ज्यादातर महिलाएं प्रेगनेंसी को लेकर काफी ज्यादा भ्रमित एवं चिंतित रहती हैं। सेलों से प्रेगनेंसी को लेकर कई ऐसी अवधारणाएं चली आ रही हैंजो महिलाओं के मन में बैठ चुकी हैं। जिसके बारे में सही जानकारी होना बहुत जरूरी है। अन्यथा इस वजह से कई महिलाएं प्रेगनेंसी के दौरान अपने जीवन को काफी ज्यादा सीमित कर लेती हैं। वहीं कई महिलाएं कुछ ऐसी गलतियां कर देती है जो उनके और उनके बच्चे की सेहत के लिए जोखिम भरा हो सकता है। इसलिए प्रेगनेंसी प्लान करने से पहले प्रेगनेंसी से जुड़े कुछ मिथ और इनसे जुड़े सवालों को लेकर सही जानकारी प्राप्त करना जरूरी है।
इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए हमने मैत्री वुमन की संस्थापक, सीनियर कंसलटेंट गायनोकोलॉजिस्ट औ र ऑब्सटेट्रिशियन डॉक्टर अंजली कुमार से प्रेगनेंसी मिथ को लेकर महिलाओं द्वारा सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले सवालों के बारे में स्पष्टता प्राप्त करने की कोशिश की है। उन्होंने कई महत्वपूर्ण जानकारियां देते हुए काफी सारे मिथ को गलत बताया है। तो चलिए जानते हैं आमतौर पर महिलाओं के मन में क्या सवाल रहते हैं साथ ही जानेंगे इसके पीछे की सच्चाई।
अंजलि कुमार बताती है कि यह एक ऐसा सवाल है जो लगभग सभी प्रेग्नेंट महिलाओं द्वारा पूछा जाता है। परंतु आपको बताएं कि घी और नॉर्मल डिलीवरी का आपस में कोई संबंध नहीं है। घी खाने से आपको कभी भी नॉर्मल डिलीवरी नहीं होती।
नॉर्मल डिलीवरी पूरी तरह बच्चे के साइज, आपके पेल्विस के साइज और प्रेगनेंसी के दौरान आपकी शारीरिक सक्रियता पर निर्भर करता है। वहीं यदि आप जरूरत से ज्यादा घी का सेवन करती हैं, तो यह आपके और बच्चे के वजन को बढ़ा सकता है, जिस वजह से डिलीवरी के दौरान प्रॉब्लम होने की संभावना बढ़ जाती है। इसीलिए प्रेगनेंसी के दौरान सेहत को ध्यान में रखते हुए एक सामान्य मात्रा में घी का सेवन करें।
अंजलि कुमार बताती है कि अक्सर प्रेगनेंसी के दौरान महिलाएं स्ट्रेच मार्क से बचाव के अलग-अलग तरीके ढूंढती रहती हैं। जिनमें आमतौर पर विटामिन ई और कोकोआ बटर लगाने की सलाह दी जाती है।
परंतु आपको बताएं कि प्रेगनेंसी के दौरान कोई भी क्रीम या घरेलू नुस्खे को पेट पर लगाने से स्ट्रेच मार्क्स को नहीं रोका जा सकता है। कुछ लोगों को स्ट्रेच मार्क ज्यादा तो कुछ लोगों को कम होते हैं। यह पूरी तरह से आपके स्किन टाइप और बच्चे के साइज पर निर्भर करता है।
डॉक्टर के अनुसार प्रेगनेंसी में एक्सरसाइज करना पूरी तरह सुरक्षित है। इससे आपको डिलीवरी में मदद मिलती है। हालांकि, कितनी इंटेंसिटी की एक्सरसाइज करनी है और कौन सी एक्सरसाइज कब करनी है इसके बारे में अपने फिटनेस एक्स्पर्ट या डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। परंतु ऐसा नहीं है कि प्रेगनेंसी के दौरान एक्सरसाइज केरने के कोई भी नुकसान होते हैं।
डॉक्टर बताती है कि ऐसी कई प्रेग्नेंट महिलाएं हैं जो प्रेगनेंसी के दौरान सी फूड के सेवन को लेकर कंफ्यूज रहती हैं। तो आपको बताएं कि प्रेगनेंसी में सी फ़ूड का सेवन पूरी तरह से सुरक्षित है। मछली में ओमेगा 3 फैटी एसिड की भरपूर मात्रा मौजूद होती है, जो बच्चे के ब्रेन डेवलपमेंट के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है।
इस बात का ध्यान रखें कि जिस मछली का सेवन आप कर रही हैं, उसमें मरकरी की मात्रा मौजूद न हो। इसके साथ ही जिस प्रकार के भी सी फूड का सेवन करें उसे पूरी तरह पका कर खाना जरूरी है।
डॉक्टर के अनुसार उनकी ज्यादातर प्रेग्नेंट क्लाइंट ने यह सवाल जरूर पूछा है। हालांकि, यह बिल्कुल सही है कि आपको अपने और बच्चे की सेहत को ध्यान में रखते हुए खाना खाना है। परंतु इसका मतलब यह नहीं कि आपको 2 लोगों के बराबर खाना खाने की जरूरत है। प्रेगनेंसी में 450 से 500 कैलोरी से अधिक भोजन करने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है।
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कस्टमाइज़ करेंइस पर डॉ कहती है कि यदि लेबर पेन होना इतना आसान होता तो सभी अपने अनुसार नॉर्मल डिलीवरी करवा सकते थे। वहीं यह एक बहुत बड़ा मिथ है। स्पाइसी फूड का सेवन आपको एसिडिटी, गैस और हार्टबर्न जैसी समस्याओं से ग्रसित कर सकता है। इसलिए ऐसी अवधारणाओं में फंसने से बचें।
यदि आपकी प्रेग्नेंसी बिल्कुल सामान्य है, तो आप शुरुआत के कुछ महीनों में सेक्स कर सकती हैं। परंतु आखिरी के 3 महीनों में सेक्स से पूरी तरह परहेज रखें। वहीं यदि प्रेगनेंसी में किसी प्रकार की कॉम्प्लिकेशंस है, तो डॉक्टर की सलाह लें और सेक्स से परहेज रखने की कोशिश करें।
अगर आप प्रेगनेंसी के दौरान सेक्स कर रही हैं, तो कुछ सावधानियां बरतना जरूरी हैं। जैसे कि ज्यादा रफ़ सेक्स करने से बचें, वहीं पेनिट्रेशन को भी सामान्य रखें, साथ ही पोजीशन का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है।
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यदि आप ब्रीच पोजीशन के बारे में नहीं जानती हैं तो आपको बताएं की सामान्य रूप से बच्चे का सिर नीचे की ओर होता है मतलब की वजाइना की ओर परंतु कुछ प्रेगनेंसी केस में बच्चे का सिर ऊपर की ओर होता है यानी कि मां के चेस्ट की ओर। इसे हम ब्रीच पोजिशन कहते हैं।
हालांकि, ऐसा सिर्फ बैठने की वजह से नहीं होता। यह कई अन्य फैक्टर पर भी डिपेंड करता है। जैसे कि बच्चे का आकार, मां के पेल्विस का साइज, पेसेंटल पोजीशन। प्रेगनेंसी में दिन भर बैठे रहना भी काफी अनहेल्दी हो सकता है। इसीलिए एक्सरसाइज, वॉक और अन्य गतिविधियों में भाग लेती रहें।
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