किसी भी व्यक्ति के लिए आंखें बहुत अहम और संवेदनशील अंग होती है। लेकिन बदलते समय के साथ आजकल लोगों की आंखें कई कारणों की वजह से नकारात्मक रूप से प्रभावित हो रही है। इन नकारात्मक प्रभावों में कई प्राकृतिक कारण भी आंखों के स्वास्थ्य को खराब करने के लिए जिम्मेदार है। इन्हीं प्राकृतिक कारणों में सर्दी का मौसम भी शामिल है।
सर्दी का मौसम अपने साथ कई तरह के लाभ के साथ स्वास्थ्य के लिए समस्याएं भी लेकर आता है। तमाम मौसमी बीमारियों (Seasonal Diseases) के साथ सर्दियों में कई ऐसी परेशानियां भी है, जो व्यक्ति को काफी परेशान कर देती है। सर्दी के मौसम में हवा में मॉइस्चर की कमी के कारण कई लोगों को रेडनेस (Redness) और ड्राइनेस (Dryness) जैसी समस्याएं होने लगती है। जिससे उनकी ‘आई हेल्थ’ पर प्रभाव पड़ता है और वे काफी परेशान हो जाते हैं।
वहीं, वैश्विक रूप में इन दिनों आंखों की समस्या में काफी उछाल देखा गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट बताती है कि, पूरे विश्व में लगभग 2.2 बिलियन लोगों को आंखों की समस्या हैं, जिसमें 1 बिलियन लोगों की समस्या ऐसी है, जो कभी ठीक ही नहीं हो सकती।
साथ ही रिपोर्ट यह भी बताती है कि आंखों में होने वाली सबसे बड़ी समस्या यानी ‘विजन लॉस’ किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। इसके साथ ही ‘आईसाइट’ (Eyesight) या देखने की समस्या में अधिकांश रूप से 50 वर्ष के ऊपर वाले लोगों को अत्यधिक खतरा होता है।
सर्दियों में आंखों में होने वाली समस्याओं के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हेल्थशॉट्स ने बैंगलोर स्थित नेत्रधामा सुपर स्पेशिलिटी आई हॉस्पिटल की एग्जेक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. सुप्रिया श्रीगणेश ने संपर्क किया।
डॉ सुप्रिया ने बताया कि सर्दी का मौसम, हमारी आंखों के लिए चुनौतियों का एक सेट लेकर आता है। ड्राई और ठंडा मौसम हमारी आंखों के लिए असुविधा और जलन जैसी स्थिति पैदा कर सकता है और इसके कारण कभी-कभी आंखों में गंभीर संक्रमण भी हो सकता है। इसके साथ ही कई अन्य समस्याएं भी है, जिनके कारण हमारी आंखें प्रभावित हो सकती है।
सर्दियों के मौसम में आंखों का सूख जाना एक आम बात होती हैं। डॉ.सुप्रिया बताती हैं कि जब आंखों में अपर्याप्त रूप से आंसू उत्पन्न होते हैं, तब आंखों का ल्युब्रिकेशन भी सही ढंग से नहीं हो पाता। जिसके कारण आंखों में असुविधा, खुजली, रेडनेस और जलन हो सकती है।
वातावरण में मौजूद गंदगी जैसे धूल, मिट्टी या अन्य तमाम तरह की चीज़ों से व्यक्ति की आंखों में एलर्जी विकसित हो सकती है, जिससे खुजली, आंखों मने पानी आना सहित कई अन्य समस्याएं जैसे छींक आना, नाक बहना और नाक बंद भी हो सकती है।
सर्दी में ठंडे और शुष्क मौसम में वायरस या बैक्टीरिया के कारण होने वाले आंखों के संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है। इनके लक्षणों में रेडनेस, सूजन और आंखों से निरंतर पानी आना भी शामिल हो सकता है, जिससे कंजंक्टिवाइटिस या पिंक आई जैसी एक सामान्य समस्या विकसित हो सकती है।
ठंड में आमतौर पर हम सूरज को रौशनी में बैठना ज्यादा पसंद करते हैं। इसलिए यूवी रेडिएशन के अत्यधिक संपर्क में रहने से फोटो-केराटाइटिस या स्नो ब्लाइंडनेस जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ठंडे क्षेत्रों में आम तौर पर, यह स्थिति दर्द और परेशानी के साथ-साथ अस्थायी दृष्टि हानि का कारण बन सकती है।
सर्दियों में कुछ लोगों के लिए आंखों की समस्या काफी अधिक बढ़ जाती है। इसपर डॉ.सुप्रिया कहती हैं कि ड्राई आई सिंड्रोम से पीड़ित लोगों को पूरे साल असहज लक्षणों का अनुभव हो सकता है, लेकिन खासकर सर्दियों के मौसम में पीड़ित व्यक्ति की आंखों में सूखापन और भी बदतर हो जाता है। वे बताती हैं कि सर्दियों में, अत्यधिक हवा चलने के कारण व्यक्ति की आंखों की नमी खत्म होने लगती है, जिससे ड्राई आइज़ की समस्या पैदा हो जाती है।
साथ ही डॉ सुप्रिया कहती हैं कि, व्यक्ति में ड्राई आइज़ की समस्या तब होती है जब टीयर ग्लैंड्स पर्याप्त रूप से आंसू पैदा नहीं करते हैं, या आपके आंसुओं के बनने में असंतुलन होता है। वे बतातीं हैं कि आंसू हमारी आंखों की सतह को ल्युब्रिकेशन देने में मदद करते हैं, हमारी आंखों को साफ रखते हैं और उन्हें संक्रमण से बचाते हैं।
सर्दियों के मौसम में हमारी आंखों की सेहत सुनिश्चित करना और संभावित समस्याओं को रोकने के लिए तमाम तरह से आंखों का बचाव करना बहुत जरुरी है। इसके साथ ही सर्दियों के दौरान होने वाली संभावित दृष्टि समस्याओं के बारे में जागरूक रहना भी लोगों के लिए महत्वपूर्ण है।
सर्दियों में ह्यूमिडिटी कम होने के कारण व्यक्ति को ड्राई आइज़ की समस्या होती है, जिसके चलते इससे निपटने के लिए, आंखों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने वाली चीज़ों से बचें । यदि आप कोई वाहन चला रहें हो तो ठंडी हवा के संपर्क में आने से बचें। साथ ही स्क्रीन का उपयोग करते समय 20-20-20 नियम का पालन करें: प्रत्येक 20 मिनट के लिए, 20 सेकंड के लिए 20 फीट दूर किसी चीज़ को देखें। अपनी आंखों को आराम देने के लिए पलकें झपकाएं और ब्रेक लें। यदि ड्राइनेस बनी रहती है, तो आई ड्रॉप का उपयोग करें।
आंखों सहित पूरे शरीर की नमी बनाए रखने के लिए पर्याप्त पानी पीना महत्वपूर्ण है। डॉ सुप्रिया बतातीं हैं कि हाइड्रेटेड रहने और ड्राई आइज़ के खतरे को कम करने के लिए प्रतिदिन कम से कम आठ गिलास पानी पीने का लक्ष्य रखें।
ह्यूमिडिफ़ायर का उपयोग करके शुष्क इनडोर हवा का मुकाबला करें, विशेष रूप से आप घर में जहां सबसे ज्यादा समय बिताते है, वहां इसका प्रयोग अवश्य करें । यह हवा में नमी बनाए रखने, आंखों के आराम और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करता है।
100% यूवी सुरक्षा वाले धूप का चश्मा पहनकर अपनी आंखों को हानिकारक यूवी किरणों से बचाएं। सर्दियों में फोटो-केराटाइटिस या स्नो ब्लाइंडनेस जैसी स्थितियों को रोकने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है।
अच्छी स्वच्छता अपनाकर आंखों के संक्रमण को रोकें। रोगों को फैलने से रोकने के लिए नियमित रूप से अपने हाथ धोएं, बिना धोए हाथों से अपनी आंखों को छूने से बचें और संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए अपनी पर्सनल चीज़ों जैसे रुमाल, तौलिया, तकिया शेयर करने से बचें।
यदि आप कंप्यूटर पर अधिक समय बिताते हैं या लंबे समय तक पढ़ते है तो अपनी आंखों को आराम देने के लिए नियमित ब्रेक लें। आंखों के तनाव को कम करने के लिए 20-20-20 नियम का पालन करें: हर 20 मिनट में, ताज़ा 20 सेकंड के लिए फोकस को 20 फीट दूर किसी चीज़ पर करें।
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