बहुत से ऐसे लोग हैं जिन्हे खाने के बाद, पानी पीने के बाद यहां तक की सुबह उठते के साथ ब्लोटिंग की समस्या होती है। ब्लोटिंग की स्थिति में पेट फुला हुआ महसूस होता है, जिसकी वजह से व्यक्ति असहज रहते हैं और सामन्य दिनचर्या को करने में कठिनाई हो सकती है। ब्लोटिंग की समस्या खानपान के दौरान दोहराए जानें वाली सामन्य गलतियों (eating mistakes) की वजह से आपको बार बार परेशान करती है। ऐसे में खानपान सहित सामन्य दिनचर्या में उचित सुधर के साथ आप ब्लोटिंग की परेशानी को कम कर सकती हैं। साथ ही वीमेन हेल्थ एक्सपर्ट और आयुर्वेदिक डॉक्टर निधि पांड्या ने ब्लोटिंग (bloating) को बीट करने के कुछ हेल्दी आयुर्वेदिक टिप्स सुझाए हैं (ayurvedic remedies for bloating)। तो चलिए जानते हैं आयुर्वेद के अनुसार ब्लोटिंग को किस तरह अवॉयड किया जा सकता है।
खाद्य पदार्थों को पूरी तरह से चबा कर खाने से पाचन क्रिया के लिए इन्हे पचाना आसान हो जाता है। साथ ही इससे आपके खाने की गति भी धीमी हो जाती है, जो पाचन के लिए जरुरी है। इस प्रकार खाद्य पदार्थ पूरी तरह से टूट कर मुलायम हो जाते हैं, जिससे आपको अपचा और अन्य पाचन संबंधी समस्याएं नहीं होती।
सके साथ ही यह आपको ओवरईटिंग यानि आवश्यकता से अधिक खाने से रोकता है, क्युकी ओवरईटिंग भी ब्लोटिंग का एक बड़ा कारण है। पुराने समय में लोग इसे बेहद गंभीरता से फॉलो करते थे, परंतु आज कल लोग जल्दबाजी में खाना खाते हैं, जिसकी वजह से पाचन संबंधी समस्याएं सहित मोटापे का खतरा भी बढ़ता जा रहा है।
खाना खाने के बाद बैठ जाना या लेट जाना आपके पाचन क्रिया को नुकसान पहुंचा सकता है। लंच और डिनर दोनें के बाद कम से कम 10 मिनट जरूर वॉक करें। खाने के बाद टहलना आपके पाचन तंत्र को उत्तेजित करता है, जिससे भोजन आपके पेट और आंतों से अधिक कुशलता से गुज़रता है। यह ब्लोटिंग, कब्ज़, एसिड रिफ्लक्स और पेट खराब होने जैसे असुविधाजनक लक्षणों से राहत दिलाने में मदद कर सकता है।
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खाने के बाद टहलने से ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। यह रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ने से रोकता है, जिससे डायबिटीज और अन्य मेटाबोलिक डिसऑर्डर का खतरा कम हो जाता है। हालांकि, खाने के तुरंत बाद ज्यादा तेज और अधिक चलने से बचें।
खाने के बाद यदि बैठ रही हैं, तो हमेशा बज्रासन की मुद्रा में बैठें। बज्रासन पाचन अंगों को उत्तेजित करता है और पेट को संकुचित करके पाचन में मदद करता है। यह मल त्याग को आसान बनाता है, कब्ज से राहत दिला सकता है, वहीं गैस और एसिडिटी जैसी परेशानियों के खतरे को कम कर देता है। वज्रासन शरीर को पोषक तत्वों को अधिक प्रभावी ढंग से अवशोषित करने में मदद करता है। आयुर्वेद में ब्लोटिंग से निजात पाने के लिए इसे एक बेहद प्रभावी मुद्रा माना जाता है।
आयुर्वेद में अजवाइन को बेहद फायदेमंद बताया गया है। विशेष रूप से इसे पाचन संबंधी समस्यायों में बेहद कारगर माना जाता है। खाने के बाद आधा चम्मच अजवाइन और थोड़े काला नमक का कॉम्बिनेशन पेट की एसिडिटी, गैस, सूजन, अपच को ठीक करता है। विशेष रूप से यह पोस्ट मील ब्लोटिंग को रोकने में बेहद प्रभावी साबित हो सकता है। अजवाइन के बीज में मौजूद थाइमोल में एंटासिड गुण होते हैं, जो एसिड रिफ्लक्स को कम करने और पेट में एसिड के उत्पादन को संतुलित करने में मदद करते हैं।
एक्सपर्ट के अनुसार रात को सोने से पहले नाभि में तेल डालकर सोना बेहद फायदेमंद है। सरसों, तिल या कैस्टर ऑयल से नाभि पर मालिश करने से इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम से राहत मिल सकती है। इस गतिविधि से पाचन स्वास्थ्य में सहायता मिल सकती है। यह ब्लोटिंग, पेट खराब होना, सूजन या कब्ज जैसी अन्य पाचन समस्याओं को कम करने में मदद करता है।
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