अचानक सुबह उठते ही सिर का चकराना परेशानी का कारण बनने लगता है। दरअसल, दिनभर तनाव में रहने और खानपान में अनियमितता बरतने से न केवल रात की नींद बाधित होने लगती है बल्कि सुबह उठते ही चक्कर आना और थकान महसूस होने की समस्या का सामना करना पड़ता है। शरीर की इस स्थिति को लाईटहेडिडनेस कहा जाता है। इसके चलते व्यक्ति को सिर में दर्द और स्वैटिंग से दो चार होना पड़ता है। अगर आप भी इसी समस्या से गुज़र रही है, तो पहले जान लें लाइटहेडिडनेस (lightheadedness or dizziness) के कारण और इससे राहत पाने के उपाय भी।
आर्टेमिस हॉस्पिटल्स में सीनियर फिज़ीशियन डॉ पी वेंकेट बताते हैं कि अनहेल्दी मील्स, दवाओं और नींद की कमी मॉर्निंग डिज़ीनेस और लाइटहेडिडनेस यानि चक्कर आने की समस्या को बढ़ा सकती है। इसे वर्टिगो भी कहा जाता है, जिसके चलते व्यक्ति को अपने इर्द गिर्द सब कुछ घूमता हुआ नज़र आने लगता है। साथ ही शारीरिक संतुलन पर इसका प्रभाव नज़र आने लगता है। इससे मांसपेशियों में खिंचाव और दर्द बढ़ जाता है।
इस मेडिकल कंडीशन में जब कोई व्यक्ति बैठने या लेटने के बाद खड़े होने की कोशिश करने लगता है, तो ब्लड प्रेशर में गिरावट दर्ज की जाती हैं। इसके चलते चक्कर आना और बेहोशी होने जैसे लक्षण दिखाई पड़ते हैं।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार शरीर में पानी की कमी के चलते सुबह उठते ही चक्कर आने लगते है। दरअसल, रात में अल्कोहल का सेवन करने या फिर कैफीन युक्त पेय पदार्थों को पीने से शरीर में मौजूद फ्लूइड की मात्रा कम होने लगती है। इनका ड्यूरेटिक प्रभाव निर्जलीकरण का कारण साबित होता है। इसके अलावा ज्यादा स्वैटिंग और धूप में देर तक रहने से पानी की बढ़ने लगती है, जिससे डिहाइड्रेशन की समस्या बनी रहती है।
वे लोग जो डायबिटीज़ के शिकार है, उन्हें सुबह उठते ही चक्कर आने की समस्या बनी रहती है। इस स्थिति को हाइपोग्लाइसीमिया भी कहा जाता है। दरअसल, रात में उचित डाइट न लेने और ज्यादा मेडिकेशन इस समस्या का कारण साबित होती है। ब्लड शुगर लो होने से व्यक्ति थकान का सामना करने लगता है।
स्लीप डिसऑर्डर का शिकार होने पर भी चक्कर आने की समस्या का सामना करना पड़ता है। इसके चलते नींद के दौरान सांस बार बार रुकती और शुरू होती है। इसका असर बॉडी फंक्शनिंग पर भी दिखने लगता है। इसके चलते व्यक्ति का गला सूखने लगता है। नींद के दौरान व्यक्ति जोर जोर से खर्राटे लेता है और फिर रूक जाता है। इस समस्या से गुस्त होने पर सुबह उठकर चक्कर का सामना करना पड़ता है।
हार्वर्ड हेल्थ के अनुसार चक्कर आना हार्ट अटैक या स्ट्रोक का संकेत हो सकता है। इसके कारण सीने में दर्द, सांस फूलना, मतली, हाथ में दर्द, पीठ में दर्द और जॉ पेन की समस्या बनी रहती है। बुजुर्गों में चक्कर आना हार्ट अटैक या स्ट्रोक का मुख्य लक्षण साबित होता है।
हार्वर्ड हेल्थ की रिपोर्ट के मुताबिक शरीर में ऑटेनॉमिक नर्वस सिस्टम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद करता है। मगर उम्र के साथस ये प्रणाली प्रभावित होती है, जिससे ब्लड प्रेशर कम होने लगता है। इसके चलते आर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन का सामना करना पड़ता है, चक्कर आन की समस्या को बढ़ा देता है।
डिहाइड्रेशन चक्कर आने का एक सामान्य कारण है। सर्दी के दिनों में अक्सर पर्याप्त मात्रा में पानी न पीना इस समस्या को बढ़ा देता है। इसके अलावा शारीरिक गतिविधि के दौरान होने वाली स्वैटिंग भी इस समस्या का कारण साबित होती है। इसके लिए रूटीन में वॉटर इनटेक बढ़ाएं और डिटॉक्स वॉटर, वॉटर कंटेनिंग फूड्स और सूप व स्मूदी का सेवन करें।
शरीर में लो ब्लड शुगर की मात्रा चक्कर आने का कारण साबित होती है। इसके लिए आहार में कार्बोहाइड्रेट, लीन प्रोटीन और हेल्दी फैट्स को शामिल करें। इसके अलावा रक्त शर्करा के स्तर को नियमित बनाए रखने के लिए आहार में नट्स, फल या साबुत अनाज वाले क्रैकर्स जैसे स्नैक्स चुनें।
तनाव और चिंता चक्कर आने के लक्षणों को बढ़ा सकते हैं। तनाव को कम करने और बॉडी फंक्शनिंग को बूस्ट करने के लिए ब्रीदिंग एक्सरसाइज़, ध्यान व योग की मदद लें। इसके अलावा माइंड व बॉडी को रिलैक्स रखने का प्रयास करें।
शारीरिक गतिविधि रक्त संचार में सुधार करती है, जिससे मांसपेशियों को मजबूती बढ़ने लगती है। इसके लिए रूटीन में वॉकिंग, तैराकी और हल्की स्ट्रेचिंग अपनाएं। इससे शरीर में फिटनेस के स्तर में सुधार आने लगता है।
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