Breast Feeding week: एक ऐसा आशीर्वाद, जो जीवन भर करता है शिशु की रक्षा

यह शिशु का पहला आहार ही नहीं है, बल्कि यह जीवन भर उसे कई संक्रमणों से बचाने वाला सुरक्षात्मक उपाय भी है। एक्‍सपर्ट बता रहीं है ब्रेस्‍टफीडिंग से जुड़ी कुछ जरूरी बातें। 
breast feeding k dauran smoking nuksan karti hai
ब्रेस्ट फीडिंग है जरुरी। चित्र: शटरस्‍टाॅॅक
Published by Dr. Anita Sharma
Updated On: 10 Dec 2020, 12:56 pm IST
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स्तनपान एक ऐसी अनूठी खूबी है जो स्तनपायी जीवों को दूसरे जीव-जंतुओं से अलग बनाती है। प्रत्येुक प्रजाति का ब्रैस्ट मिल्क उस प्रजाति विशेष के हिसाब से खास होता है, और आदर्श रूप में उसके लिए ही होता है। इसी तरह, इंसानों में भी स्‍तनपान  शिशुओं के संपूर्ण विकास के लिहाज़ से सर्वोत्तम आहार है। आधुनिक औषधि विज्ञान भी अपने शोध एवं प्रगति के आधार पर आज इसी की सिफारिश करता है।

मां और शिशु दोनों के लिए लाभकारी है स्तनपान

प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञों ने प्रसवोपरांत जटिलताओं को कम करने के लिए जल्द से जल्द स्तनपान शुरू करने के फायदों का व्यापक अध्ययन किया है और पाया है कि पोस्टपार्टम हेमरेज जैसी जटिलताओं से बचाव में यह सहायक है।

इसी तरह, प्रतिरक्षा तंत्र संबंधी शोध से भी यह साबित हो चुका है कि स्तनपान हमें संक्रमणों आदि से दीर्घकालिक सुरक्षा (इम्युनिटी) प्रदान करता है। साथ ही, इससे एलर्जी और अन्य कई प्रकार के संक्रमणों से भी बचाव होता है। स्तनपान के प्रतिरक्षा संबंधी लाभ सिर्फ बचपन और शैशवावस्था तक ही सीमित नहीं रहते।

ओंकोलॉजी में भी स्तनपान को महिलाओं में डिंबग्रंथि और स्तन कैंसर से बचाव में सहायक माना गया है। यह किशोरो में होने वाले कुछ किस्म के कैंसर रोगों से बचाव में भी अहम भूमिका निभाता है।

शिशु के लिए है विविधता पूर्ण आहार

क्लीनिकल न्यूट्रिशन के क्षेत्र में हुए शोध एवं विकास से भी यह तथ्य सामने आया है कि स्तनपान न सिर्फ सर्वश्रेष्ठ पोषण है, बल्कि सर्वाधिक विविधता संपन्न आहार भी है। यह न सिर्फ हर दिन के हिसाब से बदलता है, बल्कि हर बार स्तनपान की अवधि तथा नवजात की पोषण संबंधी आवश्यकता पर भी निर्भर करता है जिससे उनके विकास में मदद मिलती है।

स्‍तनपान मां और शिशु दोनों को कई खतरनाक बीमारियों से बचाता है। चित्र: शटरस्‍टॉक

स्तनपान कितना उपयोगी और महत्वपूर्ण है, इसी को ध्यान में रखकर फार्मा क्षेत्र में ऐसी दवाओं को विकसित करने के लिए शोध की जाती रही है, जिसमें स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए सुरक्षित दवाएं तैयार की जा सकें और वे अपने शिशुओं को स्तनपान कराते हुए भी खुद किसी भी प्रकार के रोग के इलाज के दौरान इन दवाओं का सेवन कर सकें।

आहार का भी रखें विशेष ध्यान

लेकिन यह भी सच है कि सेहतमंद और संतुलित खुराक, स्तनपान कराने वाली प्रत्येक मां का अधिकार है। प्राकृतिक खाद्य पदार्थों जिन्हें गैलेक्‍टोगोक्‍स कहा जाता है, जैसे कि ओट, साबुत गेंहूं का दलिया, पालक, मेथी के बीज, जीरे के बीज स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए फायदेमंद होते हैं।

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स्‍तनपान करवाने वाली मां को भी अपने आहार का विशेष ध्‍यान रखना चाहिए। चित्र: शटरस्‍टॉक

लेकिन काफी कुछ इस पर निर्भर करता है कि प्रसव के बाद कितनी जल्दी माएं स्तनपान कराना शुरू करती हैं। हम सभी इन खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं, लेकिन दूध नहीं बनाते, इसलिए जरूरी है कि शिशु को स्तनपान कराया जाए।

4 साल तक भी करवा सकती हैं स्तनपान

प्राय: यह सलाह दी जाती है कि माताएं जन्मस के बाद अपने शिशुओं को पहले छह महीने अवश्य स्तहपान करवाएं और उसके बाद यदि वे चाहें तो 18 महीने, 2 साल, 4 साल तक भी स्‍तनपान करा सकती हैं। ऐसा करने का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता, लेकिन शिशु को 6 माह की उम्र के बाद से पूरक आहार भी दिया जाना चाहिए।

ब्रेस्‍ट मिल्‍क बैंक उन शिशुओं के लिए फायदेमंद साबित हुए हैं, जिन्‍हें किसी वजह से अपनी मां से पोषण नहीं मिल पाता। चित्र: शटरस्‍टॉक

आधुनिक औषधियों ने स्तनपान के फायदों को भली-भांति समझा है और इसके परिप्रेक्ष्य में प्रकृति के गुणों को पुन: जाना है। इसी का नतीजा है कि अब सभी माताएं, चाहे वे सरोगेट हों या फिर उन्होंने बच्चा गोद लिया, अब अपने शिशुओं को स्तनपान का सुख दे सकती हैं। इसी तरह, कुपोषण की शिकार माएं भी ऐसा कर सकती हैं।

प्री टर्म बेबी के लिए ब्रेस्ट मिल्क बैंक

आज के दौर के नियोनेटोलॉजिस्ट समय पूर्व जन्में शिशुओं की बेहतरीन देखभाल मुहैया कराते हुए उनकी जीवन संभाव्यता बढ़ाने में कामयाब रहे हैं। समय से पहले जन्में अविकसित शिशुओं की मृत्यु दर में भी कमी आयी है। इस क्षेत्र में हुए शोध तथा अनुसंधान से यह साबित हो चुका है कि समय पूर्व जन्में शिशुओं के लिए मां का दूध ही सर्वश्रेष्ठ पोषण है। इसके परिणामस्वरूप, अब दुनिया भर में मानव दूध बैंक (Breast Milk Bank) स्थापित किए जा रहे हैं। ताकि समय से पहले जन्में शिशुओं को श्रेष्ठ पोषण मिल सके।

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लेखक के बारे में

Dr. Anita Sharma is a Consultant at Fortis La Femme, Greater Kailash Physiotherapy and Rehabilitation. Member of Amara Milk Bank Foundation, Lamaze child birth educator & Birth doula pelvic floor physical therapist. ...और पढ़ें

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