ब्लड कैंसर एक जानलेवा बीमारी है। जो कोशिकाओं के अत्यधिक उत्परिवर्तन के कारण पैदा होती है। यह शरीर में खून के जरिए फैलता है। इस बीमारी के कारण ब्लड में असामान्य कोशिकाओं की संख्या में इजाफा हो जाता है। अगर समय रहते इसके लक्षणों की पहचान कर ली जाए, तो फर्स्ट स्टेज में ही इसका उपचार लेकर इस बीमारी से छुटकारा पा सकते हैं। वर्ल्ड कैंसर डे (World Cancer Day) का उद्देश्य कैंसर के बारे में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरुक करना है। ताकि इससे होने वाली हानि को रोका जा सके। कैंसर के सबसे ज्यादा घातक प्रकार में से एक है ब्लड कैंसर (Blood Cancer)। यहां हैं वे सभी जानाकारियां जो आपके लिए जरूरी हैं।
सामान्यता ब्लड कैंसर तीन तरह का होता है। लिंफोमा, ल्यूकेमिया एवं मायलोमा ब्लड कैंसर।
लिंफोमा- लिंफोमा ब्लड कैंसर का सबसे ज्यादा प्रभाव शरीर के लिंफ सिस्टम पर पड़ता है। इसके कारण बी और टी कोशिकाएं जन्म लेती है।
ल्यूकेमिया – इसमें सफेद रक्त कोशिकाओं का अत्यधिक निर्माण होता है और इस वजह से कैंसर बढ़ता है। दरअसल, संक्रमण को रोकने वाले रोग प्रतिरोधक को यह सफेद कोशिकाएं नुकसान पहुंचाती हैं। नतीजतन, हड्डियों में दर्द, कमजोरी, एनीमिया, ब्लड में कैल्शियम की अधिकता, किडनी फेलियर जैसी समस्याएं आती हैं।
मायलोमा- इस ब्लड कैंसर में बोन मैरो की प्लाज्मा कोशिकाएं अफेक्टेड हो जाती है।
ब्लड कैंसर के कारण असामान्य रक्त कोशिकाओं की तुलना में सामान्य रक्त कोशिकाओं की संख्या कम हो जाती है। इस कारण से शरीर में कई तरह के लक्षण दिखाई देते हैं। तो आइए जानते हैं ब्लड कैंसर के प्रमुख लक्षणों के बारे में
नेशनल फाउंडेशन फॉर कैंसर रिसर्च के मुताबिक, ब्लड कैंसर एक घातक बीमारी है। इसके बावजूद कुछ विशेष लक्षणों से इसे पहली स्टेज में पकड़ा जा सकता है। यह लक्षण इस प्रकार है, जैसे- ठंड लगना, कमजोरी आना, हमेशा थकान रहना, जोड़ों और हड्डियों में दर्द, एनीमिया, वजन कम होना, लीवर, स्प्लीन और लिंफ नोड्स में सूजन आना इत्यादि।
विशेषज्ञों की मानें तो अभी तक ब्लड कैंसर के सटीक कारणों का पता नहीं लगाया जा सका है। हालांकि, कुछ चीजों के खाने-पीने से ब्लड कैंसर होने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा कुछ विशेष केमिकल्स और विकिरण के संपर्क में आने की वजह से भी ब्लड कैंसर हो सकता है। जैसे बेंजीन के संपर्क में आने से ब्लड कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है।
वैसे तो ब्लड कैंसर होने के सटीक कारणों का खुलासा नहीं हो पाया है। इसके बावजूद जो लोग ज्यादा धूम्रपान और शराब का सेवन करते हैं। उन्हें ब्लड कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है।
ब्लड कैंसर जेनेटिक यानी आनुवांशिक भी हो सकता है। अगर, परिवार में माता-पिता में से किसी एक को या दोनों को ब्लड कैंसर है तो उनके बच्चों को इससे प्रभावित होने का खतरा बढ़ जाता है।
बायोप्सी – अगर शरीर में ब्लड सेल्स अनियमित नजर आएं, तो डॉक्टर बायोप्सी कराने की सलाह देते हैं। इसमें बोन मैरो की बायोप्सी होती है।
कंपलीट ब्लड काउंट टेस्ट- रक्त कोशिकाओं की ज्यादा या कम संख्या का पता लगाने के लिए डॉक्टर इस टेस्ट की सलाह देते हैं।
ब्लड प्रोटीन टेस्ट – संक्रमण से लड़ने में ब्लड सेल्स में पाए जाने वाला इम्यूनोग्लोबुलीन मददगार होता है। इसे इम्यून सेल प्रोटीन कहा जाता है। मायलोमा ब्लड कैंसर में अत्यधिक मात्रा में असामान्य कोशिकाओं का निर्माण होता है। ऐसे में डॉक्टर ब्लड प्रोटीन टेस्ट कराने की सुझाव देते हैं।
जी हां, अब चिकित्सा विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है कि हर तरह के कैंसर का उपचार किया जा सकता है। बस जरूरत है समय रहते उसके बारे में पता लगाने की। जितनी जल्दी इसका निदान होगा, उपचार की सफलता उतनी ही बढ़ जाती है।
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