disturbed भारत में होने वाली G-20 बैठक में विश्व के कई दिग्गज शामिल होने के लिए भारत आ रहे हैं। इनमें अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन का नाम भी शामिल है। 50 से ज्यादा गाड़ियों का काफिला ला रहे जो बाइडेन अपने साथ CPAP मशीन यानी कन्टिन्युएस पॉजिटिव एयर-वे प्रेशर (CPAP) मशीन भी ला रहें हैं।
दरअसल, 80 साल के जो बाइडेन स्लीप एपनिया नाम की बीमारी से पीड़ित हैं। इस बीमारी में CPAP मशीन पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में मदद करती है। बढ़ती उम्र में होने वाली इस बीमारी से दुनिया भर में करोड़ों लोग प्रभावित हो रहे हैं। इसलिए जरूरी है इसके बारे में सब कुछ जानना।
ज्यादातर लोग ऐसा मानते हैं कि यदि व्यक्ति खर्राटे ले रहा है, तो वो चैन की नींद सो रहा है लेकिन असल में ये बात पूर्णतः सच नहीं हैं। यदि कोई व्यक्ति खर्राटे ले रहा है तो ऐसा भी हो सकता है कि वो स्लीप एपनिया से पीड़ित हो।
स्लीप एपनिया (Sleep Apnoea) एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, जिसमें व्यक्ति को नींद के दौरान खर्राटे आते हैं और उसके बाद अगले 10-15 सेकंड के लिए उसकी सांस रुक जाती है, इसके कारण व्यक्ति की नींद बार-बार टूटती है और कभी-कभी ये परिस्थिति जानलेवा भी साबित हो सकती है।
नेशनल हार्ट, लंग एन्ड ब्लड इंस्टीट्यूट (NHLBI) के अनुसार, स्लीप एपनिया एक ऐसी बीमारी है, जिसमें सोते समय कई बार सांस रुक जाती है और कुछ समय में ये वापस शुरू भी हो जाती है। लेकिन यदि किसी को गंभीर स्लीप एपनिया होता है, तो उसे और अधिक समस्या का सामना करना पड़ सकता है। वहीं, अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के अनुसार सिर्फ अमेरिका में ही स्लीप एपनिया से 30 मिलियन से ज्यादा लोग प्रभावित है।
स्लीप एपनिया के बारे में और अधिक जानने के लिए हेल्थशॉट्स ने बेंगलुरु स्थित मणिपाल हॉस्पिटल के कंसल्टेंट पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ.सुहास एच एस से बात की। डॉ.सुहास ने बताया कि स्लीप एपनिया असल में दो तरह का होता है, जिन्हें ‘ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया’ और ‘सेंट्रल स्लीप एपनिया’ कहा जाता है।
डॉ.सुहास के मुताबिक़ ऑब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनिया में नींद के दौरान गले के पीछे की मांसपेशियां शिथिल हो जाती हैं, जिससे हवा के गुज़रने की जगह कम हो जाती है। जिसके कारण व्यक्ति के शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति कम हो जाती है और उसे खर्राटे आते हैं और उनकी नींद में बाधा पहुंचतीं है।
वहीं, सेंट्रल स्लीप एपनिया में, ब्रेन स्टेम सांस लेने के लिए जिम्मेदार मांसपेशियों के साथ संचार करने में विफल रहती है, जिसके कारण सांस लेने के पैटर्न में दिक्क्त आती है और व्यक्ति काफी परेशान हो सकता है।
इसके साथ ही कुछ अन्य कारण भी है, जिससे स्लीप एपनिया के होने की संभावना होती है।
डॉ. सुहास ने बताया कि आमतौर पर बढ़ती उम्र स्लीप एपनिया का सबसे बड़ा लक्षण होती है और 50 वर्ष की आयु के बाद जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, वैसे इस बीमारी का खतरा भी बढ़ने लगता है।
स्लीप एपनिया का एक और कारण बताते हुए डॉ. सुहास ने कहा कि पुरुषों में महिलाओं के मुकाबले अधिक स्लीप एपनिया के केस ज्यादा देखने को मिलते है। उन्होंने बताया कि अगर स्लीप एपनिया के कुल केस को देखा जाएं तो उसमे 70 फीसदी केस पुरुषों के तो वहीं 30 फीसदी केस महिलाओं के होते है।
डॉ. सुहास ने बताया कि ज्यादा वजन या मोटापे के कारण भी व्यक्ति में स्लीप एपनिया का खतरा बढ़ता है और साथ ही अगर व्यक्ति शराब या सिगरेट का सेवन करता है तो उसके कारण भी स्लीप एपनिया हो सकता है।
इस बीमारी के लक्षण बताते हुए डॉ.सुहास ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को पूरी रात नींद लेने के बाद भी थकान होना, हांफना, जोर-जोर से खर्राटे लेना, सिरदर्द होना, जागने पर मुंह सूखना, फोकस कम होना और अधिक चिचिड़े होने जैसी समस्या हो रही है, तो व्यक्ति को तुरंत किसी कंसल्टेंट से संपर्क करना चाहिए।
अगर किसी व्यक्ति को नींद से जुडी कोई भी समस्या होती है, तो उसे तुरंत किसी डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए क्योंकि डॉक्टर ही व्यक्ति की हर समस्या को समझ कर उसकी सभी समस्याओं को दूर कर सकता है।
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