जानिए क्यों कुछ महिलाओं को प्रेगनेंसी में आने लगता है मसूड़ों से खून? यहां हैं कारण और समाधान
गर्भावस्था एक महिला के जीवन का लाइफ चेंजिंग एक्सपीरिएंस माना जाता है। इस दौरान महिलाएं नजहां कई तरह की भावनाओं का अनुभव करती है, तो वहीं उन्हें कई स्वास्थ्य संबधी परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है। कभी स्किन इचिंग, तो कभी कमर दर्द, तो कभी मसूड़ों की अस्वस्थता। जी हां गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को गम ब्लीडिंग का सामना करना पड़ता है। पर क्या वाकई प्रगनेंसी में मसूड़ों से खून आना सामान्य है। जानते हैं गर्भावस्था में गम ब्लीडिंग का कारण और इससे बचने के उपाय (Bleeding gums during pregnancy)।
इस बारे में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ शिवानी सिंह बताती हैं कि गर्भवती महिलाओं में मसूड़े की सूजन बढ़ना सामान्य है। इस दौरान शरीर में हार्मोनल उतार.चढ़ाव का सामना करना पड़ता है, जो इस समस्या का बढ़ा देता है। ऐसे में मसूड़ों से खून आना और सूजन सामान्य है, जो दूसरी और तीसरी तिमाही में बढ़ जाती है। दांतों में लगातार रहने वाले दर्द और बार बार होने वाली ब्लीडिंग के लिए डॉक्टर से नियमित जांच अवश्य करवाएं। इस समस्या से बचने के लिए शरीर को हाइड्रेट रखना भी आवश्यक है। साथ ही विटामिन सी का इनटक बढ़ाने से फायदा मिलता है।
प्रेगनेंसी में गम ब्लीडिंग के कारण
1. स्लाइवा की कमी
गर्भावस्था में हार्मोन में तेज़ी से आने वाले बदलाव का असर स्लाइवा पर भी देखने को मिलता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार स्लाइवा की कमी से मुंह में संक्रमण का प्रभाव बढ़ने लगता है। है। इससे दांतों पर प्लाक जमने लगता है। दांतों के आसपास चिपचिपा पन बढ़ने बैक्टीरिया की ग्रोथ बढ़ जाती है, जो मसूड़ों की समस्या का कारण बनने लगता है।
2. डाईट में होने वाले बदलाव
ऐसी अवस्था में महिलाएं अन्य पोषक तत्वों के साथ आहार में कार्ब्स की मात्रा को बढ़ा देती है। इसके अलावा मीठा और फास्ट फूड का सेवन करने से दांतों में बैक्टीरिया की ग्रोथ तेज़ी से बढ़ने लगती है। साथ ही बार बार होने वाली क्रेविंग भी दांतों की समस्या को बढ़ाती है।
3. हार्मोनल बदलाव
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार गर्भावस्था में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन की मात्रा का बढ़ना मसूड़ों की सूजन और दर्द का कारण बनने लगता है। इसके चलते ब्लीडिंग का सामना करना पड़ता है। कुछ महिलाओं में ये समस्या लंबे समय तक बनी रहती है।
4. मॉर्निंग सिकनेस का बढ़ना
महिलाओं में बढ़ने वाली दांतों की समस्या का कारण मॉर्निंग सिकनेस भी बनने लगती है। दरअसल, सुबह उठने में होने वाली तकलीफ के चलते मुंह में बनने वाला एसिड पेट में पहुचंकर मतली का कारण बनता है। इससे दांतों के इनमेल पर भी इसका प्रभाव देखने को मिलता है, जो गम ब्लीडिंग की समस्या को बढ़ा देता है।
5. खराब ओरल हाइजीन
समय पर ब्रश न करना और नियमित रूप से दांतों के चेकअप का ख्याल न रखना ओरल हाइजीन की कमी का कारण बनता है। इसका असर दांतों के स्वास्थ्य पर दिखने लगता है। ऐसी अवस्था में होममेड माउथवॉश से कुल्ला करें और उचित टूथपेस्ट का इस्तेमाल करें। साथ लेट लाइट होने वाली क्रेविंग के बाद दांतों की सफाई करना न भुलें।
अगर गर्भावस्था में मसूड़ों से खून आ रहा है, तो इन चीजों का रखें ध्यान (Tips to avoid gum bleeding during pregnancy)
1. विटामिन सी का सेवन करें
दांतों की मज़बूती को बढ़ाने के लिए आहार में विटामिन सी रिच फूड्स को शामिल करें। इससे मसूड़ों में बढ़ने वाला दर्द, सूजन औश्र ब्लीडिंग कम हो जाते है। इसमें एंटी इंफ्लामेटरी गुण पाए जाते है, जिससे स्लाइवा के प्रोडक्टशन को बढ़ाकर मुंह में बैक्टीरिया की ग्रोथ को सीमित किया जा सकता है। इसके लिए आहार में बैरीज़, ब्रोकली, केल और शकरकंदी का सेवन करें।
2. दांतों की साफ-सफाई
गम ब्लीडिंग से बचने के लिए रोज़ाना दो बार दांतों की सफाई अवश्य करें। इससे दांतों में जमने वाले प्लाक को कम किया जा सकता है। इसके अलावा फ्लासिंग भी बेहद कारगर साबित होती है। ओरल हाइजीन को बनाए रखने के लिए अल्कोहल फ्री माउथवॉश प्रयोग करें।
3. दांतों की नियमित जांच करवाएं
साल में दो बार डेंटिस्ट चेकअप के लिए अवश्य जाएं। इससे दांतो में बढ़ने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है। साथ ही पोषण की कमी के चलते स्कर्वी जैसे रोगों की समस्या भी हल होने लगती है।
4. शरीर को हाइड्रेट रखें
इस समस्या से बचने के लिए शरीर को हाइड्रेट रखना भी आवश्यक है। इससे मुंह में बैक्टीरिया को बढ़ने से रोका जा सकता है, जिससे माउथ कैविटी और गम ब्लीडिंग से बचा जा सकता है। साथ ही विटामिन सी का इनटेक बढ़ाने से फायदा मिलता है।