पैरों में सूजन आना एक आम समस्या है, जिसे हर व्यक्ति कभी न कभी अवश्य अपने जीवनकाल में महसूस करता है। महिलाओं को अक्सर प्रेगनेंसी के दौरान सूजन का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा यूरिक एसिड का बढ़ना और लंबे वक्त तक खड़े रहना भी इस समस्या के जोखिम को बड़ा देता है। दरअसल टिशूज़ में फ्लूइड की मात्रा बढ़ने से इंफ्लामेशन का सामना करना पड़ता है। सबसे पहले जानते है पैरों में बढ़ने वाली सूजन (swollen feet) के कारण और फिर उससे राहत पाने के उपाय।
ये समस्या एडिमा का एक मुख्य संकेत है। ऐसे में पैरों के टिशूज़ में तरल पदार्थ एकत्रित होने लगता है, जो सूजन को दर्शाता हैं। आमतौर पर दोनों पैरों में एक साथ बढ़ने वाली सूजन दर्द का कारण बनने लगती है। दरअसल, ब्लड पैरों की वेन्स में एकत्रित होने लगता है, जिससे पैरों के मसल्स में टाइटनेस महसूस होती है और भारीपन लगने लगता है। इसके अलावा त्वचा पर शाइन नज़र आती है। आर्टिमिस अस्पताल गुरूग्राम में सीनियर फीज़िशियन डॉ पी वेंकट कृष्णन से जानते हैं पैरों में क्यों बढने लगती है सूजन।
पैर का मुड़ना और एंकल लिगामेंट में आने वाला खिंचाव इस समस्या को बढ़ा देता है। इस स्थ्ति को स्प्रेंड एंकल भी कहा जाता है। इस दौरान चलने फिरने में परेशानी होती है और पैर में भारीपन लगने लगता है। ऐसे में पैर में मोंच आने से इस समस्या का खतरा बढ़ने लगता है।
इंस्टीट्यूट फॉर क्वालिटी एंड एफिशिएंसी इन हेल्थ केयर के अनुसार देर तक खड़े रहने से पैरों की मांसपेशियों में खिंचाव महसूस होने लगता है। साथ ही ब्लड वेन्स में एकत्रित होकर सूजन का कारण साबित होता है। इसके अलावा देर तक बैठना भी इस समस्या के जोखिम को बढ़ा देता है।
उम्र बढ़ने के साथ अधिकतर लोगों को गठिया का सामना करना पड़ता है। गाउट एक प्रकार का गठिया है, जिससे पैर में सूजन, दर्द और चलने में तकलीफ का सामना करना पड़ता है। इसके चलते पैर के अंगूठे और एड़ी में सूजन दिखने लगती है।
सोडियम की अधिक मात्रा पैरों में सूजन का कारण साबित होती है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की एक रिपोर्ट के अनुसार दिनभर में 2,300 मिलीग्राम नमक का सेवन करना चाहिए, जो एक चम्मच के बराबर होता है। प्रोसेस्ड फूड का अधिक सेवन वॉटर रिटेंशन के खतरे को बढ़ा सकता है।
शरीर में फैट्स का स्टोरेज बढ़ने से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ जाती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार बॉडी मास इंडेक्स की मदद से इस बात की जानकारी मिलती है कि किसी व्यक्ति को मोटापा है या नहीं। रिपोर्ट के मुताबिक 30 से अधिक बीएमआई वाले व्यक्ति को मोटापा माना जाता है। वहीं 50 से अधिक बीएमआई वाले व्यक्ति में निचले छोर की सूजन हो सकती है। इसके लिए डॉक्टर से अवश्य संपर्क करें।
एमडीपीआई की रिपोर्ट के अनुसार इसमें मैग्नीशियम की उच्च मात्रा पाई जाती है, जिससे विषाक्त पदार्थों से मुक्ति मिलती है और शरीर रिलैक्स होने लगता है। साथ ही ब्लड का सर्कुलेशन भी बढ़ने लगता है। आधा बाल्टी गुनगुने पानी में 2 चम्मच एप्सम सॉल्ट डालकर मिला लें। उसके बाद पैरों को कुछ देर के लिए उसमें डुबोकर रखें।
शरीर में पर्याप्त हाइड्रेशन के लिए सोडियम और पानी का उचित अनुपात आवश्यक है। वर्कआउट करने और यूरिन पास करने से शरीर में मौजूद अतिरिक्त सोडियम बाहर निकलने लगता है। अन्यथा इसका स्टोरेज बढ़ जाता है। पैरों और टखनों में बढ़ने वाली सूजन को कम करने के लिए पानी भरपूर मात्रा में पीना चाहिए।
दिनभर में कुछ देर एक्सरसाइज़ करने से शरीर में जमा अतिरिक्त फ्लूइड की मात्रा को नियंत्रित किया जा सकता है। इससे मांसपेशियों को मज़बूती मिलती है और उससे पैरों का दर्द व सूजन कम होने लगते है। साथ ही वॉक करना भी आवश्यक है।
एंटी.इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर अदरक सोडियम को डायल्यूट करता है, जो सूजन के प्रमुख कारणों में से एक है। अदरक को काटकर या फिर उसके पाउडर को पानी में उबालकर पीने से फायदा मिलता है और शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को डिटॉक्स किया जाता है।
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