अक्सर लोग नाखूनों का जल्दी टूटना और उसके रंग में आने वाले बदलाव को लेकर चिंतित नज़र आते हैं। मगर कभी-कभार नाखूनों पर दिखाई देने वाली रेखाएं भी उसकी खूबसूरती को कम कर देती हैं। हांलाकि अधिकतर लोगों को उम्र बढ़ने के साथ नाखूनों की लकीरों का सामना करना पड़ता है। दअरसल, डायबिटीज़ और पोषण संबंधी समस्याएं इस कमी का कारण साबित होती है। चलिए पहले समझते हैं कि नाखूनों पर लकीरें (ridges in nails) किन कारणों से बढ़ती है और कैसे इस समस्या को हल किया जा सकता है।
इस बारे में डर्माटोलॉजिस्ट डॉ शिफा यादव बताती हैं कि ये रेखाएं (ridges in nails) नाखूनों की सतह पर नज़र आती हैं, जो क्यूटिकल से टिप तक हॉरिजॉनटल या वर्टिकल होती हैं। नाखूनों पर नज़र आने वाली लकीरें हल्की होती हैं, जो कई बार स्वास्थ्य समस्याओं या पोषण की कमी का भी संकेत होती है। इससे नाखूनों की ग्रोथ भी प्रभावित होने लगती है।
अमूमन नाखूनों पर दिखने वाली लंबी लकीरें अक्सर 50 की उम्र के बाद ज़्यादा दिखाई देने लगती हैं। इंडियन जर्नल ऑफ़ डर्मेटोलॉजी में 2011 की रिपोर्ट अनुसार उम्र बढ़ना खड़ी लकीरों का सबसे आम कारण है। नाखूनों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद प्रोटीन केराटिन का उत्पादन उम्र के साथ कम होता जाता है। इससे नाखूनों में लकीरें (ridges in nails) उभरने लगती हैं।
नाखून का सूखापन लकीरों का कारण साबित होता है। विशेषज्ञ कहते हैं। बार बार हाथ धोनाए स्किनकेयर उत्पादों में मौजूद रसायनों के संपर्क में आना और कम हाइड्रेशन नाखूनों की नमी को खत्म कर सकता है। इससे नाखूनों की त्वचा (ridges in nails) प्रभावित होने लगती है।
शरीर में आयरन, जिंक और विटामिन बी12 की कमी से नाखून कमज़ोर हो जाते हैं। इंडियन डर्मेटोलॉजी ऑनलाइन जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार नाखूनों में लकीरें (ridges in nails) आयरन की कमी के कारण होती हैं। दरअसल, केराटिन नाखूनों की मज़बूती को भी बढ़ाता है।
इससे नाखूनों की नमी प्रभावित होने लगती है। जर्नल ऑफ़ क्यूटेनियस मेडिसिन एंड सर्जरी की रिपोर्ट के अनुसार सोरायसिस से पीड़ित 78.3 प्रतिशत प्रतिभागियों में नाखून में परिवर्तन देखने को मिला। प्रतिभागियों के नाखूनों में खड़ी लकीरें देखी गईं। ये स्थिति अक्सर नाखून मैट्रिक्स की सूजन के साथ बनने लगती है, जिसका असर ग्रोथ पर भी दिखने लगता है।
वहीं रुमेटीइड अर्थराइटिस जैसे ऑटोइम्यून डिज़ीज हाथों और पैरों सहित जोड़ों को प्रभावित करते हैं। इससे नाखूनों में खड़ी लकीरें बनने लगती हैं। साथ ही नाखूनों के टूटने की समस्या से भी दो चार होना पड़ता है।
नाखूनों में दरारें दूर करने के लिए आहार में आयरन, जिंक और विटामिन बी12 की मात्रा को बढ़ाएं। इससे शरीर में रेड ब्लड सेल्स की मात्रा बढ़ने लगती है, जिससे खून की कमी पूरी होती है। मील्स को स्किप करने से बचें और प्रोसेस्ड फूड को आहार में शामिल न करे।।
डायबिटीज, गठिया या सोरायसिस के कारण नाखूनों पर दरारें नज़र आने लगती हैं। ऐसे में नियमित जांच और इलाज से शरीर में सूजन को कम करने और नाखूनों की वृद्धि को बढ़ाने के में मदद मिलती है। इससे शरीर में स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम भी कम हो जाता है।
कई बार शरीर में बढ़ने वाली निर्जलीकरण की समस्या नाखूनों को नमीयुक्त रखने से मददगार साबित होती है। नियमित रूप से मॉइस्चराइजिंग क्रीम या पौष्टिक नेल ऑयल लगाने से सूखे और खराब नाखूनों के जोखिम को भी रोका जा सकता है। न्यूट्रिएंट्स में 2024 की रिपोर्ट के अनुसार आर्गन ऑयल को नाखूनों में मालिश करके उन्हें टूटने से बचाया जा सकता है।
फॉर्मेल्डिहाइड और टोल्यूनि जैसे कठोर रसायनों वाले उत्पादों का उपयोग न करें। नाखून के आकार को उचित बनाए रखने के लिए उन्हें नियमित रूप से काटें और नाख्ूनों को फाइल करें। इससे नाखूनों पर बढ़ने वाली रेखाओं को नियंत्रित किया जा सकता है।
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