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क्या डायबिटीज में नहीं लेनी चाहिए होम्योपैथिक दवाएं? जानते हैं एक होम्योपैथिक एक्सपर्ट की राय 

यह एक मिथ है कि डायबिटीज को होम्योपैथ की दवाएं ठीक नहीं कर सकती। होम्योपैथ मरीज के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर काम कर ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करता है।
होम्योपैथिक मेडिसिन ब्लड शुगर को कंट्रोल कर सकता है। चित्र : शटरस्टॉक
स्मिता सिंह Updated: 20 Oct 2023, 09:32 am IST
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शरीर में रक्त शर्करा (Blood sugar) का असंतुलित स्तर ओबेसिटी, हाई बीपी, नींद की कमी, फिजिकल एक्टिविटी का भी कारण बनता है। खराब लाइफस्टाइल से होने वाली इस बीमारी को कंंट्रोल करने के लिए लोगों को उम्र भर के लिए दवाओं पर निर्भर हो जाना पड़ता है। जिनके अपने साइड इफेक्ट्स होते हैं। ज्यादातर लोगों में यह मिथ है कि केवल एलोपैथिक दवाओं के माध्यम से ही डायबिटीज को कंट्रोल किया जा सकता है। जबकि होम्योपैथ में भी ऐसे कई उपचार हैं, जो ब्लड शुगर को कंट्रोल (Homeopathic medicine to control blood sugar) करने में आपकी मदद कर सकते हैं। आइए जानते हैं होम्यापैथी की ऐसी ही कुछ दवाओं के बारे में।  

भारत में तेजी से बढ़ रहे हैं मधुमेह के रोगी 

आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2019 में अकेले भारत में ही मधुमेह के 77 मिलियन लोगों को प्रभावित कर चुका था। 2045 तक यह आंकड़ा बढ़कर 134 मिलियन से अधिक होने की उम्मीद है। इसलिए भारत को डायबिटीज कैपिटल भी कहा जाता है। क्योंकि विश्व के 49% डायबिटीज पेशेंट भारत में ही हैं। 

मधुमेह के रोगियों की इतनी बड़ी संख्या के साथ यह जानना भी महत्वपूर्ण है कि 57% लोग जीवन भर मधुमेह का निदान ही नहीं कराते हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि डायबिटीज होने के बावजूद वे किसी भी प्रकार की दवा नहीं लेते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है टाइप 2 डायबिटीज

मधुमेह न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करता है। पबमेड सेंट्रल के एक लेख में डायबिटीज के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने के बारे में विस्तार से बताया गया था। इस लेख के अनुसार, टाइप 1 डायबिटीज या टाइप 2 डायबिटीज, दोनों में डिप्रेशन और एंग्जाइटी से पीड़ित होने की संभावना अधिक होती है। 

वहीं दूसरी ओर, मधुमेह के कारण घावों के ठीक होने में बहुत अधिक समय लगता है। ब्लड शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव, डिहाइड्रेशन तथा कुछ कारणों से वेट लॉस आदि के भी होने की संभावना होती है।

डायबिटीज और होम्योपैथिक दवाएं 

होम्योपैथ की दवाएं ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में कामयाब है या नहीं यह जानने के लिए हमने डॉ. बत्रा हेल्थकेयर के फाउंडर और चेयरमैन एमिरिटस पद्मश्री डॉ. मुकेश बत्रा से बात की।

डॉ. बत्रा कहते हैं, “होम्योपैथी में भी ऐसी कुछ दवाएं हैं, जो ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में कामयाब हैं। इसमें रोगी के लाइफस्टाइल पैटर्न के साथ-साथ उसके स्ट्रेस लेवल को मापकर ही दवा दी जाती है। ‘

एलोपैथ के साथ ली जा सकती हैं होम्योपैथ दवाएं  

होम्योपैथ मानता है कि मधुमेह मुख्य रूप से एक लाइफस्टाइल संबंधी बीमारी है। यह मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक कारकों के कारण होती है। जिसमें स्ट्रेस और एंग्जाइटीस दोनों शामिल हैं। होम्योपैथ के माध्यम से डायबिटीज का उपचार किया जा सकता है। सबसे अच्छी बात यह है कि यदि आप इंसुलिन सहित पारंपरिक या फार्मास्युटिकल दवाएं ले रही हैं, तो उसके साथ होम्योपैथ की दवा ली जा सकती है। 

ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए इंसुलिन की एलोपैथ दवाओं के साथ ली जा सकती है होम्योपैथ दवा। चित्र शटरस्टॉक।

इसका कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं होता है। बैलेंस डाइट लेने और नियमित एक्सरसाइज करने के बावजूद कुछ लोगों में ब्लड शुगर लेवल बढ़ता-घटता रहता है। ऐसे मामलों में होम्योपैथिक उपचार ब्लड शुगर लेवल को संतुलित करने में मदद करता है। 

अबरोमा अगस्ता और एस. क्यूमिनि दवाएं ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए अक्सर दी जाती हैं। पर कभी-भी बिना डॉक्टर से कंसल्ट किए होम्योपैथ दवाएं न लें।

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मिठास रहित लिक्विड फॉर्म में उपलब्ध होती हैं होम्योपैथ दवाएं

यह एक मिथ है कि मधुमेह के रोगियों को होम्योपैथिक दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये मीठी होती हैं। डॉ. मुकेश बत्रा कहते हैं, ‘सच्चाई यह है कि होम्योपैथिक दवाओं में ग्लूकोज नहीं होता है। इसमें कॉम्प्लेक्स शुगर लैक्टोज होता है, जो हानिकारक नहीं होता है। जरूरी होने पर डिस्टिल वॉटर में भी दवाएं दी जा सकती हैं। होम्योपैथिक दवाएं नॉन स्वीट लिक्विड फॉर्म में भी उपलब्ध होती हैं।’

ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करने के लिए नॉन स्वीट लिक्विड फॉर्म में भी होम्योपैथिक दवाएं मिलती हैं। चित्र: शटरस्‍टॉक

अंत में 

होम्योपैथिक दवाओं से यदि लॉन्ग टर्म ट्रीटमेंट लिया जाए, तो यह कारगर है। यह डायबिटिक पेशेंट की मेंटल, इमोशनल, साइकोलॉजिकल और फिजिकल वेल बीइंग पर कार्य करता है और उसे ठीक करता है।

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स्मिता सिंह

स्वास्थ्य, सौंदर्य, रिलेशनशिप, साहित्य और अध्यात्म संबंधी मुद्दों पर शोध परक पत्रकारिता का अनुभव। महिलाओं और बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करना और नए नजरिए से उन पर काम करना, यही लक्ष्य है। ...और पढ़ें

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