सावधान! ये 9 दवाइयां हो सकती हैं हाइपरटेंशन का कारण, कहीं आप भी तो नहीं कर रहे सेवन

आम दर्द निवारक और एंटीडिप्रेसेंट से लेकर डिकॉन्गेस्टेंट जैसी दवाएं हाइरपरटेंशन का जोखिम पैदा कर सकती हैं। खासकर उन लोगों के लिए जो पहले से ही हाई ब्लड प्रेशर से जूझ रहे हैं।
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पेन किलर्स और नॉनस्टेरॉइडल एंटी.इंफ्लेमेटरी ड्रग्स से बढ़ जाता है ब्लड प्रेशर। चित्र : अडॉबीस्टॉक
Published On: 14 Nov 2024, 10:05 am IST
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दुनिया भर में लगभग 130 करोड लोग हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन से पीड़ित हैं। वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के अनुसार यह हृदय रोग का प्रमुख कारण है।इसके कारण हर साल लगभग 1 करोड़ लोगों की जान जाती है। हाई ब्लड प्रेशर पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है,लेकिन बहुत से लोगों को यह मालूम ही नहीं होता है कि उनके द्वारा ली जा रही कुछ दवाइयां भी इसका कारण बन सकती हैं। आम दर्द निवारक और एंटीडिप्रेसेंट से लेकर डिकॉन्गेस्टेंट जैसी दवाएं हाइरपरटेंशन का जोखिम पैदा कर सकती हैं (Medications cause hypertension)। खासकर उन लोगों के लिए जो पहले से ही हाई ब्लड प्रेशर से जूझ रहे हैं। इन दवाओं और उनके संभावित प्रभावों के बारे में जानना आवश्यक है। आइए जानते हैं इनके बारे में सब कुछ (Medications cause hypertension)।

क्यों होता है हाई ब्लड प्रेशर?

हाई ब्लड प्रेशर तब होता है जब आपकी धमनियों की वॉल की दूसरी ओर खून का बल बहुत अधिक होता है। इसे दिल और रक्त वाहिकाओं पर दबाव पड़ता है। इससे हृदय रोग, स्ट्रोक और किडनी डैमेज जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। ब्लड प्रेशर को मर्करी के मिलीमीटर (mm Hg) में मापा जाता है और इसे दो नंबर में रिकॉर्ड किया जाता है: सिस्टोलिक (दिल की धड़कन के दौरान दबाव) और डायस्टोलिक (दिल की धड़कनों के बीच दबाव)। एक सामान्य रीडिंग आमतौर पर 120/80 मिमी एचजी के आसपास होती है। हाई ब्लड प्रेशर को आमतौर पर 130/80 मिमी एचजी या उससे अधिक की रीडिंग पर माना जाता है।

9 दवाएं जो हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन सकती हैं

हालांकि, हाई ब्लड प्रेशर के कई कारण हैं, मगर ये कुछ दवाएं भी इसका कारण बन सकती हैं।

1. नॉनस्टेरॉइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs)

कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. समीर वी पगड़ बताते हैं, “NSAIDs में प्रिस्क्रिप्शन और ओवर-द-काउंटर दोनों तरह की दवाएं शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल आम तौर पर लगातार दर्द से तुरंत राहत पाने और सूजन को कम करने के लिए किया जाता है। खास तौर पर गठिया जैसी स्थितियों में।”

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दवाओं की वजह से भी हो सकती है हाइपरटेंशन। चित्र:शटरस्टॉक

हालांकि, ये दवाएं शरीर में अतिरिक्त तरल पदार्थ को बनाए रखने का कारण बन सकती हैं, जिससे किडनी के कामकाज पर नेगेटिव असर पड़ता है। जब किडनी कुशलता से काम नहीं कर रही होती हैं, तो इससे ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप हाई ब्लड प्रेशर हो सकता है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, NSAIDs लेना, खास तौर पर अधिक खुराक में या एक सप्ताह, एक महीने या एक महीने से अधिक समय तक लेना दिल के दौरे या स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।

NSAIDs विभिन्न ओवर-द-काउंटर प्रोडक्ट्स में भी मौजूद होते हैं, जैसे कि सर्दी की दवाएं। NSAIDs आपके लिए उपयुक्त हैं या नहीं, अपने डॉक्टर से परामर्श करना उचित है। आपका डॉक्टर इबुप्रोफेन के बजाय एसिटामिनोफेन जैसे विकल्प सुझा सकता है।

2. कॉर्टिकोस्टेरॉइड या स्टेरॉयड

कॉर्टिकोस्टेरॉइड को आमतौर पर स्टेरॉयड के रूप में जाना जाता है। एड्रिनल ग्लैंड से बने हार्मोन की नकल करने के लिए डिजाइन की गई दवाएx हैं। वे सूजन को कम करने और इम्युन सिस्टम को दबाने में मदद करते हैं। हालांकि, कॉर्टिकोस्टेरॉइड के नियमित उपयोग से किडनी में सोडियम मात्र में काफी वृद्धि हो सकती है। इससे फ्लूइड जमा हो सकता है।

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इसस रक्त वाहिकाओं पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है, जिससे वे सिकुड़ जाते हैं और ब्लड प्रेशर का स्तर बढ़ जाता है। कैनेडियन रेस्पिरेटरी जर्नल द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन में ओरल कॉर्टिकोस्टेरॉइड के उपयोग और हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक के बीच संबंध पाया गया है। इसके अतिरिक्त, कॉर्टिकोस्टेरॉइड आपके शरीर के मेटबॉलिजम को प्रभावित कर सकते हैं और वजन बढ़ाने में योगदान दे सकते हैं, जो हाई ब्लड प्रेशर को और बढ़ा सकता है। इन दवाओं की ज्यादा खुराक ब्लड प्रेशर बढ़ने के और भी अधिक जोखिम से जुड़ी हुई है।

3. सर्दी की दवाए या डिकंजेस्टेंट्स

सर्दी की दवाएं खास तौर पर डिकंजेस्टेंट्स आमतौर पर नाक जाम होने से तुरंत राहत पाने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं। वे नाक के मार्ग में रक्त वाहिकाओं को पतली कर देती हैं, जिससे सूजन कम हो जाती है। हालांकि, कई सर्दी और खांसी की दवाओं में दर्द को कम करने के लिए NSAIDs भी होते हैं। NSAIDs के ब्लड प्रेशर बढ़ाने के जोखिम पर हम पहले ही बात कर चुके हैं। इन दवाओं का अधिक उपयोग आपके ब्लड प्रेशर के स्तर के लिए हानिकारक हो सकता है।

इसके अतिरिक्त एनाल्स ऑफ इमरजेंसी मेडिसिन के अनुसार, कुछ डिकंजेस्टेंट्स धड़कन बढ़ा सकते हैं और ब्लड प्रेशर और दिल के दौरे को और बढ़ा सकते हैं। जबकि ये दवाएं नाक की सूजन को कम करने में मदद करती हैं, वे पूरे शरीर में रक्त वाहिकाओं को भी पतली कर सकती हैं, जो हाई ब्लड प्रेशर का कारण बनता है।

4. एंटीडिप्रेसेंट

एंटीडिप्रेसेंट अक्सर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं जैसे कि डीप्रेशन, चिंता, क्रोनिक स्ट्रेस, पैनिक डिसऑर्डर और ओवरथिंकिंग से जूझ रहे लोगों को दिया जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के निर्देशानुसार लेने पर ये दवाएं मस्तिष्क में उन कैमिकल के संतुलित करने में मदद कर सकती हैं जो मूड और भावनात्मक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। डॉ पगड कहते हैं, “हाई ब्लड प्रेशर एंटीडिप्रेसेंट का एक सामान्य दुष्प्रभाव नहीं है, हाई ब्लड प्रेशर वाले व्यक्तियों को अधिक जोखिम का सामना करना पड़ सकता है। दवा की ज्यादा खुराक के साथ यह जोखिम और भी बढ़ सकता है।”

दवाओं के सेवन से पहले पूरी तरह सचेत रहना बहुत जरुरी है। चित्र : शटरस्टॉक

6. माइग्रेन की दवाएं

अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, माइग्रेन हृदय रोग (सीवीडी) के जोखिम से जुड़ा हुआ है। इसमें हाई ब्लड प्रेशर, डायबटिज और हाइपरलिपिडिमिया शामिल हैं। माइग्रेन की कुछ दवाए जैसे ट्रिप्टान, सिर में रक्त वाहिकाओं को पतली करके दर्द से राहत दिलाती हैं। माइग्रेन के लिए कारगर होने के बावजूद ये दवाएं पूरे शरीर में रक्त वाहिकाओं को पतली कर देती हैं।

7. बर्थ कंट्रोल के लिए एस्ट्रोजन का इस्तेमाल

हार्मोनल बर्थ कंट्रोल, विशेष रूप से एस्ट्रोजन युक्त गोलियों का उपयोग करने वाले लोगों को हाई ब्लड प्रेशर हो सकता है। डॉ. पगड के अनुसार ” वेजाइनल रिंग को कुछ लोगों में हाई ब्लड प्रेशर जोड़कर देखा जाता है। आज के समय में बर्थ कंट्रोल विधियों में आमतौर पर एस्ट्रोजन का स्तर कम होता है, फिर भी इसका दुष्प्रभाव हो सकता है।

एस्ट्रोजन एंजियोटेंसिनोजेन नामक प्रोटीन के स्तर को बढ़ाकर ब्लड प्रेशर बढ़ा सकता है, जो एंजियोटेंसिन II में बदल जाता है। ये ब्लड बढ़ानेवाला पदार्थ है। ज्यादातर मामलों में, हार्मोनल बर्थ कंट्रोल ब्लड प्रेशर को प्रभावित नहीं करता है। हालांकि, अगर आपको पहले से ही हाई ब्लड प्रेशर है, तो आपका डॉक्टर प्रोजेस्टिन-ओनली गोली या वैकल्पिक तरीकों, जैसे कि आर्म इम्प्लांट या इंट्रायूटरिन डिवाइस (आईयूडी) का उपयोग करने का सुझाव दे सकता है।

8. स्टिमुलैंट्स

स्टेटपर्ल्स के अनुसार, मेथिलफेनिडेट (कॉन्सर्टा, रिटालिन और अन्य) जैसे स्टिमुलैंट्स हृदय गति में वृद्धि या अनियमित दिल की धड़कन का कारण बन सकते हैं। इससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। ये दवाएं दिमाग में कुछ कैमिकल्स की गतिविधि को बढ़ाकर ध्यान और एकाग्रता में सुधार करके काम करती हैं।

हालांकि, वे सिम्फटेटिक नर्वस सिस्टम को सक्रिय करके ब्लड प्रेशर से संबंधित समस्याओं के जोखिम को भी बढ़ा सकते हैं। इससे धड़कन और रक्त वाहिका पतली होती हैं। दोनों ही हाई ब्लड प्रेशर में योगदान देते हैं। यदि आप कोई स्टिमुलैंट्स ले रहे हैं, तो अपने ब्लड प्रेशर को नियमित रूप से जांचते रहें।

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दवाएं दिमाग में कुछ कैमिकल्स की गतिविधि को बढ़ाकर ध्यान और एकाग्रता में सुधार करके काम करती हैं। चित्र: शटरस्टॉक

9. वजन घटाने वाली दवाएं

वजन घटाने या मोटापे की कुछ दवाएं, जैसे कि सिबुट्रामाइन, हृदय रोग को बढ़ा सकती हैं। अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन द्वारा प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, ये दवाएं हृदय संबंधी बीमारियों जैसे कि दिल का दौरा, एनजाइना, स्ट्रोक, हार्ट एरिथमिया और कंजेस्टिव हार्ट फेलियर के जोखिम को बढ़ा सकती हैं।

भूख कम करने वाली दवाएं आपके शरीर की गतिविधि के स्तर को बढ़ा सकती हैं। इससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और हृदय पर अतिरिक्त तनाव पड़ सकता है। कोई भी वजन घटाने वाली दवा शुरू करने से पहले – चाहे वह प्रिस्क्रिप्शन हो या ओवर-द-काउंटर अपने डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है। हालांकि ये दवाएं वजन घटाने में मदद कर सकती हैं, लेकिन वे ऐसे जोखिम भी पैदा कर सकती हैं।

यदि आप इनमें से कोई भी दवा ले रहे हैं, खासकर यदि आपको हाई ब्लड प्रेशर है, तो इसका नियमित जांच करना और अपने स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम विकल्पों के बारे में अपने डॉक्टर से परामर्श करना महत्वपूर्ण है।

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