हमारे शरीर का हर अंग एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। वे बातें फिल्म में ही शायद अच्छी लगें जब ये कहा जाता है कि दिल और दिमाग़ एक दूसरे से बिल्कुल अलग है। हकीकत ये है कि दिल ठीक से काम करेगा तभी दिमाग़ भी दुरुस्त रह सकेगा। दिल के ठीक से काम न करने के सूरत में आपका दिमाग स्ट्रोक के खतरे की ओर बढ़ने लगता है। आज हम इस पर बात तो करेंगे ही लेकिन यहां एक और बात और है। वो ये कि किस तरह से डॉक्टर्स महज आपकी आंखें (Brain stroke symptoms) देखकर बता सकते हैं कि आपको स्ट्रोक का खतरा है या नहीं। तो चलिए समझते हैं।
स्ट्रोक हमारे दिमाग़ से जुड़ी एक समस्या है जिसमें दिमाग़ में खून का प्रवाह अचानक रुक जाता है। होता ये है कि दिमाग की सेल्स को खून के जरिए ही ऑक्सीजन और मिनरल्स मिलते हैं। जब खून का प्रवाह रुक जाता है तो सेल्स को मिनरल्स नहीं मिल पाते और उस वजह से सेल्स काम करना बंद कर देती हैं।
इसी के कारण पीड़ित व्यक्ति को स्ट्रोक के दौरान बोलने में परेशानी, याददाश्त में कमी, चलने में मुश्किल, शरीर के किसी हिस्से का सुन्न पड़ जाना जैसी समस्या झेलनी पड़ती है। कई बार ऐसी स्थिती में पूरी बॉडी सुन्न पड़ सकती है।
यह स्ट्रोक के लिए सबसे बड़ा कारण (Brain stroke symptoms) हो सकता है। यदि किसी का ब्लडप्रेशर बहुत ज्यादा बढ़ा रहता है, तो यह उनके ब्लड वेसल्स को कमजोर कर सकता है और खून का प्रवाह रुक जाता है। इस वजह से दिमाग़ में स्ट्रोक के चांस बढ़ जाते हैं।
जब दिल सही से काम नहीं करता, तो खून में थक्के बन सकते हैं जो दिमाग तक पहुंच सकते हैं और स्ट्रोक का कारण बन सकते हैं।
अगर शरीर में शुगर का स्तर बढ़ा रहता है, तो ये ब्लड वेसल्स को नुकसान पहुंचाता है, जिससे खून के प्रवाह में रुकावट आती है। इस वजह से दिमाग पर दबाव बन जाता है और ये स्ट्रोक का कारण बन जाता है।
अगर आप शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं हैं, तो इससे वजन बढ़ सकता है और शरीर पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है, जिससे स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। दरअसल वजन बढ़ना अपने साथ हाई ब्लडप्रेशर का खतरा ले आता है जो माइंड स्ट्रोक का एक बड़ा कारण है।
आँखों का रेटिना (आँख का पीछे का हिस्सा) दिमाग और खून की वाहिकाओं से संबंधित होता है। अमेरिकी स्वास्थ्य विभाग की एक रिपोर्ट कहती है कि जो लोग भी रेटिना में किसी समस्या के शिकार हैं, खासकर रेटिनोंपैथी से, उन्हें माइंड स्ट्रोक का खतरा नॉर्मल लोगों से 2 से तीन गुना ज्यादा होता है।
दरअसल, रेटिना में खून की वाहिकाएं होती हैं जो दिमाग से जुड़ी होती हैं। अगर रेटिना में खून के थक्के या सूजन दिखाई देती है, तो यह संकेत (Brain stroke symptoms) हो सकता है कि दिमाग में भी खून का प्रवाह सही से नहीं हो रहा और स्ट्रोक का खतरा है।
हाई ब्लडप्रेशर की वजह से आँखों की नसों पर भी दबाव पड़ता है। इस वजह से अक्सर आँखों में सूजन हो जाती है। कभी कभी इसी वजह से आँखों की सफेद परत पर खून दिखाई देने लगता है। डॉक्टर्स को अगर आँखों में सूजन (Brain stroke symptoms) दिखाई देती है तो ये माइंड स्ट्रोक के खतरे की आहट हो सकती है।
स्ट्रोक फाउंडेशन की एक रिपोर्ट कहती है कि स्ट्रोक के कारण दिमाग के कुछ हिस्से में खून का प्रवाह रुकने पर, व्यक्ति की नजर में अचानक बदलाव आ सकता है। अगर डॉक्टर को आँखों में कम रौशनी या धुंधलापन जैसी समस्या दिखाई दे, तो यह स्ट्रोक के खतरे का संकेत (Brain stroke symptoms) हो सकता है।
ऐसा नहीं है कि स्ट्रोक का इलाज मुमकिन नहीं है लेकिन स्ट्रोक के तुरंत बाद अगर इलाज न मिले तब ये नुकसान जानलेवा भी हो सकता है। इसलिए मरीज को ऐसी परिस्थिति में तुरंत दवाइयां दी जानी चाहिए। कई बार आमतौर पर खून के थक्कों को खत्म करने के लिए एंटीकोआगुलेंट्स (blood thinners) जैसी दवाइयां देते हैं।
इसके अलावा, हाई ब्लडप्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने वाली दवाइयां भी दी जाती हैं। कई बार स्ट्रोक के बाद शारीरिक अंगों में आई कमजोरी को दूर करने के लिए फिजिकल थेरेपी की जरूरत भी पड़ सकती है।
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