लिए, इस रक्त समूह की महिलाओं को प्रेगनेंसी के दौरान “Anti-D इन्जेक्शन” दिया जाता है।
यह Anti-D इन्जेक्शन 28 हफ्तों के बाद और डिलीवरी के तुरंत बाद दिया जाता है, ताकि अगली प्रेगनेंसी में भी कोई समस्या न हो। इसके लिए यह जरूरी है कि प्रेगनेंसी के दौरान नियमित रूप से डॉक्टर से संपर्क में रहना चाहिए, और ब्लड ग्रुप की जानकारी डॉक्टर को जरूर देनी चाहिए।”
सबसे पहले, नियमित ब्लड डोनेशन करते रहें, ताकि आपके जैसे लोगों के लिए ब्लड स्टॉक बना रहे। इससे न केवल आपकी सेहत बेहतर रहेगी, बल्कि इमरजेंसी में किसी और की भी जान बचाई जा सकेगी।
ब्लड डोनेशन के बाद उचित पोषण लेना बेहद जरूरी है, ताकि शरीर में खून की कमी न हो और हीमोग्लोबिन का स्तर बना रहे।
अपने डॉक्टर से नियमित हेल्थ चेकअप कराते रहें। इससे आप अपनी सेहत से जुड़े किसी भी खतरे से बच सकते हैं।
महिलाओं के लिए प्रेग्नेंसी के दौरान डॉक्टर से नियमित संपर्क में रहना और Anti-D इन्जेक्शन की जानकारी लेना महत्वपूर्ण है। अगर आपका ब्लड ग्रुप ओ नेगेटिव है और आप प्रेगनेंसी प्लान कर रही हैं, तो पहले से ही डॉक्टर से सलाह लेना फायदेमंद रहेगा।
ब्लड बैंक में अपनी जानकारी दर्ज करवाना भी एक अहम कदम है। इससे किसी इमरजेंसी के दौरान आपके लिए ब्लड आसानी से उपलब्ध हो सकेगा। कई बार आपके ग्रुप का ब्लड मिलना मुश्किल हो सकता है। इसलिए खुद को और दूसरों को सुरक्षित रखने के लिए यह कदम बेहद जरूरी है।
O नेगेटिव ब्लड ग्रुप वाले लोगों के लिए अपनी सेहत का ख्याल रखना और खून की उपलब्धता सुनिश्चित करना जरूरी है। इस ब्लड ग्रुप के लोग यूनिवर्सल डोनर होने के कारण दूसरों की मदद तो कर सकते हैं, लेकिन खुद को भी समय पर ब्लड मिलना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। नियमित हेल्थ चेकअप, संतुलित डाइट और ब्लड बैंक में अपनी जानकारी देना जरूरी कदम हैं, जिससे आप अपनी और दूसरों की सेहत का ख्याल रख सकते हैं।
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