इन दिनों ब्लैडर कैंसर की अधिकता देखी जा रही है। हालांकि खराब लाइफस्टाइल और खराब खानपान को इस कैंसर के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है। शोध और विशेषज्ञ बताते हैं कि कैंसर के कई कारण होते हैं, जैसे आनुवंशिक मयूटेशन और कोशिकीय विकृति। अनियंत्रित कोशिका वृद्धि के कारण यह होता है, जो स्वस्थ कोशिका को भी प्रभावित कर देता है। हाल में हुए रिसर्च इस बात का दावा करते हैं कि ब्लैडर कैंसर को कुछ हद तक ठीक किया जा सकता (bladder cancer) है।
अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट के अनुसार, निचले पेट में ब्लैडर एक खोखली संरचना होती है, जो मूत्र को जमा करती है। ब्लैडर कैंसर एक सामान्य प्रकार का कैंसर है जो ब्लैडर की कोशिकाओं में शुरू होता है। ब्लैडर कैंसर आमतौर पर वृद्ध वयस्कों को प्रभावित करता है। ब्लैडर कैंसर अक्सर उन कोशिकाओं (urothelial cells) में शुरू होता है, जो ब्लैडर के अंदर की रेखा बनाती हैं। यूरोथेलियल कोशिकाएं किडनी और यूरेटर में भी पाई जाती हैं, जो किडनी को ब्लैडर से जोड़ती हैं। यूरोथेलियल कैंसर किडनी और यूरेटर में में भी हो सकता है। यह मूत्राशय में बहुत अधिक आम है। इसका आमतौर पर इलाज किया जा सकता है। हालांकि इसकी पुनरावृत्ति होने की संभावना बनी रहती है। इसलिए आमतौर पर इसका बार-बार परीक्षण किये जाने की सिफारिश की जाती है। पेशाब में खून आना इसका आम लक्षण है। उपचार में सर्जरी, जैविक चिकित्सा और कीमोथेरेपी शामिल हैं।
ब्लैडर कैंसर का इलाज प्रारंभिक चरण में किया जाता है। इस चरण में कैंसर का इलाज अधिक आसानी से किया जा सकता है। शुरुआती चरण के मूत्राशय के कैंसर भी सफल उपचार के बाद रिवर्स हो सकते हैं। इस कारण ब्लैडर कैंसर वाले लोगों को आम तौर पर बार-बार जांच करानी पड़ती है।
अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट के अनुसार, गहन क्लिनिकल ट्रायल के परिणामों के अनुसार, ट्यूमर को शल्यचिकित्सा से हटा दिए जाने के बाद कीमोथेरेपी की जाती है। कीमोथेरेपी की दवा जेमिसिटाबाइन (जेमज़ार) के साथ ब्लैडर को फ्लश करने से कैंसर के वापस आने का खतरा कम हो सकता है।
ट्रायल में देखा गया कि लो ग्रेड ब्लैडर कैंसर वाले मरीज़ जिन्हें सर्जरी के बाद कैथेटर के माध्यम से ब्लैडर में जेमिसिटाबाइन की एक खुराक मिली थी, उन्हें प्लेसबो प्राप्त करने वाले रोगियों की तुलना में 4 साल के भीतर बीमारी की पुनरावृत्ति की संभावना बहुत कम थी।
लो ग्रेड मूत्राशय के कैंसर बार-बार होते हैं। पुनरावृत्ति होने पर ब्लैडर ट्यूमर के लिए ट्रांसयूरेथ्रल रिसेक्शन नामक प्रक्रिया के साथ उपचार की आवश्यकता होती है। इस कारण कुछ रोगियों को बार-बार सर्जरी से गुजरना पड़ता है।
परीक्षण का नेतृत्व करने वाले यूनिवर्सिटी ऑफ रोचेस्टर स्कूल ऑफ मेडिसिन एंड डेंटिस्ट्री के एमडी एडवर्ड मेसिंग के अनुसार, यह सर्जरी यूरोलॉजी में किए जाने वाले सबसे आम ऑपरेशनों में से एक है। हालांकि यह महंगा है और ब्लैडर के कैंसर वाले कई वृद्ध रोगियों के लिए यह मुश्किल है। क्योंकि उनके साथ अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी होती हैं।
क्लिनिकल परीक्षण में सभी 406 रोगियों में सर्जरी के बाद जेमिसिटाबाइन के उपयोग से कैंसर की वापसी की दर कम हो गई। शोधकर्ताओं के अनुसार, सर्जरी के बाद जेमिसिटाबाइन को जोड़ना लो ग्रेड ब्लैडर कैंसर वाले रोगियों की देखभाल में जेमिसिटाबाइन शामिल होना चाहिए।
फ्रंटियर्स इन ओंकोलोजी के अनुसार, कुछ प्राकृतिक उपाय अपनाकर ब्लैडर कैंसर से बचा जा सकता है।
फाइटोकेमिकल्स प्राकृतिक छोटे-मॉलिक्यूलर कंपाउंड होते हैं, जो पौधों से प्राप्त होते हैं। ये कैंसर विरोधी गतिविधि वाले होते हैं। ब्लैडर कैंसर थेरेपी के लिए कुछ विशिष्ट फाइटोकेमिकल्स का उपयोग किया जाता है। फाइटोकेमिकल्स ब्रॉकली, बेरी, सोयानट्स, शलजम, गाजर, पालक में पाया जाता है।
धूम्रपान सभी प्रकार के ब्लैडर कैंसर के लिए जिम्मेदार होते हैं।इसलिए यदि स्मोकिंग करती हैं, तो तुरंत छोड़ दें।
कार्यस्थल पर यदि कुछ रसायनों से एक्सपोज़र मिलता है, तो उसे सीमित करें। कुछ कार्बनिक रसायनों का उपयोग करने वाले उद्योगों में श्रमिकों को ब्लैडर के कैंसर का हाई रिस्क होता है।
पानी के अलावा किसी भी प्रकार का फ्लूइड पीयें। इससे आप ब्लैडर के कैंसर से दूर रह पाएंगी। साथ ही हरी सब्जी और फल खूब खाएं। इनसे भी शरीर को पानी की कमी दूर होगी।
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