भारतीय मसालों में हल्दी का प्रयोग हर घर में होता है। हल्दी मसाले के साथ-साथ अपने औषधीय गुणों के लिए मशहूर है। हमारे यहां हर शुभ कार्य में हल्दी का प्रयोग जरूर होता है। पर क्या आपको पता है कि हल्दी दो प्रकार की होती है, पीली हल्दी (Yellow turmeric) और काली हल्दी (Black turmeric)। पीली हल्दी का उपयोग अक्सर खाना बनाने में किया जाता है। जबकि काली हल्दी का प्रयोग कई असाध्य बीमारियों में काली हल्दी रामबाण का काम करती हैं।
जी. बी पंत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन एनवायरनमेंट एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट के अनुसार काली हल्दी सामान्य स्वास्थ्य देखभाल में एक आवश्यक घटक रही है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। इसका उपयोग दुनिया भर में कई आदिवासी समुदायों द्वारा सदियों से मसाले, दवा और आध्यात्मिक प्रथाओं में किया जाता रहा है।
काली हल्दी को एक औषधीय जड़ी बूटी के रूप में मान्यता दी गई है। जिसमें विभिन्न जैव सक्रिय यौगिकों का मिश्रण होता है, जो समग्र स्वास्थ्य में सुधार कर सकती है।
काली हल्दी ताजा और पाउडर दोनों रूपों में उपलब्ध होती है। साथ ही, यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद भी मानी जाती है।
काली हल्दी में किसी भी अन्य हल्दी की तुलना में करक्यूमिन की उच्च सांद्रता होती है। यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट और एंटीइंफ्लेमेटरी है। यह सूजन वाले टॉन्सिल से भी राहत दिला सकती है। साथ ही संक्रमण को दूर रख सकती है।
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ रिसर्च इन फार्मेसी एंड केमिस्ट्री में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, काली हल्दी के कई उपयोग हैं। काली हल्दी का प्रयोग पाचन संबंधी समस्याओं को ठीक करने के लिए किया जा सकता है। पेट दर्द और पेचिश सहित गैस्ट्रिक समस्याओं से पीड़ित कोई भी व्यक्ति इसका सेवन कर सकता है।
गैस्ट्रिक तनाव से राहत पाने के लिए काली हल्दी पाउडर को पानी में मिलाकर सेवन किया जा सकता है। इसे माइग्रेन के लक्षणों को दूर करने में मदद करने के लिए माथे पर भी लगाया जा सकता है।
आम हल्दी की तरह, काली हल्दी को भी रक्तस्राव को नियंत्रित करने और कटने या घाव और सांप के काटने के मामलों में मददगार साबित हो सकती है। काली हल्दी की जड़ को कुचल कर बेचैनी को कम करने के लिए चोट और मोच पर लगाया जा सकता है।
इस हल्दी का पेस्ट जोड़ों के दर्द और अकड़न से राहत दिला सकता है। काली हल्दी को एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-फंगल गुणों के लिए जाना जाता है और यह शरीर में सूजन से लड़ने में मदद कर सकती है। इसकी जड़ का उपयोग सदियों से गठिया, अस्थमा और मिर्गी के इलाज के लिए औषधीय रूप से किया जाता रहा है।
वर्तमान में काली हल्दी के लाभों और उपयोग पर सीमित शोध है। 2013 जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, काली हल्दी के नैदानिक, विषाक्तता और फाइटोएनालिटिकल गुणों के बारे में कम जानकारी उपलब्ध है। इसलिए, इसका इस्तेमाल सोच समझकर करें।
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