प्रदूषण का स्तर दिनों-दिन बढ़ रहा है। ऐसे में बार-बार खांसना, छींकना और सांस लेने में तकलीफ का सामना करना पड़ता है। रेस्पिरेटरी हेल्थ को बनाए रखने के लिए लोग अक्सर दवाओं का रूख करते है। मगर रसोई में मौजूद गुड़ का टुकडा भी इस समस्या को हल करने में आपकी मदद कर सकता है। धूल और मिट्टी के चलते गले में बैक्टीरिया का प्रभाव बढ़ने लगता है। ऐसे में गले में दर्द और खुजली बढ़ जाती है। साथ ही चेस्ट कंजेशन बढ़ती है। ऐसे में गुड़ का पानी पीने से सांस संबधी समस्याएं हल हो जाती है। जानते हैं गुड़ का पानी क्यों है खास और गुड़ का पानी पीने से स्वास्थ्य को होने वाले लाभ (jaggery water benefits) भी।
सर्दियों के आगमन के साथ ही बचपन में अक्सर खाना खाने के बाद गुड़ का एक छोटा टुकड़ा हाथ में थमा दिया जाता है। ढेरों गुणों से भरपूर ये खाद्य पदार्थ खाने में जितना स्वादिष्ट होता है। उतना ही सेहत के लिए भी फायदेमंद साबित होता है। पोटेशियम और आयरन से भरपूर गुड़ को चबाने के अलावा गुड़ का पानी पीने से भी बढ़ रहे प्रदूषण से भी राहत मिलती है। जानते हैं गुड़ का पानी किस तरह से स्वास्थ्य को पहुंचाता है फायदा।
इस बारे में आयुर्वेद एक्सपर्ट डॉ अंकुर तंवर बताते हैं कि पोषण से भरपूर गुड़ में आयरन और फोलेट की उच्च मात्रा पाई जाती है। इससे एनीमिया की समस्या को दूर करके हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाने में मदद मिलती है। इसके नियमित सेवन से गट लाइनिंग को नुकसान पहुंचाने वाले गट बैक्टीरिया को डिटॉक्स करने में मदद मिलती है। इसमें पाई जाने वाली पोटेशियम, आयरन, प्रोटीन, मैग्नीशियम और मैंगनीज़ की मात्रा शरीर के इम्यून सिस्टम को बूस्ट करती है।
जर्नल ऑफ फूड प्रोसेसिंग एंड टेक्नोलॉजी के अनुसार केन और पाम शुगर से तैयार होने वाले गुड़ में 70 फीसदी सुक्रोज़ की मात्रा पाई जाती है। इसके अलावा 10 फीसदी ग्लूकोज़ और फ्रुकटोज़ पाया जाता है, तो वहीं 5 फीसदी मिनरल्स पाए जाते हैं। इसके सेवन से शरीर को विटामिन और मिनरल की प्राप्ति होती है।
साइंस डायरेक्ट की रिपोर्ट के अनुसार गुड़ का पानी एक क्लींजिंग एजेंट के रूप में कार्य करता है। गुड़ का पानी लंग्स, पेट, इंटेसटाइन, एसोफेगस और रेस्पिरेटरी ट्रैक को क्लीन रखता है। वे लोग जो रोज़मर्रा के जीवन में धूल, मिट्टी और प्रदूषण का सामना करते हैं, उनके लिए इसे पानी में मिलाकर पीने से फायदा मिलता है। इसके सेवन से अस्थमा, बार बार होने वाली खांसी की समस्या, चेस्ट कंजेशन और सर्दी से मुक्ति मिल सकती है।
इसमें एंटीऑक्सीडेंटस की उच्च मात्रा पाई जाती है। इसके अलावा गुड़ का सेवन करने से शरीर में आयरन, मैग्नीशियम और पोटैशियम जैसे मिनरल्स की कमी पूरी हो जाता है। पोषण से भरपूर गुड़ का पानी पीने से शरीर को इम्यून सिस्टम बूस्ट होता है, जिससे मौसम के साथ बढ़ने वाले संक्रामक रोगों से भी बचा जा सकता है।
गुड़ में पोटैशियम की उच्च मात्रा पाई जाती है, जिससे शरीर में पानी का जमाव कम हो जाता है। इसके चलते गुड़ का पानी पीने से पैरों में बढ़ने वाली सूजन को कम किया जा सकता है। इससे न केवल वॉटर रिटेंशन से राहत मिलती है बल्कि इलेक्ट्रोलाइट संतुलन भी बना रहता है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेलि के अनुसार गुड़ का पानी पीने से फेफड़ों के एल्वियोली में फंसे कार्बन कणों को हटाने में मदद मिलती है। साथ ही ब्रोंकाइटिस, कंजेशन, अस्थमा और अन्य श्वास संबंधी समस्याओं से राहत मिलती है। इसकी मदद से लंग्स में मौजूद हाइड्रॉक्सीप्रोलाइन की मात्रा को कम किया जाता है।
मौसम में आने वाले बदलाव के चलते संक्रामक रोगों का जोखिम बढ़ जाता है। ऐसे में खांसी और जुकाम की समस्या को गुड़ का पानी पीने से कम किया जा सकता है। इसमें पाई लाने वाली नेचुरल मिठास गले में बढ़ने वाली खराश और जुकाम से राहत मिलती है। इसे पानी में मिलाकर पी सकते है। इसके अलावा चाय में डालकर पीने से फायदा मिलता है।
गुड़ का पानी नियमित रूप से पीने से शरीर से विषाक्त पदार्थों को बढ़ने से रोका जा सकता है। इससे बॉडी को डिटॉक्स किया जा सकता है, जिससे रेस्पिरेटरी हेल्थ को फायदा मिलता है। इससे लग्स और एयरवेज स्वस्थ रहते हैं।
डॉ अंकुर तंवर के अनुसार प्रदूषण के प्रभाव से शरीर को बचाने के लिए सुबह खाली पेट गुड़ का पानी पीने से बैक्टीरिया से राहत मिलती है। इससे लंग्स की मज़बूती बढ़ती है और गले के संक्रमण से भी राहत मिलती है। एक गिलास गुनगुने पानी में 1 चम्मच गुड़ की शक्कर या उसे पीसकर डालें और कुछ देर घोल लें। खाली पेट गुड़ के पानी का सेवन करने से डाइजेशन बूस्ट होता है और फेफड़ों का स्वास्थ्य उचित बना रहता है।