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क्या वैक्सीन लेने के बाद भी लोग कोरोना वायरस फैला सकते हैं? क्‍या कहते हैं अध्ययन

अन्‍य देशों की तरह ही भारत में भी कोविड-19 के लिए वैक्‍सीनेशन पर जोर दिया जा रहा है। टीकाकरण अभियान जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, लोग वैक्‍सीन की प्रभावशीलता के बारे में कई सवाल पूछ रहे हैं।
Published On: 2 Jun 2021, 05:43 pm IST
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टेस्ट-ट्रैक-ट्रीट-टीकाकरण ओमिक्रॉन बीएफ.7 संस्करण के जोखिम को कम करने के लिए चित्र : शटरस्टॉक

अभी तक भारत में कुल 21 करोड़ से ज्यादा लोगों को कोरोना वायरस का टीका लग चुका है। दुनिया भर में कोविड-19 के लक्षणों को विकसित होने से बचाने में नौ टीके प्रभावी साबित हुए हैं। परंतु अभी तक यह ज्ञात नहीं है कि टीकाकरण लोगों को संक्रमित होने या दूसरों तक वायरस फैलने से कितनी अच्छी तरह रोक सकता है।

आइये जानते हैं इससे जुड़े अध्ययन में क्या सामने आया?

एक अध्ययन में, सीडीसी (Centre for Disease Control And Prevention) ने आठ अमेरिकी स्थानों पर स्वयंसेवी स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों और अन्य फ्रंट-लाइन कार्यकर्ताओं का परीक्षण तीन महीने के लिए साप्ताहिक SARS-CoV-2 संक्रमणों के लिए किया।

टीके की पहली खुराक लेने के बाद कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए लोगों में बिना टीका लगवाए संक्रमित पाए मरीजों की तुलना में शरीर में विषाणु की संख्या कम थी। शोधकर्ताओं ने पाया कि पूरी तरह से वैक्सीनेटेड लोगों में कोविड ​​-19 के लिए पॉजिटिव टेस्ट करने की संभावना 25 गुना कम थी, बजाए उनके जिन्होंने टीकाकरण नहीं करवाया था।

क्या जिन लोगों का टीकाकरण हो चुका है वे वायरस फैला सकते हैं?

इम्यूनोलॉजिस्ट टीकाकरण के बाद वायरस के संचरण को कम करने के लिए टीकों की अपेक्षा करते हैं, जो वायरल बीमारियों से बचाते हैं। लेकिन वास्तव में यह पता लगाना मुश्किल है कि क्या टीकाकरण वाले लोग रोगाणु नहीं फैला रहे हैं।

कोविड-19 एक विशेष चुनौती है क्योंकि एसिम्‍टोमैटिक और प्री-सिम्‍टोमैटिक संक्रमण वाले लोग बीमारी फैला सकते हैं। कुछ वैज्ञानिकों का अनुमान है कि कुल आबादी में बिना लक्षण वाले कोविड-19 संक्रमणों की संख्या पुष्ट मामलों की संख्या से 3 से 20 गुना अधिक हो सकती है। शोध से पता चलता है कि बिना लक्षण वाले या बहुत हल्की बीमारी वाले लोग कोविड-19 संक्रमण के 86% प्रसार के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।

वैक्सीन वायरल लोड को कम करती हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक
वैक्सीन वायरल लोड को कम करती हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक

एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि मॉडर्ना का एमआरएनए कोविड-19 रोधी टीका मुंह और नाक के द्रव्य में कोरोना वायरस से लड़ने वाले एंटीबॉडी पैदा कर सकता है। ये एंटीबॉडी विषाणु को शरीर में घुसने से रोक देते हैं। इसका मतलब होगा कि टीका लगवा चुका व्यक्ति सांस लेते समय या खांसने या छींकने पर गिरने वाली बूंदों से वायरस नहीं फैलाएगा।

वैक्सीन वायरल लोड को कम करती हैं

नेचर मेडिसिन में मार्च के अंत में प्रकाशित एक अध्ययन में, इजरायल के शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों को फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन टीका लगवाने के बाद कोविड -19 संक्रमण हुआ था, उनमें नॉन वैक्सीनेटेड लोगों की तुलना में कम वायरल लोड था।

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इस तरह के निष्कर्षों का अर्थ यह है कि जिन लोगों का टीकाकरण हो चुका है, उनकी संक्रमित होने की संभावना कम है। अगर ऐसा है तो उनके भी वायरस फैलने की संभावना भी बेहद कम है। मगर बड़ी आबादी में ट्रांसमिशन को ट्रैक करने के लिए कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग के बिना, यह जानना असंभव है कि क्या यह सच है।

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लेखक के बारे में
ऐश्‍वर्या कुलश्रेष्‍ठ
ऐश्‍वर्या कुलश्रेष्‍ठ

प्रकृति में गंभीर और ख्‍यालों में आज़ाद। किताबें पढ़ने और कविता लिखने की शौकीन हूं और जीवन के प्रति सकारात्‍मक दृष्टिकोण रखती हूं।

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