कोलेस्ट्रॉल वैक्स जैसा फैट है, जो शरीर की सभी कोशिकाओं में पाया जाता है। लिवर कोलेस्ट्रॉल बनाता है। यह कुछ खाद्य पदार्थों, जैसे रेड मीट और डेयरी प्रोडक्ट में भी पाया जाता है। शरीर को ठीक से काम करने के लिए कुछ कोलेस्ट्रॉल की आवश्यकता होती है, लेकिन अधिकता स्वास्थ्य जोखिमों को बढ़ाती है। इन दिनों बच्चे या किशोर में हाई कोलेस्ट्रॉल के मामले खूब देखे जा रहे हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि यदि बच्चे या किशोर के ब्लड में हाई कोलेस्ट्रॉल ( high cholesterol in children) है, तो उन्हें कोरोनरी आर्टरी डिजीज और अन्य हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
बच्चों और किशोरों में हाई कोलेस्ट्रॉल की पीछे तीन मुख्य कारक योगदान दे सकते हैं
1 अनहेल्दी डाइट-ऐसा आहार, जिसमें वसा की मात्रा अधिक हो
2 हाई कोलेस्ट्रॉल का पारिवारिक इतिहास। जब एक या दोनों माता-पिता में हाई कोलेस्ट्रॉल हो
3 कुछ बीमारियां, जैसे कि मोटापा, डायबिटीज, किडनी डिजीज और कुछ थायरॉयड रोग भी बच्चों और किशोरों में हाई कोलेस्ट्रॉल का कारण बन सकते हैं।
आमतौर पर ऐसे कोई संकेत या लक्षण नहीं मिलते हैं जिससे पता चल सके कि बच्चे या किशोर को हाई कोलेस्ट्रॉल की समस्या है।
कोलेस्ट्रॉल लेवल मापने के लिए ब्लड टेस्ट होता है। टेस्ट इसके बारे में जानकारी दे सकता है:
टोटल कोलेस्ट्रॉल (Total Cholesterol) – ब्लड में कोलेस्ट्रॉल की कुल मात्रा का एक माप। इसमें लो डेंसिटी वाले लिपोप्रोटीन (एलडीएल) कोलेस्ट्रॉल और हाई डेंसिटी वाले लिपोप्रोटीन (एचडीएल) कोलेस्ट्रॉल दोनों शामिल हैं।
एलडीएल (Bad Cholesterol) – कोलेस्ट्रॉल निर्माण और आर्टरी में रुकावट का मुख्य स्रोत
एचडीएल (Good cholesterol) – एचडीएल आर्टरी से कोलेस्ट्रॉल हटाने में मदद करता है
नॉन –एचडीएल (Non HDL) – यह संख्या कुल कोलेस्ट्रॉल में एचडीएल को घटाकर निकाला जाता है। नॉन-एचडीएल में एलडीएल और अन्य प्रकार के कोलेस्ट्रॉल जैसे वीएलडीएल (बहुत कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन) शामिल हैं।
ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides) – ब्लड में वसा का एक अन्य रूप जो हृदय रोग के खतरे को बढ़ा सकता है
19 वर्ष या उससे कम उम्र के किसी भी व्यक्ति के लिए कोलेस्ट्रॉल का हेल्दी लेवल है
कुल कोलेस्ट्रॉल (total cholesterol)- 170 mg/dL से कम
नॉन –एचडीएल (Non HDL)- 120 mg/dL से कम
एलडीएल (LDL)- 100 mg/dL से कम
एचडीएल (HDL)- 45एमजी/डीएल से अधिक
बच्चे या टीन को कब और कितनी बार यह टेस्ट करवाना चाहिए, यह उसकी उम्र, जोखिम कारकों और पारिवारिक इतिहास पर निर्भर करता है।
बच्चों का पहला परीक्षण 9 से 11 वर्ष की आयु के बीच होना चाहिए।
बच्चों का हर 5 साल में दोबारा टेस्ट होना चाहिए।
यदि हाई ब्लड कोलेस्ट्रॉल, दिल का दौरा या स्ट्रोक का पारिवारिक इतिहास है, तो कुछ बच्चों का यह परीक्षण 2 साल की उम्र से भी शुरू हो सकता है।
बच्चों और किशोरों में हाई कोलेस्ट्रॉल ट्रीटमेंट जीवनशैली में बदलाव है। इन उपायों से कोलेस्ट्रॉल लेवल संतुलित किया जा सकता है।
इसमें नियमित व्यायाम और लगातार बैठे रहने में कमी की जा सकती है। टेलीविजन के सामने, कंप्यूटर, फोन या टैबलेट पर समय बिताना शामिल हो सकता है।
कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए आहार में ऐसे खाद्य पदार्थों को सीमित करना शामिल है, जिनमें सैचुरेटेड फैट, एडेड शुगरऔर ट्रांस फैट की मात्रा अधिक होती है। भरपूर मात्रा में ताजे फल, सब्जियां और साबुत अनाज खाना भी महत्वपूर्ण है।
यदि बच्चा या किशोर अधिक वजन वाला है या वह मोटापे से ग्रस्त है, तो उसे वेट लॉस की कोशिश करनी होगी।
यदि परिवार में हर सदस्य यह बदलाव करना चाहता है, तो बच्चे या किशोर के लिए उनका पालन करना आसान हो जाएगा। यह आपके और आपके परिवार के बाकी सदस्यों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने का भी एक अवसर है।
कभी-कभी जीवनशैली में बदलाव बच्चे या किशोर के कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए पर्याप्त नहीं होते हैं। इसलिए हेल्थकेयर प्रोवाइडर बच्चे या किशोर को कोलेस्ट्रॉल की दवा देने पर विचार कर सकता है यदि यह :
.कम से कम 10 साल पुराना है।
.छह महीने के आहार और व्यायाम में बदलाव के बाद भी एलडीएल (खराब) कोलेस्ट्रॉल का स्तर 190 मिलीग्राम/डीएल से अधिक रहता है।
. एलडीएल (खराब) कोलेस्ट्रॉल का स्तर 160 मिलीग्राम/डीएल से अधिक (high cholesterol in children) है और हृदय रोग के लिए हाई रिस्क है।
. हाई कोलेस्ट्रॉल जेनेटिक है।
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