आंखें पीली नजर आ रही हैं, तो जानिए क्या हो सकता है इसका कारण और आपको क्या करना चाहिए
अक्सर एलर्जी और धूल मिट्टी से कुछ लोगों की आंखों का रंग लाल दिखने लगता है। मगर लगातार पॉल्यूटेंटस के संपर्क में रहना आंखों में पीलापन भी बढ़ा सकता है। अमूमन पीली आंखों को पीलिया का शुरूआत संकेत माना जाता है। मगर अन्य कई समस्याएं भी आंखों में इस समस्या को बढाते है। जानते हैं आंखों में पीलापन क्यों बढ़ता है और इससे राहत पाने के उपाय भी (pale eyes) ।
फेको और रिफ्रेक्टिव, नैत्रधाम सुपर स्पेशियलिटी आई हॉस्पिटल, बैंगलोर में सानियर कंसल्टेंट डॉ सावियो परेरा ने विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आंख में येलो ब्राउन डिसकलरेशन होन का अर्थ है स्पलेरा और कंजनवाइटा कवर हो जाता है। वे लोग जो ज्यादा धूल और मिट्टी के संपर्क में रहते हैं, उन्हें कंजनटाइविल बेलोनोसिस का सामना करना पड़ता है। इसमें आंख का सफेद भाग पीला दिखने लगता है (pale eyes) । आंख में डस्ट और एलर्जी से पिगमेंट डिपॉजिट बढ़ने से पीलापन होने लगता है।
आंखें क्यों पीला होने लगती है (causes of yellow eyes)
1. पीलिया का लक्षण
इस बारे में नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ अनुराग नरूला बताते हैं कि जब ब्लड में बहुत ज़्यादा बिलीरुबिन होता है, तो ये ब्लड वेसल्स के आस.पास के टिशूज़ में रिसना शुरू कर देता है। यह रिसता हुआ बिलीरुबिन आपकी त्वचा और आपकी आँखों के सफ़ेद भाग को पीला कर देता है। यह पीला रंग पीलिया का एक आम लक्षण है।
2. धूल, मिट्टी और सन एक्सपोज़र
देर तक धूप में रहने से सन रेज़ का प्रभाव बढ़ने से आंख के पीले भाग में पिगमेंट डिपॉजिट तेज़ी से बढ़ने लगता है। इससे आंखों का रंग पीला दिखने लगता है। ऐसे में यूवी प्रोटेक्टिड सन ग्लास पहनें और एलर्जी का इलाज कराए, ताकि पीलेपन से बचा जा सके। साथ ही सन एक्सपोज़र से बचने के लिए राइडर ग्लासिस भी पहन सकते है। आंखों की स्वच्छता बनाए रखें और बाहर से आने के बाद आंखों को पानी से अवश्य धोएं।
3. लिवर संबधित बीमारी का खतरा
हेपेटाइटिस, सिरोसिस और लिवर कैंसर से ग्रस्त लोबों की आंखों में पीलापन दिखने लगता है। दरअसल, कैंसर लिवर की बिलीरुबिन उत्पादन की क्षमता को कम कर देता हैं। इससे शरीर में रेड ब्लड सेल्स के टूटने पर पीला पदार्थ बनने लगता है। ऐसे में पीला आंखों के अलावा थकान, इचिंग और पाचन संबधी समस्याएं बढ़ने लगती है।
4. गॉलब्लैडर में समस्या
डॉ अनुराग नरूला बताते हैं कि गॉलब्लैडर या कोलेसिस्टिटिस बाइल डकट्स को बाधित कर देते हैं, जिससे बिलीरुबिन एकत्रित होने लगता है और इस समस्या को बढ़ा देता है। इसके चलते आंखों का सफेद हिस्सा पीले में बदल जाता है। इसके अलावा ठंड लगना, पेट में दर्द और बुखार का सामना करना पड़ता है।
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5. दवाओं का सेवन
वे लोग जो पेनिसिलिन, गर्भनिरोधक की गोलियां, क्लोरप्रोमज़ीन, एनाबॉलिक स्टेरॉयड और एसिटामिनोफेन सहित कुछ दवाएँ लेते है। उनकी आंखों में भी पीलापन दिखने लगता है। दरअसल, दवाओं के लगातार सेवन से आंखों में डिसकलरेशन का सामना करना पड़ता है। ऐसे में डॉक्टर से अवश्य संपर्क करें।
6. संक्रमण का शिकार
वायरल संक्रमण जैसे हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई पीलिया का कारण बन सकते हैं। दरअसल, ये मलेरिया संक्रमित मच्छर के काटने से फैलने वाला एक संक्रामक रोग भी पीलिया का कारण बन सकता है। इसके चलते भी येलो आइज़़ का जोखिम बढ़ने लगता है।
पीली आंखों से बचने के लिए टिप्स
- आंखों को प्रोटेक्ट करें और धूप में निकले से पहले यूवी प्रोटेक्टिड सन ग्लास लगाएं। हाइजीन का ख्याल रखें। घर पहुंचने पर आई वॉश करें और डॉक्टर की बताई दवा ज़रूर इस्तेमाल करें।
- विटामिन ए रिच फूड्स का सवेन करें। इसके लिए आहार में गाजर, तरबूज, शकरकंद, हरी पत्तेदार सब्जियों और अंडा व डेसरी प्रोडक्टस का सेवन करें। इसके अलावा मछली का सेवन भी आंखों के लिए फायदेमंद है।
- डॉक्टर से संपर्क करें और समस्या की जांच अवश्य करवाएं। इससे पीली आंखों की समस्या को बढ़ने से रोका जा सकता है। साथ ही समय समय पर अपना चेकअप अवश्य करवाएं।
- पीलिया की जांच करवाएं और नियमित रूप से दवाओं व हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनाने का भी प्रयास करें। यह भी पढ़ें : जरा सा काम करने में ही थक जाती हैं, तो इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं ये 5 कारण, एक्सपर्ट बता रहे हैं उपाय