कोरोना वायरस की दूसरी लहर तेज़ी से लोगों को अपनी चपेट में ले रही है। हर रोज़ लाखों की संख्या में लोग इससे संक्रमित हो रहे हैं। जहां महामारी का ये दौर सब पर भारी पड़ रहा है, वहीँ सोशल मीडिया पर भी लोग ‘इन्फोडेमिक’ की चपेट में आ रहे हैं। असल में इन्फोडेमिक शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है, इनफार्मेशन और पेंडेमिक जिसका मतलब है कई तरह की जानकारियों की बाढ़ आ जाना।
कोरोना वायरस के बारे में ऐसे ही कई मिथ आये दिन लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। कभी कोई ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने का उपाय बताता है, तो कभी एक मैसेज कोरोना को जड़ से ख़त्म करने की औषधि का सुझाव देता है। हम अनेक तरह की भ्रांतियों से घिर जाते हैं। इसलिए, ज़रूरी है कि हम आपके मिथ को तोड़ें और आपको सही जानकारी उपलब्ध कराएं।
आजकल गौमूत्र पीने का चलन काफी बढ़ गया है। पिछले दिनों कई लोग इस बात का दावा करते हुए देखे गए कि गौ मूत्र पीने से कोरोना वायरस खत्म हो जायेगा। अगर भारतीय वायरोलॉजिकल सोसायटी की मानें, तो गौमूत्र के एंटीवायरस होने का कोई प्रमाण नहीं है। न ही ये कोरोना वायरस के जोखिम को कम कर सकता है।
आजकल एक पोस्ट सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है, जिसका दावा है कि कपूर, लौंग और अजवाइन के मिश्रण में नीलगिरी का तेल मिलाकर सूंघने से ऑक्सीजन लेवल में वृद्धि होती है। मगर आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ऐसा कोई नुस्खा ऑक्सीजन लेवल को बढ़ाने में मददगार नहीं है।
गर ऑक्सीजन लेवल को बढ़ाने में कुछ कारगर है, तो वह एक्सरसाइज है जैसे – प्राणायाम, जॉगिंग, रनिंग, साइकिलिंग आदि। सांस लेने में दिक्कत होने पर आप उलटे लेटकर तेज सांस लेने का अभ्यास कर सकती हैं। पर यह भी अंतिम उपचार नहीं है।
कोरोना से फैली दहशत के बीच एक अफवाह सुनने को मिल रही है कि मौसम के गर्म होने पर कोरोना वायरस खुद खत्म हो जाता है। इसलिए व्यक्ति को दिन में कई बार गुनगुने पानी से नहाना चाहिए।
अगर डब्ल्यूएचओ की मानें तो कोरोना का वायरस कहीं भी, किसी भी क्षेत्र में फैल सकता है। इसका पर्यावरण या फिर किसी जलवायु से कोई संबंध नहीं है। तापमान बढ़ने से कोरोना के वायरस का प्रभाव कम होगा या नहीं इसकी पुष्टि अभी तक किसी भी वैज्ञानिक ने नहीं की है।
जो लोग नॉन वेज का सेवन करते हैं, उन्हें इस बात की चिंता रहती है कि कहीं चिकन या फिश खाने से, वे कोरोना संक्रमित तो नहीं हो जाएंगे। मगर अभी तक इस बात की कोई पुष्टि नहीं हुई है।
आजकल आपने हर किसी के हाथ में हैंड-सैनिटाइजर की बोतल देखी होगी, परंतु जब आपके हाथों में धूल-मिट्टी हो या आप बाहर से आ रहे हों, तो साबुन से हाथ धोना ही ज्यादा बेहतर है। साबुन से हाथ धोने के दौरान न केवल वायरस मर जाता है, बल्कि हाथ अच्छी तरह साफ भी हो जाता है। हैंड-सेनिटाइजर भी कारगर है, लेकिन साबुन से ज़्यादा नहीं।
काफी लोग तुलसी, अदरक, लौंग और दालचीनी से बना काढ़ा पीने की सलाह देते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि इसे पीने से इम्युनिटी बढ़ती है। जी हां.. काढ़ा पीने से इम्युनिटी कुछ प्रतिशत तक बढ़ाई जा सकती है।
मगर, अभी तक ऐसा कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया है, जो इस बात की पुष्टि करे कि काढा कोरोना वायरस का इलाज कर सकता है।
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